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देश के महान सामाजिक और राजनीतिक सुधारक डॉ. भीमराव आंबेडकर

December 6, 2021 By Guest Author

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जी. किशन रेड्डी

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के अनमोल विचार l Baba Saheb Bhimrao Ambedkar Quotes  in Hindi

डा. आंबेडकर द्वारा किए गए सामाजिक और राजनीतिक सुधारों का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उनके राजनीतिक और सामाजिक दर्शन के कारण ही आज पिछड़े समुदायों में शिक्षा को लेकर सकारात्मक समझ पैदा हुई है। आज भी कायम है उनके दूरदर्शी सोच का परिचायक।

06 दिसम्बर, 2021 – BR Ambedkar Death Anniversary भारत दुनिया का सबसे प्राचीन संस्कृति और सभ्यता वाला देश है। हमारे आदर्श और उच्च जीवन मूल्य पूरी दुनिया के लिए अनुकरणीय रहे हैं। लेकिन गुलामी के साथ-साथ भारत सामाजिक बुराइयों का भी शिकार हुआ। मगर भारत एक अमर राष्ट्र है। समय-समय पर मां भारती ने ऐसे वीरों को जन्म दिया है, जिन्होंने समाज में फैली हुई बुराइयों को समाप्त करने में न केवल अपना जीवन अर्पित किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित किया है। ऐसा ही जीवन बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का रहा है। वे बहुत ही विद्वान थे यानी बहुआयामी व्यक्तित्व होने के बाद भी उन्होंने दुनिया के कई देशों से नौकरी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा, ‘मैं सबसे पहले और अंत में भारतीय हूं, मैं अपना जीवन, पूरे सामथ्र्य के साथ अपने देश के गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए लगाना चाहता हूं।’

आठ घंटे का कार्य समय : गरीबों और मजदूरों के लिए बाबा साहब जीवन भर संघर्ष करते रहे। वर्ष 1942 में ब्रिटिश शासक देश के गरीबों और मजदूरों से 12 घंटे तक मजदूरी करवाते थे, लिहाजा उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के समक्ष इस अन्याय के विरुद्ध संघर्ष किया। आज आठ घंटे काम का अधिकार जो हमें मिला है, वह बाबा साहब की ही देन है। निश्चित रूप से बाबा साहब संघर्ष और समरसता की प्रतिमूर्ति थे। बाबा साहब ने कहा था कि सबको साथ लिए बिना हम भारत के उत्थान की कल्पना नहीं कर सकते। लेकिन कभी-कभी महापुरुषों के साथ एक अन्याय हम यह करते हैं कि उन्हें एक छोटे दायरे में बांधने का प्रयास करते हैं। महापुरुष कभी भी किसी एक जाति और समाज के नहीं हो सकते, महापुरुष सबके लिए होते हैं, सबके होते हैं।

समान भाव से विकास : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत सात वर्षो में बिना किसी भेदभाव और पक्षपात के समान विकास की भावना से काम किया है। लेह लद्दाख हो या फिर अंडमान निकोबार या फिर पूवरेत्तर के दूरदराज के राज्य हों, सभी में समान विकास की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। आज समाज में छुआछूत और ऊंच-नीच का भेद समाप्त हो रहा है। वर्ष 2019 में प्रयाग महाकुंभ के दौरान जब देश के प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति के लोगों के पैर धोते हैं तो निश्चित रूप से वह बदलते भारत, नए भारत और समरस भारत की तस्वीर है।

बाबा साहब हमें सविधान देकर गए हैं, जिसके आधार पर हम विश्व गुरु होने का स्वप्न देख रहे हैं। जिन लोगों ने दुनिया के अन्य देशों के संविधानों का अध्ययन किया है, वे यह जानते हैं कि भारत का संविधान दुनिया के श्रेष्ठ संविधानों में से एक है। इतना ही नहीं, समग्रता में कहें तो भारत का संविधान भारत का प्रतिबिंब है।

हमारे संविधान निर्माताओं ने दो वर्ष 11 माह और 18 दिनों के लंबे परिश्रम के बाद 26 नवंबर 1949 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया। वर्ष 2015 में नरेन्द्र मोदी सरकार ने निर्णय लिया कि 26 नवंबर के दिन को संपूर्ण राष्ट्र में ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। निश्चित रूप से नरेन्द्र मोदी सरकार का यह कदम, बाबा साहब और संविधान निर्माताओं के प्रति व्यापक सम्मान को दर्शाता है, जिन्होंने अपना महत्वपूर्ण समय देकर, विवेक, बुद्धि और कठिन परिश्रम से इस महान ग्रंथ को तैयार करने में अपना योगदान देते हुए उसे राष्ट्र को समर्पित किया।

अंबेडकर जयंती पर उनके जीवन के संघर्ष और योगदान पर तैयार करें यहां से स्पीच  - Jansatta

संविधान प्रदत्त अधिकार : संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग’ से प्रारंभ होती है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि हम भारतवासी ही संविधान की ताकत हैं, हम ही इसकी प्रेरणा हैं और हम ही इसके संरक्षक हैं। इसलिए यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि संविधान की आत्मा इसकी प्रस्तावना में ही समाहित है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि संविधान समय के साथ प्रासंगिक बना रहे, संविधान निर्माताओं ने भावी पीढ़ियों को आवश्यक संशोधन करने की अनुमति देने वाला प्रविधान भी शामिल किया। 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में अपना अंतिम भाषण देते हुए डा. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि संविधान की सफलता भारत के लोगों और राजनीतिक दलों के आचरण पर निर्भर करेगी।

हमारे संविधान में मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य की बात कही गई है। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। समय के अनुसार देश की आवश्यकताएं बदलती हैं। आज के संदर्भ में भारत के हर नागरिक को कर्तव्य परायण बनने की आवश्यकता है। हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। देश इसे आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ संकल्प लिए हैं, जैसे सबका साथ सबका विकास, स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत, एक भारत-श्रेष्ठ भारत और आत्मनिर्भर भारत, निश्चित रूप से ये सभी संकल्प नया भारत गढ़ने के लिए हैं।

ambedkar jayanti 2020: आम्बेडकर जयंतीः दिल्ली में डॉ. आम्बेडकर की पहली  प्रतिमा कहां? - where is dr bheem rao ambedkar first statue in delhi |  Navbharat Times

आज जहां एक ओर दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है वहीं दूसरी ओर भारत भी इतना सामथ्र्यवान हो चुका है कि वह वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार है। विश्व कल्याण की शक्ति भारत के पास है। जब-जब दुनिया को शांति और कल्याण के मार्ग की आवश्यकता हुई, तब-तब भारत ने दुनिया का नेतृत्व किया है। आज दुनिया पर्यावरण, आतंकवाद और कोरोना महामारी जैसे संकट से जूझ रही है। ऐसे में हमें इस सत्य पर गर्व है कि इन सब मुद्दों पर भारत दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। इसका कारण यह है कि विश्व कल्याण की मूल भावना भारत में समाहित है। ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो’ यही भारत का मूल विचार है।

आइए आज हम संकल्प करें कि बाबा साहब के महापरिनिर्वाण दिवस पर अपने संविधान के आदर्शो को प्राप्त करने और देश के सपनों को साकार करने के लिए, हम अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करें। बाबा साहब समानता के सच्चे पैरोकार थे, क्योंकि समाज में समरसता कायम रखने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। संविधान निर्माण से लेकर उसमें संशोधन के प्रविधान के बारे में उन्होंने जो व्यवस्था दी वह आज भी कायम है जो उनके दूरदर्शी सोच का परिचायक है।

सौजन्य : दैनिक जागरण


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