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बीजेपी पंजाब, पंजाबियों और खासकर सिख कौम की इज्जत करती है

February 6, 2022 By News Bureau

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The Punjab Pulse Bureau

पंजाब में विधानसभा चुनाव घोषित हो चुके हैं और 20 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव का मतदान होने हैं। इस बार के चुनाव पंजाब के लिए एक नई चुनौती है। 1947 के बाद पंजाब में ज्यादातर दो ही बड़ी पार्टी चुनाव लड़ती आई है और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस की ही सरकार रही है और शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन लगभग 20 साल से ज्यादा रहा। इस गठबंधन में बीजेपी एक जूनियर पार्टी थी जो कि केवल 23 सीटों पर ही चुनाव लड़ती थी परंतु राष्टीय स्तर पर बीजेपी ही अकाली दल को सहारा देती थी। जिसके कारण पंजाब में अकाली दल का वजूद था। किसान आंदोलन के बाद अकाली दल ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया। जो कि मौकापरस्त फैसला था। गठबंधन टूटने के बाद पंजाब बीजेपी में एक नया उत्साह आया और इस बार के चुनाव में पार्टी ने पूरे पंजाब में अपना एक हस्ताक्षर बनाने की ठान ली और इस दिशा में पुरजोर मेहनत करनी शुरू कर दी।

इसके अलावा पंजाब में आम आदमी पार्टी जिसने वर्ष 2017 के चुनाव में पंजाब में कदम रखा था। इस बार भी वे पूरे जोर के साथ चुनाव में कूट पड़ी है। पंजाब कांग्रेस के अपनी कलह के कारण में फुट पड़ गई है और पार्टी दो टुकड़ों में बट गई और कैप्टन अमरिंदेर सिंह ने मुख्यमंत्री पड़ से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस पार्टी का साथ पूरी तरह से छोड़ दिया और अपनी पार्टी “पंजाब लोक कांग्रेस” खड़ी कर दी और बीजेपी को अपना पूरा समर्थन देने का एलान कर दिया। जिससे कांग्रेस पार्टी में खलबली मच गई।  बादल परिवार की गलत नीतियों के कारण शिरोमणि अकाली दल के भी कई टुकड़े हो गए। जिसमें से सबसे मजबूत हिस्सा “शिरोमणि अकाली दल संयुक्त” उभर कर सामने आया और इसने भी बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा कर दी। बादलों के लिए ये एक बड़ा झटका है। किसान आंदोलन का सहारा लेते हुए किसान नेताओं ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर दिया और वे किसान गठबंधन “संयुक्त समाज मोर्चा” लेकर चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं।

जहां पहले दो बड़ी पार्टियां पंजाब के चुनाव लड़ा करती थी। आज पाँच पार्टी/गठबंधन चुनाव में उतर आई हैं। पंजाब की बदकिस्मती ये है कि पार्टियां तो बढ़ गई पर नई लीडरशिप में कोई अंतर नहीं आया। जबकि आज पंजाब को नई लीडरशिप की जरूरत है। लीडरशिप की कमी की वजह से पंजाब की जनता बहुत निराश है और राजनीति दलों के ऊपर से जनता का विश्वास काम होता जा रहा है। पंजाब के लोग भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी, नशा, माफिया, स्मगलिंग आदि से बहुत परेशान है। इसके अलावा पंजाब में इंडस्ट्री न होने के कारण पूरी निर्भरता एग्रीकल्चर पर ही है। पंजाब में इंडस्ट्री न होने के कारण रोजगार बहुत कम है। जिस कारण पड़े पैमाने में युवा वर्ग पंजाब से विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं।

पंजाब की जनता ऊपर दिए हुए मुद्दों का हल ढूँढना चाहती है। कुछ राजनीति पार्टियां (शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस) इन मुद्दों पर बात करने को ही तैयार नहीं है। क्योंकि उनके पास ऐसी कोई ताकत और जरिया नहीं है जिससे की वो इन मुद्दों का समाधान कर सके। ये सब पार्टियां इंडस्ट्री लाने की, स्मगलिंग बंद करने की, सुरक्षा देने की, पलायन रोकने की, पंजाब का कल्चर बचाने की, किसानों की समस्याओं का समाधान करने की क्षमता नहीं रखती हैं। इस वजह से ये वॉटर को मुफ्तखोरी की ओर ले जा रही हैं और उन्हें मुफ़्त बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि देने और पंजाब की महिलाओं को 2000-2000 रुपए देने के झूठे वादे कर जनता को लुभा रही है।

चुनाव में उत्तरी हुई भारतीय जनता पार्टी और इसकी सहयोगी पार्टियां ही एक मात्र शक्तिशाली गठबंधन है जोकि पंजाब की असली समस्याओं का हल निकालने में पूरी तरह से सक्षम है। ये गठबंधन कर्ज में डूबे हुए पंजाब को दोबारा खुशहाल करने की क्षमता रखता है। ये गठबंधन एग्रीकल्चर के अच्छे दाम दे सकता है और किसानी की आमदनी को बढ़ावा दे सकता है। इस साल के केन्द्रीय बजट में बीजेपी सरकार ने 2.73 लाख करोड़ रुपए की राशि सिर्फ MSP के लिए घोषित की है। इस राशि का सबसे बड़ा फायदा पंजाब के किसानों को ही होगा। इसके अलावा फर्टिलिजर पर सब्सिडी, क्रॉप इनशोरन्स, एग्रीकल्चर में ड्रोन का इस्तेमाल और ऐसे बहुत सारी लाभदायक योगजनाएं केंद्र सरकार ने देशभर में लागू की है जोकि पंजाब के किसानों के लिए भी लाभदायक हैं।

