इन मार्गों पर रियल टाइम निगरानी रखने तथा अनधिकृत पहुंच को रोकने के लिए सभी पंजीकृत तीर्थयात्रियों और सेवा प्रदाताओं के लिए आरएफआइडी-आधारित ट्रैकिंग प्रणाली शुरू की गई है। लाइव फीड के माध्यम से यात्रा मार्ग की चौबीसों घंटे निगरानी द्वारा तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। यात्रा के दोनों बेस कैंप बालटाल और चंदनवाड़ी में 100 बिस्तरों वाले अस्पताल शुरू किए गए हैं।
मनोज सिन्हा
जम्मू-कश्मीर की हिमालय पर्वत शृंखला में 13,000 फुट पर स्थित महादेव का तीर्थ समस्त तीर्थों का सार है। अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने देवी पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। अप्रैल में पहलगाम में पाकिस्तान-समर्थित आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की बर्बर हत्या के पश्चात आपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिलाकर एक बड़ा संकेत दिया था।
पहलगाम आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर को दशकों पीछे धकेलने की भी साजिश थी। इसलिए इस साल की तीर्थयात्रा जम्मू-कश्मीर के सपनों को नया अवसर प्रदान करेगी। इस वर्ष यात्रा से पूरे विश्व को यह संदेश जाएगा कि भारत न केवल जम्मू-कश्मीर के तीव्र विकास के लिए समर्पित, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आतंकियों के अंत के लिए भी दृढ़-संकल्पित है। छह जून को कटरा में भी वही संकल्प नजर आया था। प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर स्थित विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का लोकार्पण कर संदेश दिया था कि अब भारत की प्रगति के पहिये नही थमेंगे और आतंकियों के संहार के साथ-साथ विकास का तीव्र प्रसार भी होता रहेगा।
जम्मू-कश्मीर के राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ाव के साथ ही यहां 70 साल से भेदभाव से ग्रस्त समाज को मुख्यधारा में लाया गया। पिछले पांच वर्षों में आमूलचूल परिवर्तन, सर्वस्पर्शी और समावेशी विकास के संकल्प ने राज्य की दशा-दिशा बदली है। औद्योगिक निवेश तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर का कायाकल्प हुआ है। सभी के लिए समान आर्थिक अवसर सुनिश्चित किए गए हैं। शासन ने लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाया है। ऊर्जा, वित्तीय संसाधन, कृषि एवं किसान, शिक्षा, युवाओं और महिलाओं के सशक्तीकरण तथा स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार ने जम्मू-कश्मीर को बड़े लक्ष्य गढ़ने और उन्हें प्राप्त करने की सामर्थ्य प्रदान की है।
वक्त ने करवट बदली है और अब आम कश्मीरी आतंकवाद के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है। इसके पीछे संयम और धैर्य के साथ जम्मू कश्मीर को आतंक-मुक्त करने के प्रयासों की अहम भूमिका रही है। पहलगाम आतंकी हमले के पश्चात पाकिस्तान के खिलाफ वादी की सड़कों पर आम नागरिकों का गुस्सा इसका संकेत है कि जम्मू-कश्मीर अपनी नई भाग्य रचना कर रहा है। पिछले पांच वर्षों में कश्मीर घाटी में बच्चे राष्ट्रगान की गूंज सुनते हुए बड़े हुए हैं। नई पीढ़ी की चेतना अतीत के बोझ से मुक्त है।
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जो बदलाव अर्जित किया, वह इस केंद्रशासित प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत बड़ी पूंजी है। बुनियादी ढांचे को आधुनिक स्वरूप प्रदान कर तथा जम्मू कश्मीर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को भव्यतम रूप देकर प्रशासन ने पिछले पांच वर्षों में नई गौरवगाथा लिखी है। सपनों और सुविधाओं में फासला कम हुआ है। उज्ज्वल भविष्य की आतुरता ही अब जम्मू-कश्मीर की ताकत है। व्यापक परिवर्तन अमरनाथ यात्रा के आयोजन में भी प्रतिबिंबित हो रहा है।
2024 में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए थे। 12 वर्षों में तीर्थयात्रा का यह सबसे बड़ा आंकड़ा था। श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड द्वारा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए जीरो लैंडफिल दृष्टिकोण अपनाया गया है। आज देश भर के सांस्कृतिक-आध्यात्मिक समारोहों के लिए इसे एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाने लगा है। 2022 से 2024 के बीच यात्रा मार्गों पर काफी सुधार कार्य किए गए हैं। पवित्र गुफा तक जाने वाले दोनों मार्गों पर 12 फीट तक चौड़ा यात्रा मार्ग बनाया गया है।
इन मार्गों पर रियल टाइम निगरानी रखने तथा अनधिकृत पहुंच को रोकने के लिए सभी पंजीकृत तीर्थयात्रियों और सेवा प्रदाताओं के लिए आरएफआइडी-आधारित ट्रैकिंग प्रणाली शुरू की गई है। लाइव फीड के माध्यम से यात्रा मार्ग की चौबीसों घंटे निगरानी द्वारा तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। यात्रा के दोनों बेस कैंप बालटाल और चंदनवाड़ी में 100 बिस्तरों वाले अस्पताल शुरू किए गए हैं। 2022 से पहले यात्रा मार्गों पर बिजली आपूर्ति नहीं थी। श्राइन बोर्ड ने सभी मार्गों और पवित्र गुफा में ग्रिड द्वारा बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित किया है। निर्बाध टेली-कनेक्टिविटी के लिए दोनों यात्रा मार्गों पर भूमिगत आप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है। इससे यात्रा की सुगमता बढ़ी है।
हालांकि इस वर्ष हेलीकाप्टर सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। चूंकि पिछले कुछ वर्षों में केवल आठ प्रतिशत श्रद्धालुओं ने ही हेलीकाप्टर सेवाओं का उपयोग किया था, इसलिए इस निर्णय से यात्रा पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। निजी वाहनों से आने वाले तीर्थयात्रियों से मैं आग्रह करता हूं कि वे जम्मू से बेस कैंप तक केवल काफिले के साथ ही यात्रा करें। समाज में शांति एवं करुणा का अविच्छिन्न प्रवाह हो, यही मेरी कामना है।
(लेखक जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं)
सौजन्य : दैनिक जागरण
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