• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • About Us
  • Contact Us

The Punjab Pulse

Centre for Socio-Cultural Studies

  • Areas of Study
    • Social & Cultural Studies
    • Religious Studies
    • Governance & Politics
    • National Perspectives
    • International Perspectives
    • Communism
  • Activities
    • Conferences & Seminars
    • Discussions
  • News
  • Resources
    • Books & Publications
    • Book Reviews
  • Icons of Punjab
  • Videos
  • Academics
  • Agriculture
  • General

दीनदयाल उपाध्याय की विचार-दृष्टि और दर्शन

September 25, 2022 By Guest Author

Share

राष्ट्रीय शिक्षा 

दीनदयाल उपाध्याय जी

एकात्म मानववाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अद्वितीय, विशिष्ट एवं मौलिक रचना है। कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र, तिलक के ‘गीता रहस्य और महात्मा गांधी के ‘हिंद स्वराज के पश्चात्त्,  पंडित दीनदयाल उपाध्याय – रचित ‘एकात्म मानववाद राजनीतिक सिद्धांत के रूप में भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण योगदान है। उपाध्याय जी ने अपने समकालीन भारत की दुर्दशा, सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों का विश्लेषण किया। मानव पूंजीवाद, मार्क्सवाद और गांधीवाद जैसे विचारों से अंतनिर्हित विडंबनाओं के कारण एक राष्ट्रीय समस्या का निदान करने में असफल रहा। ऐसी स्थिति में उन्होंने व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र का मार्गदर्शन करने में सक्षम एक मौलिक और सशक्त विकल्प विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया। वर्तमान का भारत एकात्म मानववाद में आशा की नई किरण खोज रहा है। एकात्म मानववाद दर्शन, मानव के सामाजिक-आर्थिक तथा मानसिक विकास, राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रीय चुनौतियों तथा समकालीन समस्याओं पर होने वाले किसी भी विचार-विमर्श का अनिवार्य अंग बनता जा रहा है। यह दीनदयाल जी के दर्शन को तो स्पष्ट करता ही है, साथ ही वर्तमान भोगवादी संस्कृति में उपजी तमाम आधुनिक विसंगतियों को जानने, समझने तथा उसके निराकरण की कुंजी भी उपलब्ध करवाता है।

दीनदयाल उपाध्याय जी के अनुसार, एकात्म मानववाद का शाब्दिक अर्थ मानव के शरीर, मस्तिष्क, बुद्धि और आत्मा को चार पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ काम और मोक्ष से एकमत होते हुए तदनुरूप होना है। यह दर्शन मानव-जाति की मानसिक स्वतंत्रता तथा उसके पशुत्व से मनुष्यत्व और फिर मनुष्यत्व से देवत्व तक की यात्रा का परिचय प्रस्तुत करता है। वास्तव में, यह मानव के सर्वोच्च आत्मिक और मानसिक विकास का दर्शन है। यह एक ऐसा नवीन घोषणा-पत्र है, जिसमें भौतिक तत्वों पर नैतिक मूल्यों की सर्वोच्चता स्थापित की गयी है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी मृत्यु से चार वर्ष पूर्व ‘एकात्म मानववाद’ का दर्शन दिया। एकात्म मानववाद को समझने के लिए उनकी पूर्व प्रकाशित अन्य रचनाओं – ‘सम्राट् चंद्रगुप्त (1946), ‘जगद्गुरु श्री शंकराचार्य (1947),  ‘अखंड भारत’ (1952), ‘हमारा कश्मीर’ (1953), ‘बेकारी की समस्या और उसका हल’ (1954 ) और कई लेखों, व्याख्यानों, वक्तव्यों, पत्रों तथा भाषणों का गहन अध्ययन जरूरी है। एकात्म मानववाद को दीनदयाल उपाध्याय की सम्पूर्ण रचनाओं का सार कहा जा सकता है, क्योंकि यह छोटी-सी पुस्तक सिलसिलेवार ढंग से उनके चार महत्त्वपूर्ण भाषणों का संग्रह है, जो उनके चिंतन और विचारों का दर्पण है। एकात्म मानववाद एक ऐसा बीज था, जिससे दीनदयाल उपाध्याय के विचार-रूपी वटवृक्ष का उदय हुआ। दीनदयाल उपाध्याय के विचारों में रुचि रखने वालों के लिए एकात्म मानव-दर्शन की महत्ता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी से समस्त समस्याओं का समाधान संभव है। दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के अथाह समंदर में गहरे गोता लगाने के इच्छुक साधकों के लिए भी ‘एकात्म मानववाद’ नामक पुस्तक प्राचीन भारतीय परंपरा को आधुनिक संदर्भ में विश्लेषित करती है। अत्यंत सहज, सरस और सरल भाषा में मानववाद का वैज्ञानिक और दार्शनिक विवेचन तथा व्याख्या करना ही इसका सबसे बड़ा गुण और अद्भुत सौंदर्य है। एकात्म मानववाद की विशिष्टता तथा सौंदर्य इस बात में निहित है कि इसे जितनी भी बार पढेंगे, उतनी ही बार आपको नया अंतर्बोध प्राप्त होगा। वास्तव में, यह एक शास्त्रीय कृति है, जिसका उद्देश्य भारत तथा भारतीयों का पुनरुत्थान करना है।

