रजिन्द्र बंसल अबोहर लोकतंत्र की हत्या की,जब इन्दिरा ने ठानी थी। जून 75 रात वो काली,सत्ता की शैतानी थी।। इन्दिरा के अवैध चुनाव को,इलाहाबाद ने रोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राहत दे,छः मास तक रोक दिया । बिन पानी जैसे मच्छली सा, इन्दिरा का सब बोध गया। वो तो सत्ता की आदी थी,उसको बस कुर्सी बचानी थी।। लोकतन्त्र की हत्या की-------।। सूर्योदय से पहले ही,समय का … [Read more...] about जून 75 – रात वो काली
testकिसान बिल के विचारणीय मुद्दे
रजिन्द्र बंसल अबोहर केन्द्र की एन डी ऐ सरकार जब से 3 किसान बिल ले कर आयी है तब से पंजाब व हरियाणा का किसान आंदोलन में लगा हुआ है। मुझे इसमें कोई संशय नहीं कि किसान को मंडी समिति की देखरेख में ही फसल बेचने की बाध्यता को समाप्त कर उसे किसान को अपने ही घर से बेचने के अधिकार से जहां मंडी समिति टैक्स व मंडी तक माल ले जाने के खर्च व समय की बचत भी होगी। जो निश्चित रुप से कुछ … [Read more...] about किसान बिल के विचारणीय मुद्दे
testआशंकाओं के भंवर जाल में मोदी सरकार के किसान बिल
रजिन्द्र बंसल अबोहर जब केन्द्र सरकार द्वारा "कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 लाया गया है कुछ किसान संगठन कुछ राजनैतिक दल इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। वहीं कुछ संगठन, भाजपा व उसके सहयोगी दल इसे किसान व देश हित में उठाया मोदी सरकार का एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम बता रहे हैं। इसमें सबसे मजेदार पहली बात ये है कि बिल के संसद में आने से पहले … [Read more...] about आशंकाओं के भंवर जाल में मोदी सरकार के किसान बिल
testगलवान में गलबहियाँ करते
रजिन्द्र बंसल अबोहर गलवान में गलबहियाँ करते, चीनी ने धोखा हमें दिया। छप्पन ईंची सीने अपने, दुश्मन का मस्तिष्क तोड़ दिया। पैट्रोलिंग गलवान की घाटी में, छल करने सैनिक बौने। विचलित न भारती वीर हुये, चुन चुन के लगे उनको धोने। कुछ बहाये गलवान के पानी में,कुछ को वहीं जिन्दा गाड़ दिया।। गलवान में गलबहियाँ करते--------------।। छल चल न सका उन बौनों का, डण्डे लाठी सब … [Read more...] about गलवान में गलबहियाँ करते
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