रजिन्द्र बंसल
इस शीर्षक को देख हो सकता है आप एक बार चौंक जायें। कि आखिर 2019 में भारतीय संसद में बने कानून का 72 साल पहले की घटना से क्या लेना देना।
मेरा मानना है कि इन परिस्थितियों को काल खण्ड में बांट उसे भूल जाना न्यायोचित हो ही नहीं सकता। हमें इस विषय में जा गहनता से विचार करना होगा। क्या 1947 का बंटवारा ठीक उस तरह हुआ या नहीं, जैसे दो भाईयों में होता है। अगर बंटवारा ठीक ढंग से हुआ होता तो आज CAA की नौबत ही न आती।
अगर टू नेशन थ्यूरी के आधार पर बंटवारा हो ही गया था। तो सारे मुस्लिम को पाकिस्तान को लेना चाहिए था। और सारे गैर मुस्लिम को भारत ले लेता तो आज न सी ए ए की जरुरत रहती न एन आर सी की। फिर भी अगर हमने भारत को पंथ निरपेक्ष देश का दर्जा दिया। व उस समय के कुल मुस्लिम समुदाय के 30% मुस्लिम को भारत में बराबरी से भी ज्यादा अधिकार दे भारत का नागरिक माना। उसमें भारत की धरती व बहुल हिन्दु समाज की वसुधैव कुटुम्बकम की भावना साफ झलकती है। दूसरे हम आजादी के जोश में व तत्कालीन नेताओं पर अति विश्वास कर इस गणना में गये ही नहीं कि बंटवारा बंटवारे के मूल भूत आधार पर खरा है या नहीं।
अगर हम आंकड़ों को खंगालें तो ये बंटवारा आज के गैर मुस्लिम समाज( व तब के बृहद हिन्दू समाज क्योंकि उस समय अगडे पिछड़े सिख जैन बोद्ध में आपस में गहन लगाव था) के साथ शकुनि के पासों जैसा छल था। जिसके लिये उस समय के सत्यवादी माने जा रहे महात्मा गांधी व नेहरु जी भी कम जिम्मेदार नहीं। या तो उस समय उन्हे समझ नहीं आया। या वो भी जो मिलता है ले लो, सोच कर चुप रहे। अगर आज हम बंटवारे के समय के भूभाग के आंकड़ों का आकलन करें तो हमें साफ साफ दिखेगा कि भारत व इसके सयुंक्त हिन्दु समाज से गहन छल हुआ है।
अब मैं अपनी बात की पुष्टि के लिये मैं आंकड़ों के साथ रखने का प्रयास करूंगा। नैट से लिये आंकडों के भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हजार वर्ग किलोमीटर है। पाकिस्तान व बांग्लादेश का क्षेत्रफल क्रमशः 8 लाख 81 हजार 9 सौ 13 वर्ग किलोमीटर व 1 लाख 47 हजार 5 सौ 70 वर्ग किलोमीटर है। यानि संयुक्त पाकिस्तान का कुल क्षेत्रफल 10 लाख 29 हजार 4 सौ 83 वर्ग किलोमीटर हो जाता है।
अब बंटवारे के बाद 1951 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 3 करोड़ 54 लाख मुस्लिम व 30 करोड़ 35 लाख हिन्दु तथा अन्य का आंकड़ा मिलता है।
पाकिस्तान की जनसंख्या पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में 4 करोड़ 20 लाख व पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) 3 करोड़ 37 लाख की आबादी का आंकड़ा मिलता है।
अगर हम उस समय विभाजित भारत का जनसंख्या घनत्व मुस्लिम +हिन्दू व अन्य के हिसाब से प्रति वर्ग किलोमीटर व्यक्ति घनत्व निकालें। तो आबादी ÷ क्षेत्रफल = जनसंख्या घनत्व। इससे भारत का आंकड़ा 30. 35 करोड़ हिन्दू व अन्य + 3.54 करोड़ भारतीय मुस्लिम कुल 33.89 करोड़ ÷32 लाख 87 हजार वर्ग किलोमीटर = जनसंख्या घनत्व 103.10 व्यक्ति वगैरह आता है।
