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कंगाली के बावजूद भारत में घुसपैठ करने से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान

June 9, 2023 By Guest Author

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Pakistan: कंगाली के बावजूद भारत में घुसपैठ के लिए 15 करोड़ रुपये और ड्रोन भेजने पर खर्च रहा 3 करोड़ रुपये

Pakistan:कंगाली के बावजूद भारत में घुसपैठ के लिए 15 करोड़ रुपये और ड्रोन  भेजने पर खर्च रहा 3 करोड़ रुपये - Pakistan Terrorism: Pakistan Spending Rs 15  Crore On Infiltration And Rs

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के बारे में कहा जाता है कि 75 वर्षों में वह अपनी सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। एक तरफ महंगाई आसमान छू रही है, तो दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत पैकेज भी नहीं मिल सका है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार, निचले स्तर पर पहुंच गया है। पाकिस्तान की नेशनल अकाउंट कमेटी ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर का अनुमान 0.29 फीसदी बताया है। ऐसे विकट हालात में भी पाकिस्तान, आतंकवाद पर पैसा खर्च कर रहा है। आर्थिक मार के बावजूद भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान 15 करोड़ रुपये सालान खर्च करता है। इतना ही नहीं, भारतीय सीमा में रोजाना जो ड्रोन आ रहे हैं, उनकी लागत पर भी पाकिस्तान लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।

मुखौटे वाले स्नाइपर और बॉर्डर एक्शन टीम

सुरक्षा बलों के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी आईएसआई और उसके गुर्गे आतंकी संगठन, भारतीय सीमा में लगातार घुसपैठ करने का प्रयास करते रहते हैं। हालांकि अधिकांश मौकों पर भारतीय सुरक्षा बल, घुसपैठ को असफल कर देते हैं। मौजूदा समय में बॉर्डर पर सीजफायर होने के बावजूद पाकिस्तानी सेना, रेंजर्स और आईएसआई के साथ मिलकर आतंकियों की घुसपैठ कराती है। लगभग डेढ़ दशक से पाकिस्तानी सेना ने मुखौटे वाले स्नाइपर और बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) को सीमा के आसपास तैनात कर रखा है। बैट में आतंकी संगठनों के सदस्य शामिल होते हैं। इन्हें पाकिस्तानी सेना की ओर से एक तय राशि दी जाती है। अगर ये भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाने में कामयाब रहते हैं, तो कुछ इन्सेटिव मिलता है। भारतीय सेना या बीएसएफ की जवाबी फायरिंग में ये लोग मारे जाते हैं तो इन्हें शहीद का दर्जा और 12 लाख रुपये मिलते हैं। सम्मान के साथ इनका अंतिम संस्कार होता है।

BSF shot down Pakistani drone carrying narcotics near International border  in Punjab, bsf shot down pakistani drone carrying narcotics near  international border in punjab

ट्रेनिंग देकर आतंकियों को घुसपैठ कराई जाती है

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान सीमा से जिन आतंकियों की घुसपैठ कराई जाती है, उन्हें भी करीब दस लाख रुपये मिलते हैं। कश्मीर घाटी और उसके दूसरे हिस्सों की बात करें तो मौजूदा समय में 120 से अधिक विदेशी मूल के यानी पाकिस्तानी आतंकी सक्रिय हैं। जम्मू-कश्मीर में करीब 70 स्थानीय आतंकी भी हैं। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान में ट्रेनिंग देकर आतंकियों को भारतीय सीमा में भेजा जाता है। इन पर भारी धनराशि खर्च होती है। वर्तमान में पाकिस्तान के जितने आतंकी, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं, उन पर सालाना तकरीबन 15 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। हालांकि अब इस मामले में पाकिस्तानी आईएसआई को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। एक तो घुसपैठ आसानी से नहीं हो पा रही और दूसरा अपना खर्च बचाने के लिए आईएसआई को जम्मू कश्मीर में लोकल आतंकी नहीं मिल रहे हैं। स्थानीय स्तर पर आतंकियों की भर्ती पर लगभग ब्रेक लग चुका है।