इस पुस्तक को लिखने का तात्कालिक कारण नेहरू के विकास की अवधारणा की आलोचनात्मक व्याख्या करना था। परन्तु इसकी रचना के पीछे उनका मूल उद्देश्य संपूर्ण पाश्चात्य एवं भौतिक, खासकर पूंजीवाद, मार्क्सवाद, समाजवाद तथा अंधाधुंध औद्योगिकीकरण की समालोचना था। एकात्म मानववाद में बड़े ही प्रभावी रूप से प्रमुख मुद्दे हमारे सामने आते हैं। सर्वप्रथम उस समय की राजनीतिक घटनाओं का घटना तथा दूसरा उपाध्याय जी को भारत की शासन- व्यवस्था के विभिन्न अंग-उपांगों का प्रत्यक्ष अनुभव, जिसने उनकी पूरी विचार-प्रक्रिया तथा रचना प्रक्रिया को गहराई से प्रभावित किया। तीसरा तत्कालीन सामाजिक -राजनीतिक परिस्थितियों में भारत की प्रगति की दिशा क्या हो सकती है। अंतिम और सबसे प्रमुख मुद्दा था – नये भारत राष्ट्र का निर्माण करना।

एकात्म मानववाद में इन सभी वैचारिक धाराओं का मिलन होता है और जिसके परिणामस्वरुप एक नवीन तत्त्व का जन्म होता है, जिसके द्वारा उपाध्याय जी स्वातंत्र्योत्तर भारत में विकास के पश्चिमी प्रतिमान के खिलाफ जनजागरण का समर्थन करते हैं। एकात्म मानववाद, भारतीय सभ्यता में आधुनिक भोगवादी सभ्यता के उदय की समालोचना है। वास्तव में, एकात्म मानववाद संपूर्ण मानव-जीवन के सिद्धांतों की तह को खोलती नजर आ रही है। यह जीवन का एक सिद्धांत है, जो स्थाई ना होकर परिवर्तनशील है। एक नए विकल्प की तलाश में भटक रहा कोई भी सिद्धांत स्थाई हो ही नहीं सकता। वास्तव में, यह एक ऐसा गतिशील दर्शन है, जो उपाध्याय जी के सार्वजनिक जीवन के अनुभवों के साथ-साथ समृद्ध और सुसंस्कृत होता गया। उपाध्याय जी ने हमेशा खासकर एकात्म मानववाद के द्वारा मानव जीवन के मूलभूत प्रश्नों को उठाया है। एकात्म मानववाद की उचित समझ के लिए इसके ऐतिहासिक संदर्भों को समझना आवश्यक है।

  1. सम्राट चंद्रगुप्त का उदय एवं उसका संपूर्ण शासनकाल
  2. शंकराचार्य की जीवनी तथा उपनिषदों और वेदांत सूत्रों पर उनके द्वारा प्रतिपादित भाष्य
  3. भारत की स्वतंत्रता एवं उसमें गांधी की भूमिका
  4. प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू की भूमिका
  5. चीन युद्ध
  6. दीनदयाल जी के व्यापक अनुभव चिंतन मनन और प्रयोग इत्यादि।