इसी तरह सयुंक्त पाकिस्तान की आबादी पूर्वी पाकिस्तान (*वर्तमान बांग्लादेश* 4 करोड़ 20 लाख + पश्चिमी पाकिस्तान *वर्तमान पाकिस्तान* 3 करोड़ 37 लाख) कुल आबादी 7 करोड 57 लाख ÷ 1029483 वर्गकिलोमीटर ( वर्तमान बांग्लादेश 1 लाख 47 हजार 5 सौ 70 वर्गकिलोमीटर + वर्तमान पाकिस्तान 8 लाख 81 हजार 9 सौ 13 वर्गकिलोमीटर) = जनसंख्या घनत्व 73.53 व्यक्ति/ वर्गकिलोमीटर आता है।
अगर छोटे बड़े भाई में बंटवारे की तरह माने तो बड़े अब हम बात करते हैं कि क्या ये बंटवारा करने वाले अंग्रेजों ने बंटवारा गल्त किया जो उन्होने सतलुज दरिया को रेखा मान पंजाब काट व बंगाल को विभाजित कर बड़े भाई भारत से छीन छोटे भाई पाकिस्तान को ज्यादा देने का षडयंत्र किया।
या पाण्डवों की तरह सत्यवादी व उद्दार होने के चक्कर में गांधी व नेहरु द्यूत ग्रह में शकुनी के पासों से जाने अनजाने छले गये। तो मैं कहूंगा कि अंग्रेजों ने भारत को भब्बल भूसे तो डाला। पर मुस्लिम समाज को उसकी आबादी के अनुसार ही इलाका चिन्हित करके दिया। अब मैं अपनी बात को भी आंकड़ों द्वारा ही शत प्रतिशत प्रमाणित करूंगा।
उस समय पाकिस्तान की कुल आबादी 7 करोड़ 57 लाख में से 15 से 20%हिन्दू + लगभग 1 करोड़ 50 लाख कम कर दे। तो बाकी बचे 6 करोड़ 7 लाख। अब इसमें भारत में रही 3 करोड़ 54 लाख मुस्लिम आबादी पाकिस्तान में जोडें। तो पाकिस्तान की आबादी हो जाती है 9 करोड़ 61 लाख।कुल जन संख्या 9 करोड़ 61 लाख ÷ क्षेत्रफल 10 लाख 29 हजार 4 सौ 83 वर्गकिलोमीटर =जनसंख्या घनत्व 93.35 व्यक्ति /वर्गकिलोमीटर आयेगा।
इसी तरह 1951 में भारत की आबादी 33 करोड़ 89 लाख में मुस्लिम आबादी 3 करोड़ 54 लाख कम करें। आंकड़ा बचता है 30 करोड़ 35 लाख। इसमे उस समय पाकिस्तान से आ सकने वाले 1 करोड़ 50 लाख हिन्दु +(तब की वहां की आबादी का 20%) जोड लें। संख्या हो गई – 31 करोड़ 85 लाख÷ भारत का क्षेत्रफल 3287000 वर्ग किलोमीटर = जनसंख्या घनत्व 96. 89 व्यक्ति /वर्गकिलोमीटर आता है। इसमें लगभग 3%प्रति वर्ग किलो मीटर का फर्क है। यानि अंग्रेज़ों की खींची रेखा जनसंख्या के अनुपात में सही मानी जा सकती है। और हर कोई ये बात दावे से कह सकता है कि अंग्रेजों द्वारा खीची गई बंटवारे की रेखा जनसंख्या के हिसाब से सही थी।
चाहे पाकिसतान को लगभग रजवाड़ा शाही से मुक्त क्षेत्र देने के साथ ही उस समय के सर्वोत्तम उपजाऊ पंजाब के 2/3 पंजाब पाकिस्तान को दिया। इसके साथ ही पंज आब के पांच दरियाओं में 2 जेहलम और चिनाब तो सीधे ही पाकिस्तान को मिले। रावी का अधिकतर पानी भी पाकिस्तान को मिला।रही सही कसर हमने सतलुज ब्यास का काफी पानी भी हमने बृहद पंजाब (आज के हरियाणा) को मोडने की बजाय पाकिस्तान को दे पूरी कर दी। और भारत को 500 से ऊपर रियासतों वाला भारत हिन्दुओं को मिला। जिससे एक भारत श्रेष्ठ भारत बनना या न बनना रियासती रजवाड़ों के रहमोकरम या उनकी मर्जी पर निर्भर था।
