• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • About Us
  • Authors
  • Contact Us

The Punjab Pulse

Centre for Socio-Cultural Studies

  • Areas of Study
    • Maharaja Ranjit Singh
    • Social & Cultural Studies
    • Religious Studies
    • Governance & Politics
    • National Perspectives
    • International Perspectives
    • Communism
  • Activities
    • Conferences & Seminars
    • Discussions
  • News
  • Resources
    • Books & Publications
    • Book Reviews
  • Icons of Punjab
  • Videos
  • Academics
  • Agriculture
  • General

विश्व शांति के लिए भी खतरा है पाकिस्तान, सामने आई पड़ोसी देश की मंशा

July 7, 2025 By Guest Author

Share

पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों को प्रभावित किया है। हमले में पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछकर हत्या की गई। लश्कर के संगठन टीआरएफ ने इसकी जिम्मेदारी ली। इस घटना का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को अस्थिर करना था। भारत ने आर्थिक और कूटनीतिक कदम उठाकर पाकिस्तान को जवाब दिया।

पाकिस्तान नहीं, टेररिस्तान कहिए; दशकों से यहां पनप रही है आतंकवाद की विषबेल  - Terrorism in Pakistan Jagran Special

राजा मुनीब

पहलगाम के आतंकी हमले ने द्विपक्षीय समीकरण ही नहीं, बल्कि समूचे दक्षिण एशिया में संबंधों के तानेबाने को प्रभावित किया है। इस हमले ने आतंक की नीति को जारी रखने वाली पाकिस्तानी मंशा को प्रकट किया था। पर्यटकों से उनकी मजहबी पहचान पूछकर की गई हत्याओं को लश्कर के पिट्ठू संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ ने अंजाम दिया। इसे केवल एक नरसंहार के रूप में न देखा जाए। यह भू-राजनीतिक उकसावे की एक सुनियोजित कार्रवाई थी। इसने जहां आतंक को पालने-पोसने वाले पाकिस्तान के कलंकित इतिहास को दोहराया, वहीं इसके पीछे की एक मंशा जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ढांचे को अस्थिर करने की भी थी।

वैश्विक निगरानी और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी जमीन पर संचालित आतंकी ढांचे को समाप्त नहीं किया है। पहलगाम हमला भी उसी पुराने ढर्रे पर किया गया, जहां सेना-आइएसआइ की आतंकी करतूत से इस्लामाबाद ने आदतन किनारा कर लिया। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं हो सकता कि पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व की हरी झंडी के बिना ऐसे किसी हमले को अंजाम दिया गया होगा। पहलगाम हमले के बाद भारत ने आर्थिक, कूटनीतिक और सामरिक मोर्चों पर बहुत कारगर कदम उठाए और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। दूसरी ओर, पाकिस्तान लकीर पीटने वाले ढर्रे पर चलते हुए बस शेखी बघारता रहा। भारत ने जहां सिंधु जल समझौते को ठंडे बस्ते में डालकर पाकिस्तान और उसकी आर्थिकी की कमर तोड़ने वाला दांव चला, वहीं पाकिस्तान शिमला समझौते से पीछे हटने का निरर्थक राग अलापता रहा।

कश्मीर में दशकों की अस्थिरता से उबरते हुए पटरी पर आ रही पर्यटन गतिविधियां आतंकी हमले के बाद फिर से अनिश्चितता के भंवर में फंस गई हैं। हालांकि इसका आर्थिक खामियाजा जम्मू-कश्मीर से परे समूचे दक्षिण एशिया को भुगतना पड़ रहा है। इस पृष्ठभूमि में भारत-पाकिस्तान, दोनों ने व्यापार, निवेश और वीजा आदि के मोर्चे पर जो कदम उठाए हैं, उससे क्षेत्रीय सहयोग के साथ ही आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों पर भी ग्रहण लगा है। इस तरह एक देश की आतंक समर्थक नीतियों की कीमत पूरे क्षेत्र को अपनी शांति एवं समृद्धि गंवाने के रूप में चुकानी पड़ रही है। यहां तक कि पाकिस्तान के इस रवैये का दंश वहां की जनता को भी भुगतना पड़ रहा है। उसे फर्जी राष्ट्रवाद की घुट्टी पिलाई जा रही है।