पाकिस्तान को चीन से मिलते हैं सस्ती दरों पर पुर्जे

इन सबके बीच पाकिस्तान की तरफ से जम्मू-कश्मीर और पंजाब में हथियार व ड्रग्स के पैकेट लेकर आने वाले ड्रोन की संख्या में एकाएक तेजी आ गई है। पहले सप्ताह में एक-दो ड्रोन आते थे, अब एक ही दिन में कई ड्रोन आने लगे हैं। पाकिस्तान से लगते बॉर्डर के विभिन्न हिस्सों पर इस साल अभी तक सौ से अधिक ड्रोन देखने को मिले हैं। अधिकांश ड्रोन मार गिराए गए हैं। पाकिस्तान एक साथ ‘3600’ ड्रोन को कंट्रोल करने का फॉर्मूला चीन से लेने का प्रयास कर रहा है। बॉर्डरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ बॉर्डर सिक्योरिटी स्ट्डीज के फाउंडिंग डायरेक्टर, प्रोफेसर आईआईटी दिल्ली एवं एडवाइजर आईआईटी मुंबई, डॉ. आर के अरोड़ा ने कहा, पाकिस्तान से भारत में भी जितने भी ड्रोन आते हैं, वे ज्यादातर असेंबल किए होते हैं। पाकिस्तान को चीन से सस्ती दरों पर पुर्जे मिल जाते हैं। इन्हें पाकिस्तान में जोड़ कर ड्रोन तैयार किया जाता है। चाइनीज पुर्जो के जरिए डेढ़ से दो लाख रुपये में एक ड्रोन तैयार हो जाता है। पंजाब सेक्टर में बीएसएफ द्वारा मार गिराए गए अनेक ड्रोन ‘क्वैडकॉप्टर डीजेआई मेट्रिक्स 300आरटीके सीरिज’ के रहे हैं। ड्रोन का फ्लाइंग टाइम और भार सहने की क्षमता पर कीमत तय होती है। अगर साल में सौ ड्रोन भी मार गिराए जाते हैं तो इनकी कीमत 3 करोड़ रुपये होती है।

Pakistan:क्या चीन ने पाक को सौंपा '3600' ड्रोन को कंट्रोल करने का राज,  'अबाबील' और 'पंजाब' की इनसाइड स्टोरी - Is China Supporting Pakistan In  Drone War Against India Know All Details -

आसान काम नहीं, फायरिंग के जरिए ड्रोन गिराना

भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के विकसित देश भी ड्रोन को मार गिराने की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ‘एआई’ तकनीक पर काम कर रहे हैं। डॉ. अरोड़ा ने बताया कि अमेरिका और इस्राइल के पास घातक ड्रोन तो हैं, लेकिन ड्रोन को आने से रोकना या उसे तकनीक के जरिए मार गिराना, ये अभी तक सौ फीसदी संभव नहीं हो सका है। भारत में भी ऐसा तकनीकी सिस्टम विकसित करने पर काम चल रहा है। एंटी ड्रोन तकनीक, टनल का पता लगाना और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सर्विलांस, इसके लिए बीएसएफ ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसे ‘बीएसएफ हाईटेक अंडरटेकिंग फॉर मैक्सिमाइजिंग इनोवेशन’ (भूमि) का नाम दिया गया है। अभी जैमर लगाने वाला सिस्टम है, लेकिन ड्रोन की रेंज भांपकर उसकी फ्रीक्वेंसी बदल दी जाती है। इससे जैमर काम नहीं करता। फायरिंग के जरिए ड्रोन को गिराना, ये कोई आसान काम नहीं है। रात और धुंध में ड्रोन दिखाई ही नहीं पड़ता। ऐसे में सैंकड़ों फायर खाली चले जाते हैं।

रडार प्रणाली की पहुंच से दूर हैं क्वैडकॉप्टर ड्रोन

इंडियन स्पेस एसोसिएशन के डीजी ले.जनरल (रि) एके भट्ट ने गत दिनों एक कांफ्रेंस में कहा था, आर्मी, एयरफोर्स, बीएसएफ और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के पास अभी ऐसे तकनीकी उपकरणों का अभाव है, जिनकी मदद से ड्रोन को समय रहते गिराया जा सकता है। क्वैडकॉप्टर जैसे छोटे साइज वाले ड्रोन मौजूदा रडार प्रणाली की पहुंच से दूर हैं। छोटे ड्रोन का झुंड हो तो भी पता नहीं लगता, बड़ा ड्रोन ही रडार की जद में आ सकता है। ड्रोन काउंटर के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना होगा। चीन अपने मिलिट्री ड्रोन के जरिए जल, थल और वायु सटीक सर्विलांस करता है। इसके लिए उसने 72 सैटेलाइट तैयार किए हैं। युद्ध पोतों पर उसकी नियमित नजर रहती है। पाकिस्तान के पास बायरकटार टीबी-2 ड्रोन, चीन निर्मित डीजेआई मैट्रिस-300, सीएच-4 यूसीएवी, अनमैन्ड कॉम्बैट एरियल व्हीकल (यूसीएवी) भी हैं, इसके मद्देनजर भारत को अपना एंटी ड्रोन सिस्टम तैयार करना होगा।

सौजन्य : अमर उजाला


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