फिर भी सरदार पटेल जैसे नेताओं के बूते हमने हमारी अंकित रेखाओं के अन्दर के राजाओं महाराजाओं की सहमति से आज के भारत की संरचना की। न्यायोचित बंटवारे के बावजूद हमारे नेताओं ने भारत रह गये मुस्लिम लोगौं को भारत में रोका। जिसको बहुल हिन्दू समाज ने न केवल दिल से अपनाया। व अल्पसंख्यक मुस्लिम को विशेष अधिकार भी दिये। जिसके बूते भारत में मुस्लिम जनसंख्या 1951 के साढ़े तीन करोड़ से बढ़ 20 करोड़ को छूने वाले हैं।
1950 में नेहरु लियाकत में दोनों देशों के अल्पसंख्यकों के धर्म व हकों की रक्षा का समझौता हुआ। अच्छा होता अगर उस समय भारत व पाकिस्तान में बची हिन्दू व मुस्लिम आबादी की शांतिपूर्ण ढंग से अदला बदली कर ली जाती। तो आज एन आर सी या सी ए ए की जरुरत ही नहीं रहती।
आज के समय में भारत से 18-20 करोड़ मुस्लिम समुदाय को पाकिस्तान भेजना मुश्किल होगा । अगर भारत सरकार भारतीय मान्यताओं के अनुरूप इस्लामी देशों में धार्मिक कारणों से प्रताडित हिन्दू मूल के हिन्दू सिख जैन बौद्धों को भारत में नागरिकता दे। तो इसका विरोध सर्वथा अनुचित व मानवता विरोधी है।
हां अगर कुछ लौग भारत में असुरक्षित व डरे हुऐ हैं। या भारत का राष्ट्रीय गीत व राष्ट्र गाण गाने से जिनका दीन आडे आये तो उसका सीधा सा उपाय है। ऐसे लौग पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान जहां भी जाना चाहें सरकार उन्हे वहां की सरकारों से बात कर उन्हें वहां भेज दे। उधर से गैर मुस्लिम समुदायों को भारत में ले ले।
ये मानवता के साथ साथ आज के समय की मांग भी है। ये भारतीय उपमहाद्वीप में शांति का सर्वोत्तम उपाय है।
वैसे भी 2017 की जनगणना के आंकडो में पाकिस्तान का जनसंख्या घनत्व 247.14 व्यक्ति /वर्गकिलोमीटर व भारत का 408.40 व्यक्ति /वर्गकिलोमीटर है। यानि भारत में डरे हुये पाकिस्तान परस्तों के समाने की अच्छी खासी गुंजाइश है। जहां वो अपनों के बीच सुख चैन से गुजर बसर कर सकते हैं। या जो मुस्लिम बंधु खुद को भारत में ही ठीक समझते हैं। उन्हे पाकिस्तान से अपने हिस्से का भूभाग मांगना चाहिए। ताकि बंटवारा धर्म के आधार से हट कर जनसंख्या के आधार की कसौटी पर खरा उतरे। तो शुभ काम में देरी क्यों?
नागरिकता संशोधन कानून व इसके बाद नैशनल रजिस्टर आफ सिटिजन तो अतीत की गलतियों को सुधारने की प्रक्रिया है। आप्रेशन होगा तो कुछ को तकलीफ होगी ही होगी। एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने के लिये ये बिल अतिआवश्यक है। जिससे भारत एक सराय न बन कर एक समृद्ध देश बनेगा। आओ धर्म जाति पंथ से ऊपर उठ ऐसे देशहित प्रयासों का पुरजैर समर्थन करें।
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