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पृथ्वी दिवस पर विशेष

April 22, 2022 By Guest Author

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शहर की पौने तीन लाख आबादी को मिल रहा सिर्फ 1.88 लाख गैलन पानी

विनोद कुमार

Read all Latest Updates on and about विश्व पृथ्वी दिवस

अब बातों से नहीं काम नहीं चलेगा। अब जागना और जगाना बेहद जरूरी है। पठानकोट सहित पूरे प्रदेश में लगातार गिर रहा भूजल स्तर भविष्य में आने वाले खतरे की तरफ इशारा कर रहा है। पांच दरियाओं की धरती पंजाब में हर साल भूजल स्तर तीन से चार फीट तक नीचे गिरता जा रहा है। आज हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि रावी और चक्की दरिया के किनारे भूजल स्तर का 25 से 30 फीट नीचे चला गया है। बात पठानकोट की करें तो पानी जमीन से 150 फीट नीचे तक पहुंच गया है। ट्यूबवेल जवाब देने लगे हैं। पठानकोट और सुजानपुर शहरों में भूजल स्तर की स्थिति बेहद चिताजनक है। पठानकोट में करीब 10 ट्यूबवेलों के नीचे से पानी खत्म हो गया है। शहर में पौने तीन लाख की आबादी को 1.88 लाख गैलन पानी की सप्लाई भी कम पड़ रही है। एक अनुमान के अनुसार अगले 20 साल में पानी 10 से 30 फीट और नीचे चला जाएगा।

प्रत्येक व्यक्ति को रोजाना लगभग 135 लीटर पानी की जरूरत होती हैं, लेकिन शहर में आज भी एक दर्जन से अधिक ऐसे एरिया हैं जहां पर लोगों को 90 से 95 लीटर पानी भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो रहा है। गर्मियों का मौसम शुरू होते ही शहर के मोहल्ला सैली कुलियां, अंगूरा वाला बाग, टीचर कॉलोनी, नत्थु नगर, हाउसिग बोर्ड कालोनी, आनंदपुर रड़ा, भदरोया, बसंत कालोनी, रामपुरा मोहल्ला, प्रीत नगर आदि एरिया में रहने वाले लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा। लोग पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए सबसे अधिक भूजल पर ही निर्भर हैं, लेकिन लोगों की तरफ से जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किए जाने के कारण भूजल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। प्राकृति को हो रहे नुकसान और पेड़-पौधों-पहाड़ों आदि की मात्रा में कमी के कारण बरसात में भी काफी कमी आई है। धरती जितना जल दे रही है, उसे उसके अनुपात में बेहद कम जल मिल रहा है।

चक्की दरिया से सटे क्षेत्र में 40-45 फीट गहरे ट्यूबवेल भी सूख चुके

गिरते जलस्तर के कारण दरिया से सटे 20 गांवों के लोग चितित हैं। अवैध माइनिग के चलते पिछले कुछ वर्षो से लगातार पानी का स्तर गिर रहा है। 20 वर्षों में 40-45 फीट वाले ट्यूबवेल पूरी तरह सूख चुके हैं, जिससे लोग परेशान हैं। दरिया के साथ सटे गांव सिबली गुज्जरा, सिबली जट्टा, कोठे कौंतरपुर, नौशहरा नलंबदा, हिमाचल बस्ती, नौंरगपुर, पवार, घरोटा खुर्द, नाजोचक्क, झलोआ, छावला, अजीजपुर, ढ़ाकी, जंडी, व्यानपुर के लोग परेशान हो रहे हैं। यदि कुछ वर्ष और यही हालात रहे तो भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंच जाएगी। वहीं लोगों को पानी के लिए और परेशानी झेलनी पड़ेगी।

The water level of 20 villages adjacent to the chakki river reached close  to 180 feet - Punjab Pathankot Local News - अवैध माइनिंग के कारण चक्की दरिया  का जलस्तर 180 फीट

रावी दरिया से सटे इलाकों में 30 फीट तक गिरा भूजल स्तर

रावी दरिया से सटे करीब दो दर्जन गांवों में भी भूजल लगातार गिरता जा रहा है। 20 सालों में 30 से 35 फीट पानी नीचे चला गया है। कारण, दरिया के साथ क्रशर लगने व माइनिग के चलते दरिया की गहराई तीस से 35 फीट नीचे चली गई है।इस कारण साथ सटे गांव बेहड़ियां, छन्नी, भदराली, बसरुप, मैरा सहित करीब एक दर्जन गांवों में पीने के पानी का संकट हो गया है। जिन लोगों ने हैंडपंप लगवाए थे उन्हें दोबारा बोर करवाने पड़ रहे हैं। किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा। जिले में 250 नई कालोनियां व 130 लिक सड़कों का हुआ निर्माण