एकात्म मानववाद पाश्चात्य सभ्यता के सैद्धांतिक आधार को रचनात्मक चुनौती है। हिंदू-धर्म एवं उसकी समृद्ध परंपराओं से सभ्यतामूलक संसाधनों का भरपूर प्रयोग करते हुए उपाध्याय जी ने औद्योगिक पूंजीवाद, साम्राज्यवाद तथा मार्क्सवाद की आलोचना करने के लिए एक नवीन सैद्धांतिक ढांचे का प्रतिपादन किया। वहीं दूसरी ओर उन्होंने कुछ मौलिक अवधारणाओं, चित्त और वृत्ति का विकास किया, जो वर्तमान समय में काफ़ी प्रासंगिक है।


Share
test

Filed Under: Social & Cultural Studies, Stories & Articles

Primary Sidebar

More to See

Sri Guru Granth Sahib

August 27, 2022 By Jaibans Singh

ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਦੇ ਇਕ ਪਿੰਡ ’ਚੋਂ ਮਿਲੇ ਮਿਜ਼ਾਈਲ ਦੇ ਟੁਕੜੇ

May 10, 2025 By News Bureau

ਪਾਕਿ ਵੱਲੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਡਰੋਨ ਹਮਲੇ, ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ’ਚ 3 ਜ਼ਖ਼ਮੀ

May 10, 2025 By News Bureau

Tags

AAP Amritsar Bangladesh BJP CAA Captain Amarinder Singh Capt Amarinder Singh China Congress COVID CPEC Farm Bills FATF General Qamar Bajwa Guru Angad Dev JI Guru Gobind Singh Guru Granth Sahib Guru Nanak Dev Ji Harmandir Sahib Imran Khan Indian Army Indira Gandhi ISI Kartarpur Corridor Kartarpur Sahib Kashmir LAC LeT LOC Maharaja Ranjit Singh Narendra Modi Pakistan PLA POJK President Xi Jinping Prime Minister Narednra Modi PRime Minister Narendra Modi Punjab QUAD RSS SAD SFJ SGPC Sikh Sukhbir Badal

Featured Video

More Posts from this Category

Footer

Text Widget

This is an example of a text widget which can be used to describe a particular service. You can also use other widgets in this location.

Examples of widgets that can be placed here in the footer are a calendar, latest tweets, recent comments, recent posts, search form, tag cloud or more.

Sample Link.

Recent

  • Any future terror attack will be treated as an act of war, India warns Pakistan
  • ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਦੇ ਇਕ ਪਿੰਡ ’ਚੋਂ ਮਿਲੇ ਮਿਜ਼ਾਈਲ ਦੇ ਟੁਕੜੇ
  • ਪਾਕਿ ਵੱਲੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਡਰੋਨ ਹਮਲੇ, ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ’ਚ 3 ਜ਼ਖ਼ਮੀ
  • India-Pak Tensions: ਦੇਸ਼ ’ਚ ਪੈਟਰੋਲ/ਡੀਜ਼ਲ ਦੀ ਕੋਈ ਕਮੀ ਨਹੀਂ: ਤੇਲ ਕੰਪਨੀਆਂ ਦਾ ਜਨਤਾ ਨੂੰ ਭਰੋਸਾ
  • ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰੀ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਜ਼ਖ਼ੀਰੇਬਾਜ਼ੀ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਚੇਤਾਵਨੀ

Search

Tags

AAP Amritsar Bangladesh BJP CAA Captain Amarinder Singh Capt Amarinder Singh China Congress COVID CPEC Farm Bills FATF General Qamar Bajwa Guru Angad Dev JI Guru Gobind Singh Guru Granth Sahib Guru Nanak Dev Ji Harmandir Sahib Imran Khan Indian Army Indira Gandhi ISI Kartarpur Corridor Kartarpur Sahib Kashmir LAC LeT LOC Maharaja Ranjit Singh Narendra Modi Pakistan PLA POJK President Xi Jinping Prime Minister Narednra Modi PRime Minister Narendra Modi Punjab QUAD RSS SAD SFJ SGPC Sikh Sukhbir Badal

Copyright © 2025 · The Punjab Pulse

Developed by Web Apps Interactive