भले ही पाकिस्तान खुद को आतंक से पीड़ित दिखाने का प्रयास करता रहे, लेकिन उसकी पहचान आतंक से निपटने में शिथिलता दिखाने वाले देश की ही है। करीब ढाई माह पुराने पहलगाम हमले ने आतंकी गतिविधियों के मामले में पाकिस्तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को नए सिरे से उभारने का काम किया है। पूर्व में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने वाली एफएटीएफ जैसी संस्था के समक्ष भी पाकिस्तान पर अंकुश लगाने का दबाव बढ़ेगा। इससे पाकिस्तान की छवि और खराब होगी। आर्थिक निवेश और विकास को लेकर उसकी उम्मीदों को पलीता लगेगा।

पहलगाम हमला पाकिस्तान के आतंकी चरित्र में एक खतरनाक बदलाव का भी परिचायक है। 2001 की शुरुआत से पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने मुख्य रूप से जम्मू क्षेत्र को निशाना बनाते हुए सैन्य बलों पर ही हमले किए। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पहलगाम हमला कश्मीर में हुई पहली बड़ी आतंकी वारदात रही। हिंदुओं को निशाना बनाने के पीछे भी कुत्सित सोच एकदम स्पष्ट रहा कि देश में सामाजिक वैमनस्य बढ़े और कश्मीर में सरकार का विकास एजेंडा पटरी से उतरे। भारत ने इसे बखूबी समझा। इसका असर हमले के बाद की प्रतिक्रिया में भी झलका।

भारत ने बहुस्तरीय रणनीति अपनाते हुए खुफिया मोर्चे को और चाकचौबंद किया, जमीनी स्तर पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती बढ़ाई और किसी भी संभावित आतंकी हमले को निस्तेज करने के लिए अभियान तेज किए, विशेष तौर पर अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर। चूंकि जम्मू-कश्मीर में अभी भी सैकड़ों पाकिस्तान समर्थक आतंकी सक्रिय हैं, इसलिए सुरक्षा बलों की चुनौती काफी कड़ी होने वाली है। इस समय भले ही दोनों देशों के बीच युद्धविराम जैसी स्थिति हो, लेकिन पाकिस्तान अपने आतंकी पिट्ठुओं को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता रहेगा। भारत ने जिस तरह सिंधु जल समझौते को स्थगित रखने की दृढ़ता दिखाई है, उसके चलते इसकी भरी-पूरी आशंका है कि आतंकी जम्मू-कश्मीर में किसी अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर ढांचे को निशाना बनाएं ताकि भारत सरकार कुछ दबाव में आए और कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय पटल पर छाए।

भारत ने इरादे एकदम स्पष्ट कर दिए हैं कि भविष्य में कोई आतंकी हमला युद्ध के लिए उकसाने वाले कृत्य के रूप में देखा जाएगा। किसी हमले की सूरत में दोनों देश फिर से आमने-सामने आ सकते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय दबाव और संभावित मध्यस्थता प्रयासों के लिए गुंजाइश बनेगी। यह भी एक पहलू है जो पाकिस्तान की नापाक कश्मीर नीति से जुड़ा है। भारत के दृष्टिकोण से पहलगाम हमला केवल एक त्रासदी भर नहीं, बल्कि एक निर्णायक मोड़ रहा। ऐसा मोड़, जिसने भविष्य में किसी भी पाकिस्तानी आतंकी कृत्य से निपटने की उसकी दिशा को निर्धारित किया है।

