22 मार्च, 2021 – किसान आंदोलन के बीच सरकार के लिए थोड़ी राहत भरी खबर है। संसद की एक समिति ने नए आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम का ‘पूरी तरह’ समर्थन किया है। यह उन तीन कृषि कानूनों में से एक है जिसका मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसान यूनियनें विरोध कर रही हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि किसानों को इस कानून से फायदा होगा।
हालांकि समिति के तीन सदस्यों ने कहा कि वे समिति की सिफारिशों से सहमत नहीं हैं। कांग्रेस के सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को इस बाबत चिट्ठी भी लिखी है। वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इसे ‘धोखेबाजी’ करार दिया है।
19 मार्च को पेश की गई थी रिपोर्टखाद्य संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से अनुशंसा की है कि ‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम-2020’ को ‘अक्षरश:’ लागू किया जाए। इस समिति के अध्यक्ष TMC के वरिष्ठ नेता सुदीप बंधोपाध्याय हैं। भाजपा सांसद अजय मिश्रा टेनी की कार्यवाहक अध्यक्षता में खाद्य एवं उपभोक्ता संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट गत 19 मार्च को लोकसभा के पटल पर रखी गई। इस समिति में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्य भी शामिल हैं। ये पार्टियां तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रही हैं।
कांग्रेस और TMC ने लगाए आरोपकांग्रेस और TMC ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि रिपोर्ट तैयार करने में नियमों का उल्लंघन किया गया। पार्टियों ने कहा कि समिति के नियमित अध्यक्ष सुदीप बंदोपाध्याय की गैरमौजूदगी में इस रिपोर्ट को आगे बढ़ा दिया गया। बंदोपाध्याय इन दिनों पश्चिम बंगाल चुनाव में व्यस्त हैं। कांग्रेस के तीन सांसदों- सप्तगिरी उल्का, राजमोहन उन्नीथन और वी वैथिलिंगम ने लोकसभा अध्यक्ष को अलग-अलग पत्र लिखे हैं। उनसे यह आग्रह किया है कि वह इस मामले में संज्ञान लें और उन्हें लिखित असहमति दर्ज कराने की अनुमति दें।
संयुक्त किसान मोर्चा ने क्या कहा? (SKM) के बैनर तले किसान संगठन पिछले कुछ महीनों से दिल्ली की सीमाओं के पास प्रदर्शन कर रहे हैं। मोर्चा ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया, “यह अधिनियम निजी क्षेत्र को असीमित मात्रा में जमाखोरी और कालाबाजारी करने की अनुमति देता है। इसके लागू होने से देश में जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) और इसका पूरा ढांचा खत्म हो जाएगा।’’ उसने कहा, ‘‘यह बहुत ही शर्मनाक है कि किसान आंदोलन के समर्थन का दावा कर रही कई पार्टियों ने इस अधिनियम को लागू करने की पैरवी की है। हम समिति से अपील करते हैं कि वह अपनी अनुशंसाएं वापस ले।”
सौजन्य : दिव्या संदेश
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