बीजेपी सरकार पंजाब के लोगों के साथ तालमेल बैठ कर ऐसी इंडस्ट्री लाने की क्षमता रखती है जिससे की पंजाब की तरक्की बहुत ही तेज रफ्तार से हो सकती है जिससे की बड़े पैमाने में युवाओं को रोजगार मिलेगा। केन्द्रीय सरकार की बॉर्डर एरिया सुरक्षा की ओर पहले से ही बहुत गंभीर है यदि बीजेपी की सरकार केंद्र और सूबे में होगी तो बॉर्डर पूरी तरह से सील हो जाएगा जिससे की स्मगलिंग, प्रोपोगण्डा आदि बिल्कुल बंद हो जाएगा।

लंबे समय से कुछ बाहरी ताकते पंजाब के माहौल को बिगड़ने में जुटी हुई हैं वे पंजाब की प्राचीन सभ्यता को तोड़ना चाहती है और पंजाब में बसे अलग वर्ग के लोगों के भाईचारे में दरार डालना चाहती हैं। ये पंजाब की बदकिस्मती है कि हिंदुस्तान में कुछ छोटे राजनीति दल हैं जो अपने फायदे के लिए भाईचारे को तोड़ने वाली योजनाओं को चिंगारी दे रही हैं। ये पंजाब ही नहीं पूरे देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। राष्ट्रवादी पार्टी होने के नाते बीजेपी और गठबंधन इस खतरनाक मंसूबे को कामयाब नहीं होने देगी। बीजेपी और गठबंधन पंजाब, पंजाबियत और सब पंजाबियों की एकता को बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है।

हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का पंजाब के साथ और खासकर सिख समुदाय के साथ एक अटूट प्रेम और इज्जत का नाता है। कोई भी ऐसा अवसर नहीं होता जबकि वो आगे बढ़कर पंजाब और सिख कौम की खुशहाली के लिए कदम न बढ़ाएं। यूनाइटेड स्टेट के पलायन के बाद अफगानिस्तान में आग लगी हुई थी तो मोदी सरकार ने वहाँ बसे सभी सिखों को सुरक्षित भारत में लेकर आई और साथ ही वहाँ के गुरुद्वारा साहिब में विराजमान कई श्री गुरु ग्रंथ साहिब से स्वरूप को पूरे मान सम्मान के साथ भारत लेकर आए।

इससे पहले मोदी सरकार ने सभी पंजाबियों खासकर सिख कौम की भावनाओं की कदर करते हुए करतारपुर कॉरीडोर खोला। मोदी सरकार के इस फैंसले से पूरे पंजाब और विश्व के सिख समुदाय में खुशी की लहर देखने को मिली।

कई वर्षों से विदेशों में जूझ रहे 350 ऐसे सिख थे जिनपर कांग्रेस सरकार ने आतंकवादी होने का लांछन लगाया था और वो अपने देश हिंदुस्तान नहीं आ सकते थे। मोदी सरकार ने उनके सिर से ये लांछन उतार उन्हें हिंदुस्तान में आने की अनुमति प्रदान की और उनका खुलेदिल से स्वागत किया।

पिछले कुछ सालों में श्री गुरु नानक देव जी की 550 वीं वर्षगांठ और श्री गुरु तेग बहादुर जी की 450 वीं वर्षगांठ आई। इन इतिहासिक पर्वों को पूरे जोरशोर और मर्यादा के साथ मनाने के लिए पीएम मोदी जी खुद आगे खड़े हुए और देश-विदेश में पंजाब के गुरुओं की जानकारी देने और उनके मान सम्मान के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।

ऐसे कई उदाहरण है कि जहां बीजेपी ने खासकर पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी ने पंजाब और सिख कौम के लिए जो भी बन पाया वे खुलेदिल से किया। यहाँ तक कि केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए तीन खेती कानून लेकर आई थी उनको भी पंजाब के किसानों की भावनाओं की कदर करते हुए तीनों बिल रद्द कर दिए। अब देखना ये है कि किसानों की हितैषी बताने वाली किसान यूनियन किसानों के हित में क्या करेंगे जिससे कि किसानों की आर्थिक स्तिथि में सुधार आए और किसी भी किसान को आत्महत्या न करनी पड़े।

बीजेपी पंजाब, पंजाबियों और खासकर सिख कौम की इज्जत करती है बहुत मान सत्कार करती है। ये एक ऐसी पार्टी है जोकि पंजाब को दिल से खुशहाल देखना चाहती है और इस उदेश्य की ओर सब कुछ करने को तैयार है। सूबे में बीजेपी की सरकार हो या न हो केन्द्रीय सरकार फिर भी पंजाब के प्रति अपनी प्रेम और श्रद्धा कभी कम नहीं होने देगी। यदि केन्द्रीय सरकार के साथ-साथ बीजेपी की सरकार सूबे में आ जाती है तो ये जो तरक्की का दौर है ये दुगनी रफ्तार में आगे बढ़ेगा।


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