डॉक्िर करमजीत लसंह
भारत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संग के गुप्त काययसूची के बारे में काफ़ी दुष्ट्रचार ककया जाता है और यहााँ तक क़ी पढे लिखे वगय में भी एक आशंका हो जाती है कक क्या सच है और क्या झूठ है।परंतु ककसी भी संस्था या व्यक्क्त का असिी ककरदार कठठन परक्स्थतीयो में सामने आता है। आज करोना वाइरस से उपजी वैक्ववक महामारी के कारण पूरी मानव जातत के सामने उभरी चौनोतीयो के सम्बन्ध में माननीय मोहन भागवत जी का संदेश आया हे क्जससे काफ़ी संदेह दूर हो जाते है।
उन्होंने इस महामारी से बचने के लिए पूरे देशवालसयों को सकारात्मक दृक्ष्ट्िकोण रखते हुए सरकार द्वारा ठदए हुए तनदेशो का पूरे अनुशासन से पािन करने का तनवेदन ककया है । इस आपदा क़ी घढी में उन्होंने तनस्स्वाथय भाव से ज़रूरतमंदो क़ी सहायता को सवायठदक महत्वपूणय काम एवं कतयव्य माना है।
हमारे सभी धमय ग्रन्थ भी मनुष्ट्य को तनष्ट्काम भाव से मानव जाती क़ी सेवा का संदेश देते है। गुरबानी में ‘ककरत करो, नाम जपो, वंड़ शकों’ के मूि रूप में इसी भावना का रसार ककया है।लसख गुरुओं ने हमें तनस्वाथय सेवा का संदेश ठदया,धमय क़ी ककरत करने क़ी रेरणा दी और ज़रूरतमंदो क़ी सहायता करने के लिए रेररत ककया।
माननीय भागवत जी ने भी यही कहा कक संघ एवं ककसी भी सामाक्जक संगठन को इस समय लसफय और लसफय तनस्स्वाथय भाव से ज़रूरतमंदो क़ी सेवा को ही सबसे बड़ा धमय एवं पूनय कमय मानना चाठहए क्योंकक यह वतयमान समय क़ी सबसे बड़ी मााँग है परंतु सेवाकमीयो को याद रखना होगा के वे देश के सब नागररकों को एक समान दृक्ष्ट्ि से देखते हुए पूणय समपयण भाव से उनक़ी सहायता करे क़ियोके क्यूाँकक मनुष्ट्य ईववर क़ी रचना है इसलिये ककसी में भी भेद भाव नहीं होना चाठहए।
गुरबानी में भी लिखा गया है ‘मानव क़ी जात सबे इक पहचानो ‘
भागवत जी ने कहा कक आपदा ऐव घोर संकि के समय में हमें उन शरारती ऐव असामाक्जक तत्वों से भी सचेत रहना हे, जो मानवता के शत्रु हे, और यठद कुछेक शरारती िोग कोई ग़ित हरकत करते भी हे, तो हमें उस धमय या समुदाय के सभी िोगों को दोषी नहीं मान िेना चाठहए । ऐसे करना अन्याय होगा ।
उन्होंने िोगों को िाक्डाउन के दौरान बेहद धैयय, शांतत ऐवं अनुशासन में रहने क़ी सिाह दी तथा यह भी संदेश ठदया कक अपने पररवार के साथ रहकर पूरे समाज के रतत पररवार जैसा सद्दभाव ऐवं रेम करना चाठहए । हमारी भारतीय संस्कृतत जो कक पूरे वववव को एक कुिुम्ब मानती हे, उसी भावना से रेररत हो कर यह समय तनस्वाथय भाव से समाज क़ी सेवा करने का हे ।
भागवत जी ने पयायवरण का सरांक्षण, जोववक खेती, स्वदेशी उत्पादों का रयोग करने पर ज़ोर ठदया । उनके अनुसार भारत सरकार द्वारा आयुष मंत्रािय क़ी गाइड्िाइन का पािन करना बेहद िाभकारी होगा । यह समय बहभीत, अधीर, ववचलित ऐवं चचंतायुक्त होने का नहीं, अवपतु धैयय, लसथरता तथा सतकयता से आगे बढने का हे । भागवत जी के रेरणात्मक ववचार तनक्वचत रूप से इस महामारी से जूझ रहे पूरे देश को रेररत करने वािे हे ।
ये ववचार जन कल्याण क़ी भावना, तनस्स्वाथय सेवा और पूरे मनोयोग ऐवं अनुशासन से करोना क़ी महामारी से िड़ने के लिए रेररत करते है। इससे तनक्वचत रूप से ऐक बेहद सकारात्मक ऊजाय व ववचारों का रचार-रसार होगा ।
(डॉक्िर करमजीत लसंह, रेक्जस्रार, पंजाब यूतनवलसयिी, चण्डीगढ)
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