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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले का नया पैटर्न

August 3, 2022 By Guest Author

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कट्‌टरपंथियों के निशाने पर हिंदू टीचर; खौफ वहां भी जहां पहले कभी हिंसा नहीं हुई

कट्‌टरपंथियों के निशाने पर हिंदू टीचर; खौफ वहां भी जहां पहले कभी हिंसा नहीं  हुई | Bangladesh Hindu Attack Vs Muslims: Nirmal Chatterjee On Mob Attacks  Temple - Dainik Bhaskar

03 अगस्त, 2022 – ‘हिंदू महिलाएं बिलख रही थीं, घरों और दुकानों में आग लगा दी गई थी। हर चेहरे पर खौफ था। बांग्लादेश के हिंदू दशकों से इस खौफ के साए में जी रहे हैं, लेकिन अब ये दहशत उन इलाकों में भी पहुंच रही है, जहां पहले ऐसा नहीं हुआ था।’

ये कहना है बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल चटर्जी का, जो हाल में हिंसाग्रस्त रहे नड़ाइल जिले के दघाइल गांव का दौरा करके लौटे हैं। यहां दो सप्ताह पहले एक कथित विवादित फेसबुक पोस्ट के बाद हिंदुओं को निशाना बनाया गया था।

निर्मल चटर्जी कहते हैं- हिंदुओं के घरों और दुकानों को लूट लिया गया। महिलाओं के गहने भी छीन लिए गए। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की ये कोई पहली या अकेली घटना नहीं है। इसी साल मार्च में भीड़ ने एक हिंदू मंदिर पर हमला कर दिया था। बाद में प्रशासन ने इसे प्रॉपर्टी विवाद से जुड़ा बताया था।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर बड़े हमले

अक्टूबर 2021 में कई जिलों में हिंदुओं पर हमले हुए थे। दुर्गा पूजा के दौरान हुए इन हमलों में कम से कम दो लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे। मुसलमानों की भीड़ ने कई शहरों में दुर्गा पंडालों पर हमले किए। ये हमले भी कथित तौर पर कुरान के अपमान के आरोप के बाद हुए थे।

कट्‌टरपंथियों के निशाने पर हिंदू टीचर; खौफ वहां भी जहां पहले कभी हिंसा नहीं  हुई | Bangladesh Hindu Attack Vs Muslims: Nirmal Chatterjee On Mob Attacks  Temple - Dainik Bhaskar

साल 2016 में नसीरनगर में हिंदुओं पर बड़ा हमला हुआ था। 19 मंदिर तोड़ दिए गए थे और 300 से अधिक हिंदू घरों को निशाना बनाया गया था। इस हमले में सौ से अधिक लोग घायल हुए थे। इससे पहले 2012 कॉक्स बाजार जिले के रामू उप जिले में अल्पसंख्यक बौद्धों को निशाना बनाकर बड़े हमले किए गए थे। ये हमले भी एक विवादित फेसबुक पोस्ट के बाद ही हुए थे।

2013 में इसी तरह हिंदुओं पर योजनाबद्ध हमले हुए थे और सैकड़ों घरों को निशाना बनाया गया था। बांग्लादेश में मानवाधिकारों और कानूनी अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन आईन ओ सालिश केंद्र के मुताबिक बांग्लादेश में साल 2013 से 2022 के बीच हिंदुओं के 1642 घरों और 456 दुकानों और व्यापारिक ठिकानों पर हमला किया गया।

इसी दौरान 1807 मंदिरों, बौद्ध विहारों और मूर्तियों पर हमला किया गया या उनके साथ छेड़छाड़ की गई। खबरों के आधार पर तैयार किए गए डेटा के मुताबिक इस दौरान सांप्रदायिक हमलों में कम से कम 13 लोग मारे गए और 1037 घायल हो गए।

नड़ाइल में हुए ताजा हमलों के बाद बयान जारी करते हुए आइन ओ सालिश केंद्र ने कहा, ‘ये कोई नई घटना नहीं है। ये घटनाएं बार-बार होती रहती हैं, क्योंकि ना ही ऐसे हमलों की स्वतंत्र जांच होती है और ना ही जांच समय पर पूरी होती है।’

कट्‌टरपंथियों के निशाने पर हिंदू टीचर; खौफ वहां भी जहां पहले कभी हिंसा नहीं  हुई | Bangladesh Hindu Attack Vs Muslims: Nirmal Chatterjee On Mob Attacks  Temple - Dainik Bhaskar

