Bureau Report
शहरों की व्यस्त दिनचर्या में जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी परिवारिक जिम्मेदारी को निभाने की जदोजहद में उलझा हुआ है वहीं चाह कर भी वह गौ माता की सेवा में समय देना तो दूर, गौशाला भी नहीं जा पता। इसके विपरीत अधिकतर गौशालाएं दान आश्रित होतीं हैं तथा दानी सज्जनों के सहयोग से ही चलतीं हैं और अगर लोग गौशाला ही नहीं जाएंगे तो दान कहां से आएगा। दान के अभाव में गौओं को भूखा रहना पड़ेगा। यहीं स्थिति थी, मोहाली में 2013 में नई बनी सरकारी गौशाला की, जिसमें लगभग 1000 बेसहारा गौवंश को सड़कों से लेकर रखा गया था तथा गौशाला ऐसे स्थान पर थी कि चाह कर भी कोई इंसान ठूंठ ना सके अर्थात शहर से अलग, अंदर जाकर, जहाँ कोई आता जाता नहीं था।
इन सभी समस्या के समाधान के लिए मोहाली शहर में एक पहल करते हुए गौ ग्रास सेवा समिति का गठन किया गया। समिति द्वारा मंदिर कमेटियों, धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं तथा सम्पूर्ण समाज के सहयोग से 12 महीने- 12 आयोजन अर्थात हर महीने अलग-अलग कार्यक्रमों जैसे श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गोपाष्टमी, गौकथा, कारसेवा, वृक्ष रोपण आदि के माध्यम से लोगों को गौशाला लाने का प्रयास किया। परन्तु इच्छा अनुरूप परिणाम ना मिलने पर समिति ने तह किया कि गौशाला को ही लोगों तक जाना पड़ेगा।
पुरातन काल में सभी घरों में पहली रोटी गौ माता के लिए निकाली जाती थी। पुराणों के अनुसार गौमाता के शरीर में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है तथा गौ माता के लिए निकाली गई पहली रोटी 33 कोटि देवी-देवताओं के भोग के लिए होती है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार लोहे के तवे पर बनाई गई पहली रोटी में आयरन एवं कार्बन की मात्रा अधिक होती है जो मानव शरीर के लिए नुकसानदायक अपितु गौ माता के लिए लाभदायक होती है। इसीलिए हमारे पूर्वजों ने गौमाता के धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व को समझते हुए पहली रोटी गौमाता को देने के लिए सम्पूर्ण समाज को प्रेरित किया था। समिति ने तह किया कि वह भी पहली रोटी गौमाता के लिए सुविचार को लोगों तक लेकर जाएगे तथा लोगों द्वारा गौमाता के लिए दी गई पहली रोटी को लेकर गौशाला पहुचाएंगे।
इसकी पहल 19 जुलाई, 2015 को समिति द्वारा फेज़-5, मोहाली में रह-रहे लोगों के सहयोग से गौ ग्रास रेहड़ी के माध्यम से की गई। आज समिति द्वारा मोहाली शहर में कुल तेरह गौ ग्रास रेहड़ियों का संचालन सैक्टर अनुसार किया जा रहा है। सभी गौ ग्रास रेहड़ियों में गौ माता के भजन लगे होते हैं, जो डोर-बेल का काम करते हैं, जिनकी आवाज सुनकर लोगों को पता लग जाता है कि रेहड़ी आ गई है तथा आस-पास के घरों के लोग रखा हुआ गौ ग्रास बड़े ही श्रद्धा भाव से रेहड़ी में लगे ड्रमों में डाल देतें हैं। लगभग पांच मिनट रुक कर रेहड़ी आगे बढ़ जाती है तथा हर पांच-पांच घरों के बाद रुक कर इसी प्रकार रेहड़ी अपना पूरा सैक्टर कवर करने के पश्चात एकत्र हुआ गौ ग्रास लेकर गौशाला चली जाती है। इस प्रकार प्रत्येक गौ ग्रास रेहड़ी प्रतिदिन प्रातः 8:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक घर-घर जाकर गौ माता के लिए गौ ग्रास अर्थात पहली रोटी, गुड़, चोकर,
छानबुरा, फलों-सब्जियों के छिलके आदि एकत्र कर गौशाला पहुँचाती है। समिति द्वारा गौ ग्रास रेहड़ियों के माध्यम से मोहाली के फेज़-1, 2, 3ए, 3बी1, 3बी2, 4, 5, 6, 7, 11, सैक्टर-56, 57, 66, 67 शाहीमाजरा, बलौंगी आदि अर्थात शहर का 60 फीसदी हिस्सा कवर किया जा रहा है। इस प्रकार समिति ने प्रत्येक सैक्टर/फेज़ में लगभग 2000 परिवार को गौ माता की सेवा के साथ जोड़ने का सफल प्रयास किया है। गौ ग्रास रेहड़ियों की सेवा द्वारा एक तरफ जहां लगभग 200 गायों के लिए प्रतिदिन चारा गौशाला पहुंच रहा है वहां दूसरी तरफ समिति द्वारा किए जा रहे सेवा कार्य के माध्यम से कई परिवार की रोजी-रोटी भी चल रही है। इसके साथ ही लोगों के घरों की रसोई में बचे हुए फलों-सब्जियों के छिलके कूड़े का ढेर बनने की बजाए गायों के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल होकर शहर की स्वच्छता को बढ़ाने में बड़ा योगदान दे रहे हैं। मोहाली नगर निगम द्वारा भी कई अवसरों पर समिति द्वारा किया जा रहे कार्यों की सराहना की गई है।
