पवन विजय
समुद्र के किनारे एक जारवा नामकी जनजाति रहती है। जब जारवा समुद्र में मछली पकड़ने जाता है तो वह अपने देवता को अपने परिवार की सुरक्षा का दायित्व सौंप देता है, मनाता है कि मेरे आने तक तुम इनकी रक्षा करना। वह जब समुद्र में जाने लगता है तो उसका पिता देवता से प्रार्थना करता है कि मेरे बेटे की रक्षा करना, वह केवल उतनी मछलियां पकड़ेगा जितने में मेरे परिवार का पोषण हो जाए।
ठीक यही बात हमें रामानंद शिष्य कबीर कहते हुए दिखाई देते हैं, साईं इतना दीजिये जामे कुटुंब समाय। और पीछे जाते हैं तो महावीर अपरिग्रह को धर्म का एक हिस्सा बताते हैं, और पीछे जाते हैं तो एक समृद्ध वैदिक परम्परा हमें दिखती है जो जल, वायु, धरती, अग्नि, आकाश के प्रति कृतज्ञता से लेकर पेड़, पहाड़, नदी, जानवर, सबके कल्याण और पोषण की बात करती है और उसी में अपना हित देखती है। करुणा पर आधारित यह प्राकृतिक धर्म है।
एक और धर्म जैसी चीज इस संसार में रिलीजन करके पाई जाती है। राजनीतिक गिरोह बनाकर अपने हितपूर्ति के लिए लूटमार करना दूसरे की जीवन शैली और उसके अस्तित्व को खत्म कर अपनी शैली लादने की अनिवार्यता पर आधारित है। भय पर आधारित यह एक गिरोह का धर्म है।
*यह राजनैतिक धर्म अपरिग्रह को गरीबी कहता है, संतोष की हँसी उड़ाता है करुणा और संवेदना को कमजोरी मानता है।*
आप क्या सोचते हैं आप किस धर्म के निकट और अनुसरण करने वाले हैं ?
*धरती दिवस पर कामना है कि धरती में जल बना रहे, हवा स्वच्छ रहे, मिट्टी उपजाऊ रहे, आकाश नीला और अगन पवित्र बनी रहे।*
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