दो दशक पहले जिले में बड़ी मुश्किल से 15 से 20 के करीब ही नई कालोनियां होती थी, लेकिन इन दो दशकों के दौरान 250 से अधिक कालोनियों का निर्माण हुआ है। मजेदार बात यह है कि काटी गई 250 कालोनियों में से 200 के करीब कालोनियां एग्रीकल्चर लैंड पर बनाई गई है। इससे जहां फसलों का रकबा कम हुआ है, आबादी भी बढ़ी है। इसी प्रकार जिले में मंडीबोर्ड, पीडब्ल्यूडी द्वारा 130 के करीब लिक सड़कों का निर्माण करवाया गया है। खेती के लिए पांच हजार हेक्टेयर रकबा हुआ कम

वर्तमान में जिला के अंदर 48,500 हेक्टेयर खेती योग रकबा है। हर साल ये रकबा खत्म होता जा रहा है। कारण, एग्रीकल्चर लैंड पर लगातार कालोनियों का निर्माण करवाया जा रहा है। विभागीय आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पंद्रह साल पहले जिले में 53 हजार हेक्टेयर के करीब खेती योग्य रकबा होता था। कृषि अधिकारी डाक्टर अमरीक सिंह का कहना है कि पानी के गिरते स्तर को देखते हुए विभाग द्वारा किसानों धान सहित अन्य फसलों की सीधी बुआई की नई तकनीकों के बारे में जागरूक किया जा रहा है ताकि भूजल स्तर को बढ़ाया जा सके। 90 फीसद तालाब व कुएं सूख चुके

जिले में लगातार गिरते भूजल के कारण जहां पानी की कमी आ रही है, वहीं जिले के 90 फीसद तालाब और कुएं सूख चुके हैं। औस्तन जिले में 125 के करीब तालाब होते थे। जिसमें से अब 90 के करीब तालाब पूरी तरह से सूख चुके हैं।कुंओं की स्थिति भी इसी प्रकार है।न मात्र कुओं से ही इस समय लोग पानी प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि, कंडी एरिया के लोग ज्यादातर कुंओं पर ही निर्भर है। कंडी एरिया में स्थिति ज्यादार विकराल : एसडीओ

जन सेहत विभाग के एसडीओ संजीव सैनी का कहना है कि जिले में कंडी एरिया में भूजल स्तर सबसे ज्यादा नीचे गया है। पंद्रह साल पहले जहां कंडी एरिया में 30 से 40 फीट पर पानी आ जाता था वहीं अब 80 से 90 फीट पर पानी आ रहा है। कई एरिया में तो 100 फीट से भी ज्यादा नीचे चला गया है। इसका मुख्य कारण चक्की दरिया में जलस्तर नीचे चला जाना है। जिले के बाकी ग्रामीण एरिया में भी 30 से 40 फीट तक जलस्तर चला गया है।

भूजल स्तर गिरने से हो सकता है पानी का बड़ा संकट

लोगों को जागरूक होने की जरूरत: एक्सईएन सतीश

नगर निगम के एक्सईएन सतीश सैनी ने बताया कि नगर निगम की पानी की सप्लाई को लेकर गंभीर है जिसके लिए नगर निगम के पास 72 ट्यूबवेल है। इन ट्यूबवेलों की मदद से लोगों के घरों में पानी पहुंचाया जग रहा है। उन्होंने कहा कि लोग पानी की बर्बादी करते हैं जिसके लिए लोगों को खुद जागरूक होना होगा। बारिश के पानी को बचाना होगा

कम हो रहे पानी की इस समस्या के हल के लिए सबसे बेहतर समाधान यह है कि बारिश के पानी का संरक्षण किया जाए और उसी पानी के जरिये अपनी अधिकतर जल जरूरतों को पूरा किया जाए। अगर प्रत्येक घर की छत पर वर्षा जल के संरक्षण के लिए एक-दो पानी की टंकियां लगा दी जाएं तो वर्षा के पानी का संरक्षण हो सकता है। दैनिक कार्यो में समझदारी से पानी उपयोग करें

जल संरक्षण की व्यवस्थाओं के अलावा अपने रोजमर्रा कार्यों में समझदारी से पानी का उपयोग कर के भी जल संरक्षण किया जा सकता है। जैसे घर का नल बेकार में खुला न छोड़ना, साफ-सफाई आदि कार्यों के लिए खारे पानी या घर में लगे आरओ के वेस्ट पानी का प्रयोग करें।

सौजन्य : दैनिक जागरण


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