रजिन्द्र बंसल
2020से अब तक वोट बढ़े-
कुल वोटर बढ़े 8 लाख 16 हजार।
इनमें 21 विधानसभा क्षेत्रों में ये वोटर बढ़े:-
क्षेत्र – वोटर बढ़े- 2020Bjp+/- 2024
1- बल्लीमारान 11500. -38000. -28000
2- बुराड़ी 59000 -84000. + 70000
3-बादली 18000. -29000. + 35000
4- बवाना 61000. -11000. + 35000.
5- बदरपुर 41000. + 4000. + 25000.
6- छत्रपुर 40000. – 4000. +22000.
7- देवली 26000. – 40000. +2000.
8-करावल नगर 17000. +5000. +8000.
9-किराड़ी 46000. -6000. +36000.
10-मटियाला 29000 -29000 +54000.
11-मुस्तफाबाद 16000. +7000. Data n.a.
12- मुंडका, 27000. -19000. +29000.
13- नजफगढ़, 26000. – 6000. +28000
14- नरेला, 26000. -18000. +36000.
15-ओखला 44000. -72000. – 70000.
16-रोहतास नगर 15000. +13000. +32000.
17- रिठाला 40000. -13000. +55000
18- संगम विहार,16000. -53000. -2000.
19- तुगलकाबाद,27000. -13000. -5000
20- उत्तम नगर,30000. -19000. +31500.
21- विकास पुरी 60000. – 42000. +27000
कुल 6 लाख 80 हजार बढ़े हैं।
इनमें 18 विधान सभा में 2020 में भाजपा 6 लाख 40 हजार वोट पिछड़ी थी।
2020से अब तक वोट बढ़े-
8 लाख 16 हजार की बढ़ौतरी में लगभग 6 लाख 80 हजार ये 21 क्षेत्र का गये।
इनमें 18 विधान सभा में 2020 में भाजपा 6 लाख 40 हजार वोट पिछड़ी थी।
भाजपा के लिए चार सीटों करावल नगर, मुस्तफाबाद,नजफगढ़, रोहतास नगर में 17,16,26,व 15हजार वोटर 6 साल में सामान्य से थोड़ा अधिक बढ़ना चिन्ता का विषय हो सकता है।
भाजपा के लिए चार सीटों करावल नगर, मुस्तफाबाद,नजफगढ़, रोहतास नगर में 17,16,26,व 15हजार वोटर 6 साल में सामान्य से थोड़ा अधिक बढ़ना चिन्ता का विषय हो सकता है।
दिल्ली में जिन विधान सभा क्षेत्रों में वोटर बहुत ज्यादा कम हुये-
2020 से
विधान सभा 22-01-2024 2020से 2025 में क्षेत्र का नाम ड्राफ्ट रोल में कम हुये फाइनल लिस्ट में कम हुये
1- बाबरपुर -17000 करीब 700
2- दिल्ली कैंट – 63000 51000
3- गांधी नगर -16500 -11000
4- हरी नगर -6000. -6000.
5- लक्ष्मी नगर. -22000. -15000
6- नई दिल्ली. -45000. -37000.
7- नांगलोई . -24000. -2000.
8- पटपड़गंज -15500. -5000.
9-राजेन्द्र नगर -22000. -20000.
10- आर के पुरम. -23000. – 17000.
11- राजौरी गार्डन. -7200. – 2000.
12- रोहिणी. – 17000. – 10500.
13- त्रिलोकपुरी. -18000. – 8300.
इस गणना को देखें तो ड्राफ्ट रोल में वहां न रहने वाले वोटरों के वोट कटे हैं। मेरा मानना है कि ड्राफ्ट रोल बनने में बी एल ओ की चार पांच साल की मेहनत होती है जिसमें या तो लोग अपने आप वोट कटवाते बनवाते हैं। या बी एल ओ अपने लेबल पर जांच कर वोट काटता या बनाता है। इसमें राजनीतिक दलों व उनके कार्यकर्ताओं की भूमिका न के बराबर होती है। या इतनी बड़ी कटौती विधान सभा क्षेत्र के पुनः सीमांकन में होती है। अर्थात पहले जहां ज्यादा वोट कटे वहां काफी हद तक सही वोटर जुड़े हैं। पर हैरानी इस बात की है विभिन्न साइटों पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार ज्यादा वोटर घटने वाली सीटें ज्यादातर आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं से सम्बन्धित रही हैं।
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