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राष्ट्रीय युवा दिवस: मानवता की भावना को प्रोत्साहित करते हैं स्वामी विवेकानंद के विचार

January 12, 2022 By Guest Author

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डा. जितेंद्र सिंह गोयल

Swami Vivekananda Jayanti 2020: आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायी हैं स्वामी  विवेकानंद जी के ये अनमोल विचार | ?? LatestLY हिन्दी

आज देश राष्ट्रीय युवा दिवस मना रहा है। इस अवसर पर सिर्फ स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर देने से बात नहीं बनेगी, बल्कि हमें उनके दर्शन को भी समझना और आत्मसात करना होगा। स्वामी विवेकानंद ने मानव जीवन की विभिन्न समस्याओं पर गहन चिंतन किया था। उनके चिंतन के क्षेत्र धर्म, दर्शन, सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था, शिक्षा प्रणाली, महिलाओं की स्थिति और राष्ट्र का सम्मान आदि थे। विभिन्न समस्याओं पर उनके विचारों ने राष्ट्र को एक नई दिशा दी है। उनके अनुसार शिक्षा आंतरिक आत्म की खोज का जरिया है।

शिक्षा मानव जीवन की इस सच्चाई को महसूस करने का माध्यम है कि हम सभी एक ही भगवान के अंश हैं। वह शिक्षा के माध्यम से व्यक्तित्व के व्यापक विकास में विश्वास करते थे। उनका मानना था कि पूर्णता पहले से ही मनुष्य में निहित है। शिक्षा उसी की अभिव्यक्ति है। दूसरे शब्दों में कहें तो सब ज्ञान मनुष्य में पहले से निहित हैं। कोई ज्ञान बाहर से उसमें नहीं आता। शिक्षा मनुष्य तो इससे परिचित कराती है और इसको उभरती है। वह कहते थे कि शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य जीवन-निर्माण, मानव-निर्माण, चरित्र-निर्माण होना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद ब्रिटिश शासन के तहत प्रचलित शिक्षा प्रणाली से पूरी तरह से असंतुष्ट थे। वह शिक्षण की भारतीय पद्धति की वकालत करते थे। उन्होंने घोषणा की थी कि हमारे देश की संपूर्ण शिक्षा हमारे अपने हाथों में होनी चाहिए। यह राष्ट्रीय तर्ज पर और राष्ट्रीय सरोकारों के माध्यम से जहां तक संभव हो, होनी चाहिए। वह शिक्षा के ढांचे को इस तरह से डिजाइन किए जाने के पक्ष में थे कि व्यक्ति को यह अहसास हो कि उसमें अनंत ज्ञान और शक्ति का निवास है तथा शिक्षा उस तक पहुंचने का साधन है। वह छात्र और शिक्षक के बीच व्यक्तिगत संपर्क पर जोर देते थे और कहते थे कि शिक्षक को चरित्र और नैतिकता का सर्वोच्च जीवंत उदाहरण होना चाहिए। उनका मत था कि एकाग्रता के द्वारा ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। जो एकाग्रता के साथ सीखता है, निश्चित रूप से वह जिंदगी के विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करता है।

स्वामी विवेकानन्द का जीवन परिचय - swami vivekananda biography in hindi - दा इंडियन वायर

स्वामी विवेकानंद भारत में महिलाओं की दयनीय स्थिति से निराश रहते थे। उनका मत था कि राष्ट्र की प्रगति महिलाओं की प्रगति में निहित है। उन्होंने मनुस्मृति से उद्धरण दिया कि जहां स्त्रियों का आदर होता है, वहां देवता प्रसन्न होते हैं। और जहां वे प्रसन्न नहीं हैं, वहां सभी प्रयास शून्य हो जाते हैं। जिस परिवार या देश में महिलाएं सुखी नहीं हैं, वे कभी उठ नहीं सकते। वह दृढ़ता से अनुशंसा करते थे कि बेटियों को बेटों के रूप में पाला जाना चाहिए। उनका मानना था कि महिलाओं को शुद्धता के विचार को महसूस करने का मौका दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये विचार उन्हें अपने आदर्श नारीत्व तक पहुंचने के लिए ताकत देंगे। वे माता सीता को भारतीय नारी के लिए आदर्श मानते थे। उन्होंने टिप्पणी की कि महिलाओं के आधुनिकीकरण का कोई भी प्रयास जो महिलाओं को सीता के आदर्श से दूर ले जाता है, निंदनीय है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद एक आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध साधु थे। वे एक महान वेदांतवादी थे, जो वेदों के विचारों का प्रचार करते थे। अपने बहुत ही छोटे जीवन में उन्होंने पूरे विश्व को प्रभावित किया और भारत की संस्कृति को अक्षुण्ण रखते हुए आधुनिकीकरण का प्रयास किया। उनके विचार मानवता की भावना को प्रोत्साहित करते हैं और वे सभी समय के लिए विश्वसनीय हैं। उन्होंने जीवन भर वेदों के विचार जैसे आत्मज्ञान, आत्मनिर्भरता, निडरता और एकाग्रता का अभ्यास किया। उन्हें पश्चिमी देशों को यह अहसास दिलाने का श्रेय दिया जाता है कि भारत निरक्षरों का देश नहीं है। अपने ज्ञान के प्रकाश से उन्होंने साबित कर दिया कि भारत वास्तव में एक विश्व गुरु था। उन्होंने पश्चिमी दुनिया को भारतीय सभ्यता के आध्यात्मिक पहलुओं के बारे में बताया। पश्चिमी देशों में हिंदू धर्म के प्रचार से पहले उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी और बंगाल से पंजाब तक भारत का दौरा किया, क्योंकि वह कहते थे कि जब तक मैं खुद अपने देश के लोगों को नहीं देखूंगा तो मैं दुनिया को उनके बारे में कैसे बताऊंगा?

101 Swami Vivekananda Quotes in Hindi - HINDI SANSKARAN

देश को आज उनकी शिक्षाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है। आजादी के बाद से हमारे देश ने विभिन्न क्षेत्र में अपार प्रगति की है। कई क्षेत्रों में देश आत्मनिर्भर हो गया है, लेकिन दुख की बात हम अभी भी जाति और धर्म के नाम पर बंटे हुए हैं। देश और मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों से बेखबर अधिकांश युवा अपने मोबाइल फोन पर दो जीबी डाटा के प्रतिदिन के कोटे का उपयोग करने में मग्न रहते देखे जाते हैं। स्वामी विवेकानंद ने ओसाका (जापान) से देश के युवाओं को एक संदेश भेजा था- आइए मानव बनें। वह कहते थे कि युवाओं की मांसपेशियां लोहे और नसें स्टील की तरह होनी चाहिए।

आज हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसाओं को देश में क्रियान्वित करने की ओर अग्रसर हैं, ताकि युवाओं में आत्मनिर्भरता, संवैधानिक मूल्यों को प्रतिस्थापित किया जा सके। वहीं स्वामी विवेकानंद स्वयं ही भारत के युवाओं के लिए संदेश हैं। उनके उपदेश सदैव प्रासंगिक रहेंगे।

स्वामी विवेकानंद शिक्षा के माध्यम से व्यक्तित्व के व्यापक विकास में विश्वास करते थे। उनके अनुसार शिक्षा मानव जीवन की इस सच्चाई को महसूस करने का माध्यम है कि हम सभी एक ही भगवान के अंश हैं

सौजन्य : दैनिक जागरण


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