बीते दो वर्षों में समिति ने लोगों को गौ सेवा से जोड़ने के लिए स्थानीय मंदिर कमेटियों के सहयोग से प्रत्येक सैक्टर/फेज़ जहां-जहां गौ ग्रास रेहड़ियां चलती हैं वहां-वहां एक दिवसीय गौ कथा श्रृंखला का आयोजन किया था, जिसमें श्रीमान चंद्रकांत जी, गौ सेवा संयोजक, पंजाब द्वारा मोहाली शहर में अलग-अलग स्थानों पर कुल चौहदां गौ-कथाओं के माध्यम से लगभग तीन हजार परिवार को गौ माता के धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व के बारे में जानकारी देकर गौ सेवा से जोड़ा गया। उन्होंने गौकथाओं द्वारा भारतीय देसी गौमाता के पंचगव्य दूध, दही, घी, गौमूत्र एवं गोबर के औषधीय गुणों बारे में जानकारी देकर मानव कल्याण के लिए अधिक से अधिक उपयोग करने पर बल दिया। आज इन सभी स्थानों पर गौभक्तों की बड़ी बड़ी टीमें बन गई हैं जो रात दिन गौसेवा में सभी प्रकार के कार्य करने की लिए तत्पर हैं।
इसी के साथ- साथ गौ ग्रास सेवा समिति, मोहाली पिछले छः महीने से ट्राइसिटी तथा इसके साथ लगते इलाकों में दुर्घटनाग्रस्त एवं बीमार गायों के उपचार तथा नजदीकी गौशाला में पहुँचने के लिए गौ सेवा वाहन COW AMBULANCE का संचालन भी कर रही है। समिति द्वारा दुर्घटनाग्रस्त एवं बीमार गायों की जानकारी देने के लिए दिए गए नंबर 73802-73902 पर प्रतिदिन लगभग तीन से चार कॉल रहती हैं। दुर्घटनाग्रस्त एवं बीमार गौवंश को अधिकतर लगतार लंबे समय तक बार-बार उपचार की आवश्यकता रहती है, जिसके लिए उन्हें गौशाला में लेकर जाना अति जरूरी रहता है, परन्तु गौशालाओं में केवल प्राथमिक उपचार के अतिरिक्त कोई अन्य डॉक्टरी सुविधा उपलब्ध ना होने तथा पहले से गौशाला भारी होने अर्थात गौवंश को रखने के लिए पर्याप्त स्थान ना होने का हवाला देकर लेने से मना कर दिया जाता हैं। सरकारी पशु चिकित्सालयों में केवल और केवल ऑफिसियल टाइमिंग पर ही थोड़े बहुत इलाज की व्यवस्था रहती है तथा छुट्टी के दोनों में या रात के समय सरकार द्वारा उपचार हेतु कोई प्रबन्ध नहीं है। गौ सेवा के काम को गति देने तथा आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए समिति द्वारा दानी सज्जनों के सहयोग से 24×7 राउंड दा क्लॉक हॉस्पिटल बनाने का निर्णय लिया गया है। समिति हॉस्पिटल के लिए दानी सज्जनों के सहयोग से मोहाली या मोहाली के नजदीकी क्षेत्र में कम से कम दो एकड़ ज़मीन लेकर इमारत/शेड तैयार करेगी तथा गायों के उपचार हेतु अनुभवी डॉक्टरों की टीम, सर्जन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे आदि सभी प्राप्त की सुविधाओं के साथ-साथ 50 गायों के रख-रखाव की व्यवस्था करेगी। समिति सम्पूर्ण समाज को दुर्घटनाग्रस्त एवं बीमार गयों के उपचार हेतु बनाने जा रहे हॉस्पिटल के लिए अधिक से अधिक सहयोग करने की अपील करती है तथा गौ माता के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करने का आग्रह करती है।
गौ ग्रास सेवा समिति प्रत्येक माह के लेखे-जोखे का सारा हिसाब व्हाट्सएप एवं फेसबुक पेज के माध्यम से माह के पहले हफ्ते में सार्वजनिक रूप से उजागर करती है तथा वर्ष में एक बार बड़ी बैठक करके सभी गौभक्तों को वार्षिक लेन देन एवं समिति द्वारा किया जा रहे कामों से अवगत करवाती है। समिति का मासिक खर्च जो लगभग 1,50,000/- रुपये है, सभी सैक्टरों/फेज़ों के गौभगत अपनी अपनी जिम्मेदारी समझकर दानी सज्जनों के सहयोग से एकत्र करते हैं। इस प्रकार समिति के खाते में दो माह का एडवांस खर्च हमेशा बकाया रखते हुए प्रत्येक माह के लिए पैसे एकत्र किए जाते हैं। सबसे बड़ी बात समिति किसी से पैसे नहीं मांगने जाती अपितु समिति के कार्यों के आधार पर लोग स्वयं ही आगे आ कर सहयोग करते हैं। गौमाता की कृपा से पिछले छः वर्षों में कभी भी समिति को खर्च के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़े।
test