निर्मल चटर्जी कहते हैं, ‘यह कोई एक घटना नहीं है, बल्कि बहुत सी घटनाएं हुई हैं। नड़ाइल में हमलों के बाद पुलिस तैनात की गई और गिरफ्तारियों का भरोसा भी दिया गया। अधिकारियों ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात भी की। सरकार ये दावा कर रही है कि हम बहुत कुछ कर रहे हैं, लेकिन ये काफी नहीं है।’

चटर्जी के मुताबिक अब हिंदुओं को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा के अलग पहलू भी सामने आ रहे हैं। वो कहते हैं, ‘पूर्व में चुनाव से पहले और बाद में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले होते थे। हालांकि, पिछले दस सालों से प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान ऐसा नहीं हो रहा था। अब हाल के दिनों में सांप्रदायिक तत्व फिर से काफी सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने फिर से हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।

नड़ाइल हिंसा के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमानों पर हिंदुओं ने प्रदर्शन किया। यही नहीं, नागरिक समाज के लोग भी इन प्रदर्शनों में शामिल हुए और अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा और हितों की रक्षा की मांग की।

निर्मल चटर्जी कहते हैं, ‘हाल के दिनों में एक अच्छी बात ये हुई है कि बांग्लादेश का नागरिक समाज भी इस तरह के हमलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन हम फिर भी यही कहेंगे कि इस तरह की हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।’

कट्‌टरपंथियों के निशाने पर हिंदू टीचर; खौफ वहां भी जहां पहले कभी हिंसा नहीं  हुई | Bangladesh Hindu Attack Vs Muslims: Nirmal Chatterjee On Mob Attacks  Temple - Dainik Bhaskar

‘हिंदुओं का अस्तित्व वाकई खतरे में है‘

बांग्लादेश के मानवाधिकार कार्यकर्ता और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव राणा दास गुप्ता मानते हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं का अस्तित्व खतरे में है।

राणा दासगुप्ता कहते हैं, ‘बांग्लादेश में हिंदुओं का अस्तित्व खतरे में हैं क्योंकि उनके घरों, मंदिरों, व्यापारिक ठिकानों पर लगातार हमले हो रहे हैं। उनकी जवान लड़कियों का अपहरण किया जा रहा है। हिंदू डरे हुए हैं। उनके सामने अपनी जमीन और घरों को बचाने की चुनौती है। उनके मंदिर और महिलाएं खतरे में हैं।’

2018 में सत्ताधारी आवामी लीग ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था कि अगर वो फिर से सत्ता में आती है तो वह अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून लाएगी, भेदभाव रोकथाम कानून लाएगी और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग गठित करेगी। पार्टी ने द वेस्टेड प्रॉपर्टी रिटर्न एक्ट (शत्रु संपत्ति वापसी अधिनियम) लाने का वादा भी किया था जिसके तहत सरकार द्वारा ली गई हिंदुओं की संपत्ति वापस की जानी थी।’

राणा दासगुप्ता कहते हैं, ‘बांग्लादेश में डेढ़ साल बाद अगले चुनाव हो जाएंगे, लेकिन सरकार ने अब तक अपना पिछला चुनावी वादा ही पूरा नहीं किया है।’

‘अल्पसंख्यकों की सुनने वाला कोई नहीं‘

बांग्लादेश में हाल के सालों में हिंदुओं पर हमलों के पीछे सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ विवाद या धार्मिक पुस्तक के कथित अपमान से खड़े हुए विवाद रहे हैं, लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता मानते हैं कि देश के सक्रिय कट्टरवादी योजनाबद्ध तरीके से हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं।

राणा दास दुप्ता कहते हैं, ‘कट्टरवादी समूह और पार्टियां ही हमलों में शामिल हैं। ये वही ताकतें हैं जिन्होंने 1971 में पाकिस्तान का समर्थन किया था। ये अब सत्ताधारी आवामी लीग में भी घुस गए हैं।’

हिंसा की घटनाएं ना रुकने की वजह बताते हुए वे कहते हैं, ‘अब हमलों के बाद थानों में FIR तो होने लगी है, लेकिन अपराधियों को सजा नहीं मिलती। मामले अदालत में लंबित पड़े रहते हैं। हमलावरों को सजा ना मिलना ऐसे हमले होते रहने की सबसे बड़ी वह है। हमलावरों में कानून का कोई डर नहीं है।’

