रजिन्द्र बंसल
दिल्ली विधानसभा सभा चुनाव 2025 में सभी पोल पंडित स्थानीय परिस्थितियों,लोगों का मूढ़, पिछली हार जीत में वोट के अनुपात का आकलन तो कर रहे हैं पर दिल्ली में अक्समात वोटर घटने बढ़ने का आकलन नहीं कर रहे।
किसी भी क्षेत्र में वोटों की एक सामान्य संख्या बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। पर 2013 के बाद 2020त क वोटरों की संख्या में बढ़ावा स्वाभाविक नहीं लगता। चाहे उसे पूरी दिल्ली के हिसाब से देखें या विधान सभा क्षेत्र के अनुसार जैसे दोनों बार लोक सभा चुनाव के बाद दोनों विधानसभा चुनाव के नये वोट जुड़ने के 9माह के अंतरिक्ष में 2015 में करीब 5 लाख 97 हजार लाख व 2020 में 4 लाख 58 हजार नये वोटर जुड़े वह स्वाभाविक प्रक्रिया नहीं लगती।
दोनों चुनावों में इसका बड़ा लाभ भी आम आदमी पार्टी को मिला। 2015 में जिस जींस सीट पर जितने वोटर बढ़े, उन सीटों पर कांग्रेस के कम हुये वोट + अन्य पार्टियों के कम हुने वोट+नये जुड़े वोटरों का वोट भाजपा को तीन चार प्रतिशत मिला । बाकी सभी आम आदमी पार्टी की और गये।2015 में भाजपा को 28 लाख 91 हजार वोट मिले 2020 में भाजपा 3975430 वोट ले गयी। जबकि कांग्रेस का 2015 से 2020मे 4 लाख वोट कम होने के बावजूद केजरीवाल को 2015 से केवल 95000वोट ही अधिक मिला।प्रतिशत के हिसाब से भाजपा को प्रतिशत चाहे कम बढ़ा पर वोट संख्या लगभग 35% आंक सकते हैं। वहीं केजरीवाल की वोट संख्या केवल 2% ही बढ़ी। जबकि 2013 से 2015 करीब 13 लाख 77 हजार वोटर बढ़े। 2014से 2020 के बीच कुल वोटर में बढ़ोतरी 16लाख 16 हजार रही।
22-01-2024के ड्राफ्ट रोल में बहुत सी विधानसभा में बड़ी मात्रा में वोट कटने जुड़ने के बाद कुल वोटर 2020 के आंकड़े से करीब 69 हजार कम हो अंतिम सूचि में नये वोटर जुड़ 1,52,01,936 हुऐ।अभी 2025की फाइनल लिस्ट में केवल 3 लाख 23हजार वोटर ही नये जु़ड़े। जबकि पिछले दो विधानसभा चुनावों में इन 9 महीनों के अंतराल में ये करीब 5 लाख 97 हजार व 4 लाख 58 हजार था।जो बढ़ोतरी का आंकड़ा पिछले लोकसभा विधानसभा चुनाव को मिला दोनों बार 13 लाख 77हजार और साढ़े 15 लाख था। इस बार लोक सभा विधान सभा दोनों में 7 लाख 39 हजार ही रहा।और ऊपर से बहुत सी विधानसभा में 22-01-2024 को जो वोट कटे व बड़ी बढ़ोतरी केवल 21-22 विधानसभा में सीमित हो गयी। उसका लाभ या हानी किसको होगी इसका कोई भी आकलन नहीं कर रहा।
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