कौन बनाएगा पंजाब में सरकार, सात सरोकारों की ये सात चुनौतियां रहेंगी बरकरार
इन्द्रप्रीत सिंह/कैलाशनाथ
चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग किसी भी समय कर सकता है। राजनीतिक दल रैलियां करने लगे हैं, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जो पहले भी और अभी बरकरार हैं। इनमें ये मुद्दे नारी सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, स्वस्थ समाज, जनसंख्या नियोजन, गरीबी उन्मूलन व सुशिक्षित समाज शामिल हैं। नई सरकार को इन मुद्दों की चुनौतियों से भी निपटना होगा।
नारी सशक्तिकरण मिले 50 प्रतिशत हिस्सेदारी
आधी आबादी को सशक्त करने के लिए पिछले साल जो प्रयास हुए हैं, उम्मीद है कि इस साल उन्हें बनाए रखा जाएगा। स्थानीय निकायों और पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित करके महिलाओं को राजनीति में सक्रिय करने की कोशिश की गई है। अब उम्मीद है कि विधानसभा और लोकसभा में भी यह आरक्षण महिलाओं को मिले। दरअसल, राजनीति में पुरुषों का दबदबा होने के कारण ही सक्रिय राजनीति में महिलाओं का हिस्सा बहुत कम है। इसी कारण इस क्षेत्र में उनका नेतृत्व गुण निकल कर सामने नहीं आ पा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण न जलाई जाए पराली
पर्यावरण को लेकर पिछले दो साल में लोगों में जागरूकता आई है। इसका एक कारण कोरोना भी रहा। लोगों को अपने बिगड़ते स्वास्थ्य की चिंता हुई, लेकिन पर्यावरण को साफ रखने के लिए जिस स्तर पर प्रयास होने चाहिए थे वह अभी नहीं हुए। खासतौर पर पराली को जलाना बंद करना, बड़े उद्योगों को औद्योगिक कचरे का सही ढंग से निस्तारण करना, ज्यादा पौधे लगाकर उनकी संभाल करना, शहरी सीवरेज के पानी को ट्रीट कर उसे दोबारा प्रयोग में लाने के प्रयास बढ़ाने की जरूरत है। उम्मीद है कि नए साल में इसे लेकर ज्यादा काम होगा।
जल संरक्षण और न गिरे भूजल स्तर
भूजल का गिरना और नहरी पानी का प्रदूषण बड़ा चिंता का विषय बन चुका है। पर्यावरण के बाद यह दूसरा ऐसा बड़ा विषय है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। पंजाब सरकार ने भूजल को लेकर एक बड़ी योजना बनाई है। उम्मीद है कि नई सरकार भी इस विषय को प्राथमिक एजेंडे में रखेगी। धान का रकबा घटाने, सीवरेज व उद्योगों के पानी को प्राकृतिक जल स्नेतों में छोड़ने से पहले उसे साफ करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। जल संरक्षण को लेकर फतेहगढ़ साहिब के गांवों में बड़े स्तर पर प्रयास हुए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि नए साल में यह प्रयास पूरे पंजाब में होंगे।
स्वस्थ समाज कोरोना को हराना होगा
पंजाब भी अन्य राज्यों की तरह कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। कोरोना ने लोगों को अपनी सेहत के प्रति सजग रहने के लिए जितना जागरूक किया उतना जागरूक लोग पहले कभी नहीं रहे। बीते साल में सेहत सेवाओं में भी इस चुनौती के कारण न केवल आक्सीजन प्लांट लगे बल्कि कई अन्य सुधार आए। परन्तु कोरोना को हराने के लिए लड़ाई अब भी जारी है। सभी को जिम्मेदारी समझते हुए वैक्सीन की डोज लगवानी होगी। वहीं सरकारी स्तर पर सेहत सेवाओं में जारी सुधारों को जारी रखना होगा। उम्मीद है कि इस साल कोरोना को हम मात दे देंगे।
जनसंख्या नियोजन बेरोजगारी पर नकेल जरूरी
पंजाब को नई सरकार मिल जाएगी। अबकी बार चुनाव में एक मुद्दा यह भी है कि पंजाब से ‘ब्रेन ड्रेन’ हो रहा है। युवा कामकाज की तलाश में पंजाब छोड़ विदेश जा रहे हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है और पंजाब में उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि यह मुद्दा अब राजनीतिक होने लगा है तो उम्मीद की किरण भी दिखाई देने लगी है कि सरकार जनसंख्या नियोजन के लिए कदम उठाएगी। सरकारी नौकरी ही नहीं, स्वरोजगार क्षेत्र में नए विकल्प खुलेंगे। सरकार को प्रयास करने होंगे कि पंजाब के युवा यहीं रहकर अपना भविष्य संवार लें और विदेश जाने की इच्छा ही पैदा न हो।
गरीबी उन्मूलन किसानों की आय बढ़े
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के एक सर्वेक्षण के मुताबिक पंजाब के किसानों की प्रति व्यक्ति मासिक आय 4,449 रुपये है, जबकि गैर कृषि क्षेत्र से जुड़े सामान्य व्यक्ति की आय 21,900 रुपये प्रति व्यक्ति है। यह राष्ट्रीय औसत 11,677 रुपये से लगभग दोगुणा है। 2022 में उम्मीद है कि किसानों की आय दोगुणी हो जाए, क्योंकि किसानों की आय बढ़ने से ही पंजाब की आर्थिकता मजबूत होती है। पंजाब की 60 प्रतिशत आर्थिक स्थति ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी है। किसान की आय बढ़ेगी तो रोजगार बढ़ेगा, किसान आत्महत्याएं घटेंगी और गरीबी उन्मूलन भी होगा।
सुशिक्षित समाज मजबूत आधार की जरूरत
शिक्षा को लेकर राजनीतिक बहस चल रही है। पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने-अपने शिक्षा माडल को बेहतर बता कर एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। उम्मीद है कि 2022 में यह बहस मूर्त रूप लेगी। नई सरकार न केवल स्कूलों का मूलभूत ढांचा मजबूत करेगी, बल्कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी दूर करेगी। उच्च शिक्षा क्षेत्र में लंबे समय बाद नियमित भर्ती हो रही है। अब कोई कानूनी अड़चन नहीं आएगी और कालेजों में खाली पड़े पदों को भी नियमित भर्ती के जरिए भरा जाएगा। इससे पंजाब में शिक्षा का आधार मजबूत होगा।
सौजन्य : दैनिक जागरण
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