पाकिस्तान के आतंकी चरित्र ने न केवल दक्षिण एशिया की शांति में खलल डाला है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी वह नासूर बन गया है। उससे निपटने की आधी-अधूरी कार्रवाई से बात नहीं बनने वाली। उसके साथ कूटनीतिक सक्रियता का समय भी अब निकल गया। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी ढांचे को ध्वस्त किए बिना दक्षिण एशिया में शांति संभव नहीं। समय आ गया है कि पाकिस्तान को केवल पहलगाम के लिए ही नहीं, बल्कि दशकों से चले आ रहे छद्म युद्ध में गंवाई हर एक जान के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह बनाकर न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए।

(लेखक जियो-पालिटिक्स एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ हैं)

सौजन्य : दैनिक जागरण


Share

Filed Under: International Perspectives, Stories & Articles

Primary Sidebar

Mahraja Ranjit Singh Portal

Maharaja Ranjit Singh is an icon of Punjab and Punjabis. He is also called Sher-e-Punjab (Lion of Punjab) in view of the respect that is due to him for his bravery and visionary leadership which led to the creation of the Sikh Empire (Sarkaar-e-Khalsa). The Punjab Pulse has dedicated a portal to the study of the Maharaja with the view to understand his life and identify his strengths for emulation in our culture and traditions. The study will emcompass his life, his reign, his associates, his family and all other aspects pertaining to the Sikh Empire.

Go to the Portal

More to See

Sri Guru Granth Sahib

August 27, 2022 By Jaibans Singh

Month on, fields at Muktsar village still submerged

August 13, 2025 By News Bureau

Land pooling policy: Punjab farmer bodies to continue protest till notification issued

August 13, 2025 By News Bureau

Tags

AAP Amritsar Bangladesh BJP CAA Captain Amarinder Singh Capt Amarinder Singh China Congress COVID CPEC Farm Bills FATF General Qamar Bajwa Guru Angad Dev JI Guru Gobind Singh Guru Granth Sahib Guru Nanak Dev Ji Harmandir Sahib Imran Khan Indian Army ISI Kartarpur Corridor Kartarpur Sahib Kashmir LAC LeT LOC Maharaja Ranjit Singh Narendra Modi operation sindoor Pakistan PLA POJK President Xi Jinping Prime Minister Narednra Modi PRime Minister Narendra Modi Punjab QUAD RSS SAD SFJ SGPC Sikh Sukhbir Badal

Featured Video

More Posts from this Category

Footer

Text Widget

This is an example of a text widget which can be used to describe a particular service. You can also use other widgets in this location.

Examples of widgets that can be placed here in the footer are a calendar, latest tweets, recent comments, recent posts, search form, tag cloud or more.

Sample Link.

Recent

  • Har Ghar Tiranga: Evolution and significance of the Indian Flag
  • Month on, fields at Muktsar village still submerged
  • Land pooling policy: Punjab farmer bodies to continue protest till notification issued
  • ‘Unhoused’ man who assaulted elderly Sikh man in US arrested
  • ਮੰਗਾਂ ਲਈ ਸੰਘਰਸ਼: DTF ਵੱਲੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਪੈਨਸ਼ਨ ਬਹਾਲੀ ਲਈ ਮੁਜ਼ਾਹਰੇ

Search

Tags

AAP Amritsar Bangladesh BJP CAA Captain Amarinder Singh Capt Amarinder Singh China Congress COVID CPEC Farm Bills FATF General Qamar Bajwa Guru Angad Dev JI Guru Gobind Singh Guru Granth Sahib Guru Nanak Dev Ji Harmandir Sahib Imran Khan Indian Army ISI Kartarpur Corridor Kartarpur Sahib Kashmir LAC LeT LOC Maharaja Ranjit Singh Narendra Modi operation sindoor Pakistan PLA POJK President Xi Jinping Prime Minister Narednra Modi PRime Minister Narendra Modi Punjab QUAD RSS SAD SFJ SGPC Sikh Sukhbir Badal

Copyright © 2025 · The Punjab Pulse

Developed by Web Apps Interactive