‘तालिबान के रास्ते पर बढ़ रहा बांग्लादेश‘

बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों की वजह से देश में हिंदू और अल्पसंख्यक आबादी सिमट गई है। राणा दास गुप्ता कहते हैं, ‘इन हमलों का एक बड़ा मकसद हिंदुओं में इतना खौफ पैदा करना है कि वो देश छोड़कर भारत जाने के लिए मजबूर हो जाएं। यही वजह है कि आजादी के समय 29.7 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यकों की थी जो 1970 में 19 प्रतिशत रह गई थी। हिंदुओं का लगातार शोषण होता रहा और 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में अल्पसंख्यकों की आबादी सिर्फ 9.6 प्रतिशत थी जो अब लगातार कम हो रही है।’

राणा दास गुप्ता कहते हैं, ‘इस्लामी कट्टरपंथियों का मकसद देश से अल्पसंख्यक आबादी को खत्म कर इसे तालिबान के रास्ते पर ले जाना है।’

‘हिंदुओं को देश से भगा देना चाहते हैं कट्‌टरपंथी‘

जिहाद वॉच किताब के लेखक और इस्लामी चरमपंथ पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक रॉबर्ट स्पेंसर कहते हैं, ‘ये साफ है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले धर्म से प्रेरित हैं। यहां के मुसलमान हिंदुओं को देश से हमेशा के लिए भगा देना चाहते हैं। वो ये मानते हैं कि इस जमीन पर उनका अधिकार है और इस्लाम के वर्चस्व को बढ़ाना उनकी जिम्मेदारी है। इस बात का सबूत ये है कि मुसलमानों का वहां कभी भी इस तरह से उत्पीड़न नहीं हुआ है।’

संविधान में धर्मनिरपेक्षता भी, लेकिन बस दिखावे के लिए

बांग्लादेश के संविधान के मुताबिक इस्लाम देश का अधिकारिक धर्म है हालांकि संविधान में धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत भी है। राणा दासगुप्ता कहते हैं, ‘जब बांग्लादेश का एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय हुआ, तब 4 नवंबर 1972 को लागू देश के संविधान में धर्म से जुड़ा कुछ नहीं था।

अब संविधान की प्रस्तावना के ऊपर ही बिस्मिल्लाह लिखा है और 1988 के बाद से इस्लाम राज्य का धर्म है। हालांकि, अनुच्छेद 12 के तहत धर्मनिरपेक्षता को राज्य का सिद्धांत घोषित किया गया है। संविधान में भले ही धर्मनिरपेक्षता हो, लेकिन वास्तव में ये कहीं नहीं हैं। सभी राजनीतिक दल कट्टरवादी ताकतों को रिझाने की कोशिश करते हैं।’

बांग्लादेशः हिंदुओं पर हमले के विरोध में कई संगठनों का देशव्यापी प्रदर्शन,  कहा- कब तक सहेंगे हिंसा - Bangladesh nationwide demonstration many  organizations protest against ...

अगले दो साल बेहद नाजुक

नड़ाइल में हुई ताजा हिंसा के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं और हमलों की आलोचना की गई है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को लगता है कि अभी इन हमलों के रुकने का कोई ठोस संकेत नहीं मिल रहा है।

राणा दास गुप्ता कहते हैं, ‘बांग्लादेश में चुनाव के पहले और बाद का समय हिंदुओं के लिए बहुत अहम होता है। इस दौरान ही सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं होती हैं। हमें आशंका है कि अगले दो साल में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के हालात और भी खराब होंगे और ऐसे हमले होते रहेंगे। हम इसे लेकर बहुत डरे हुए हैं।’

हिंदुओं का भरोसा खो दिया पार्टियों ने

हाल ही में नड़ाइल में हुए हमलों के बाद बांग्लादेश की सरकार ने कहा था कि दोषियों को सजा दी जाएगी। सत्ताधारी आवामी लीग के कई नेताओं ने इलाके का दौरा किया और पीड़ित परिवारों को राहत सामग्री भी बांटी। हालांकि, इससे हिंदुओं में विश्वास पैदा नहीं हो रहा है।

निर्मल चटर्जी कहते हैं, ‘स्थानीय सांसद मशर्फे मुर्तजा ने पीड़ित परिवारों की मदद की। सत्ताधारी दल के नेता भी प्रभावित इलाके में गए। सरकार मुआवजा देने की बात कर रही है, लेकिन लोगों को मुआवजा नहीं शांति और सुरक्षा चाहिए।’

हिंदुओं की स्थिति पर बांग्लादेश सरकार का पक्ष जानने के लिए हमने सत्ताधारी आवामी लीग के नेता, स्थानीय सांसद और पूर्व क्रिकेटर मशर्फे मुर्तजा से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हमने बांग्लादेश के कानून मंत्री अनीस उल हक से भी संपर्क किया, उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया।

सौजन्य : दैनिक भास्कर


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