• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • About Us
  • Contact Us

The Punjab Pulse

Centre for Socio-Cultural Studies

  • Areas of Study
    • Social & Cultural Studies
    • Religious Studies
    • Governance & Politics
    • National Perspectives
    • International Perspectives
    • Communism
  • Activities
    • Conferences & Seminars
    • Discussions
  • News
  • Resources
    • Books & Publications
    • Book Reviews
  • Icons of Punjab
  • Videos
  • Academics
  • Agriculture
  • General

सत्याग्रही स्वयंसेवक अजातशत्रु श्री महीपति बालकृष्ण चिकटे

September 25, 2021 By Guest Author

Share

अजातशत्रु श्री महीपति बालकृष्ण चिकटे

पारिवारिक पृष्ठभूमि –

चिकटे जी के बड़े भाई श्री गोविन्द बालकृष्ण चिकटे मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री चांडी के पी ए. रहे थे ! वे अनेकों मंत्रियों के भी पी ए रहे ! चिकटे जी की पूज्य माता जी का स्वर्गवास हुआ तब वे केवल एक वर्ष के ही थे ! पिताजी भी उनके मेट्रिक करते ही साथ छोड़ कर भगवान को प्यारे हो गए ! किन्तु भाई बहिनों का लाड दुलार उन्हें भरपूर मिला ! सबसे छोटे होने के कारण सब प्यार से उन्हें बाल बुलाते थे ! अतः स्वाभाविक ही अपने भाई बहिनों से उनका अगाध स्नेह था ! उनकी तीन बड़ी बहिनों में से केवल सबसे बड़ी बहिन शकुन्तला जी ही विवाहित हुई ! उनका विवाह शाजापुर जिले के आगर में हुआ ! शेष दो बहिने गोदावरी तथा सुशीला अविवाहित ही रही ! दोनों शा.उ.मा.वि. की प्रिंसीपल के रूप में सेवा निवृत्त हुई !

सत्याग्रही स्वयंसेवक –

वाल्यकाल से ही चिकटे जी के जुझारू तेवर रहे ! गांधी ह्त्या के मिथ्या आरोप में लगाए गए प्रथम प्रतिवंध काल में संघ के विरुद्ध इकतरफा दुष्प्रचार चल रहा था ! संघ की ओर से कहने सुनने वाला कोई नही था ! ग्वालियर के कार्यकर्ताओं ने इस स्थिति से निबटने के लिये एक समाचार पत्र प्रकाशन का निश्चय किया ! तदनुसार “सुदर्शन” नामसे पंजीयन करबाया गया ! भगवती प्रसाद बने उसके प्रकाशक और मदन मोहन दुबे बने सम्पादक ! श्यामाचरण लवानिया नामक एक कांग्रेसी मानसिकता के प्रेस मालिक उसे छापने को तैयार हो गए और पहला अंक छपकर तैयार भी हो गया ! किन्तु तब तक भगवती प्रसाद सत्याग्रह कर गिरफ्तार हो गए ! प्रेस मालिक श्यामाप्रसाद जी ने समाचार पत्र देने से इनकार कर दिया ! उन्होंने कहा कि मेरी बात तो भगवती प्रसाद जी से हुई है, उन्हें ही समाचार पत्र दूंगा ! किन्तु दैवयोग से भगवती प्रसाद जी की दादी जी का स्वर्गवास हो जाने के कारण उन्हें अंतिम संस्कार के लिये जमानत मिल गई ! और समाचार पत्र का बह प्रथम अंक भी प्रेस मालिक की कैद से मुक्त हो सका !

अब समस्या थी उस समाचार पत्र को वितरित करने की, जिसका जिम्मा उठाया महीपति वालकृष्ण चिकटे की अगुआई में किशोर स्वयंसेवकों की एक टोली ने ! ग्वालियर का ह्रदय स्थल कहे जाने बाले महाराज बाड़े पर इन स्वयंसेवकों ने उस समाचार पत्र का वितरण शुरू किया ! जब तक पुलिस को जानकारी मिले तब तक सारे समाचार पत्र वितरित हो गए ! किन्तु पुलिस ने सभी वाल स्वयंसेवकों को सत्याग्रह करने के आरोप में बंदी बनाकर जेल भेज दिया, साथ ही सुदर्शन के प्रकाशन पर भी रोक लगा दी !

संघ प्रचारक चिकटे जी –

बंदी जीवन के तत्काल बाद चिकटे जी संघ प्रचारक के रूप में कार्य करने लगे ! इसी समय वे लखनऊ में राष्ट्रधर्म पत्रिका के प्रकाशन में श्री दीनदयाल जी उपाध्याय तथा श्री अटल विहारी जी वाजपेई के सहयोगी रहे ! यहाँ प्रेस में छपाई कार्य करते समय उनका हाथ भी दब गया, जिसके कारण उनके एक हाथ की चार उंगलियाँ चपटी हो गईं !

प्रारम्भिक दौर में ग्वालियर के प्रमुख स्वयंसेवक वा प्रचारक श्री महीपति बालकृष्ण जी चिकटे को मौ में विद्यालय स्थापित करने हेतु भेजा गया ! योजना यह थी कि उस दुर्गम क्षेत्र में वे शिक्षा के माध्यम से संघ कार्य करेंगे ! अत्यंत परिश्रम से उन्होंने लोकमान्य तिलक विद्यालय प्रारम्भ किया ! किन्तु बहां विद्यालय संचालन समिति के अध्यक्ष तथा प्रमुख कांग्रेसी नेता भूता जी से मतभेद के चलते मामाजी, चिकटे जी तथा गंभीर सिंह जी आदि ने तय किया कि एक नया विद्यालय प्रारम्भ किया जाए ! इस हेतु से अडोखर, टपरा तथा लहार के बीच एक स्थान का चयन कर विद्यालय भवन का निर्माण प्रारम्भ किया गया ! अडोखर से अ, टपरा से ट तथा लहरा से ल अक्षर मिलाकर इस स्थान का नाम अटल नगर रखा गया ! तत्कालीन कलेक्टर आर सी राय मामाजी से अत्याधिक प्रभावित थे ! उनके सहयोग से ८ बीघा भूमि विद्यालय हेतु प्राप्त हो गई तथा जन सहयोग से विद्यालय निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ !

उन दिनों चूने से भवन निर्माण होता था तथा पत्थर के बड़े बड़े चक्कों से चूने को मिलाया जाता था ! इन चक्कों को दो बैल मिलकर खींचते थे ! देव योग से केवल एक ही बैल उपलव्ध हुआ ! काम को रुका देखकर चिकटे जी बैल की जगह स्वयम जुत गए ! ग्राम वासी कुछ समय तक तो यह तमाशा देखते रहे किन्तु फिर उन्हें लगा कि हमारे बच्चों की खातिर चिकटे जी इतना श्रम कर रहे हैं ! उनके ह्रदय में चिकटे जी के प्रति सम्मान जागृत हुआ और फिर तो क्या वृद्ध क्या जवान, सभी कार्य में जुट गए ! इस घटना के बाद से अवैतनिक प्रधानाचार्य चिकटे जी तो पूरे गाँव ही नही पूरे इलाके के लिए श्रद्धा का केंद्र बन गए ! इस घटना ने संघ कार्य स्थापित करने में अहम् भूमिका निर्वाह की !

आज भी उस स्थान पर पहुँचना काफी कठिन होता है, फिर उस समय तो बह बिलकुल ही दुर्गम क्षेत्र था ! सड़क से ३० कि.मी. पैदल चलकर अथवा बैलगाड़ी से ही बहां जाया जा सकता था ! बहां प्रारम्भ में सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तथा बाद में राजमाता विजयाराजे सिंधिया महाविद्यालय प्रारम्भ होना संघ स्वयंसेवकों के अथक परिश्रम का ही प्रतिफल है ! महापुरुषों के श्रम सीकरों से सिंचित उस क्षेत्र में संघ कार्य की जड़ें गहरी हैं !

जन जन से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता –

सनक सनंदन सनत्कुमार की तपोभूमि सनकुआ सेवढा पर प्रतिवर्ष मकर संक्रान्ती के अवसर पर मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालू पहुंचाते हैं ! ग्वालियर से एक बार चिकटे जी के साथ वरिष्ठ संघ स्वयंसेवक श्री अरविंद धारप, श्री उदय काकिर्ड़े, श्री पद्माकर मोघे, श्री विवेक शेजवलकर भी मेले के अवसर पर बहां पहुंचे ! लौटते समय बसों में भारी भीड़ थी ! ऊपर छत पर भी सवारी बैठी हुई थीं ! यह स्थिति देखकर इन लोगों को चिंता हुई कि बापस ग्वालियर कैसे पहुचेंगे ! किन्तु चिकटे जी मस्ती से मुस्कुराकर स्थिति का आनंद ले रहे थे ! शेष लोगों के अचरज का ठिकाना नही रहा जब देखा कि चिकटे जी को देखते ही लगभग पूरी बस के यात्री नीचे उतरकर अपनी अपनी सीट ऑफर करने लगे ! भिंड दतिया में इतना आदर सम्मान का भाव था चिकटे जी के लिए ! हरजूपुरा के बलबंत सिंह, मढेपुरा के नाथूसिंह व जगन्नाथ सिंह, रोन के अरविंद सिंह कुशवाह, लहार के कृष्णकांत शर्मा के पिताजी आशाराम त्यागी, अड़ोखर महाविद्यालय के प्राचार्य श्री रामसिया चौहान, प्रसिद्ध लेखक व कवि श्री शैवाल सत्यार्थी आदि चिकटे जी के अनन्य आत्मीय लोगों में से थे !

भाषाविद चिकटे जी –

पूज्य सुदर्शन जी चिकटे जी की क्षमताओं से भली भाँती परिचित थे, अतः जब वे उत्तर पूर्व क्षेत्र प्रचारक नियुक्त हुए तब उन्होंने चिकटे जी को असम की जन जातीय भाषा को लिपि देने के दुष्कर कार्य हेतु आसाम भेजा ! उस समय पूर्वांचल की ८२ जनजातियों में प्रत्येक का खानपान, रहन सहन तथा बोलियां अलग अलग थीं ! लगभग १६ जनजातीय भाषाओं की कोई लिपि नहीं थी ! इस स्थिति को देखते हुए अंग्रेजों ने ईसाईयत के प्रचार की द्रष्टि से रोमन लिपि प्रारम्भ करवा दी थी ! किन्तु तभी बहां श्री के.ए.एन.राजा लेफ्टीनेंट गवर्नर होकर पहुंचे, उन्हें यह स्थिति सहन नही हुई और उन्होंने सरकारी कामों में नागरी लिपि प्रारम्भ करबाई ! जो लोग ईसाई नहीं बनना चाहते थे उन्हें इससे बड़ा आनंद हुआ ! प.पू. डाक्टर साहब की जन्म शताव्दी पर उनका जीवन वृत्त आसाम की जन जातियों में कैसे पहुंचाया जाए, इस पर विचार हुआ ! आसाम के दुरूह वनबासी अंचलों में घूम घूम कर चिकटे जी ने बंगला व असमिया भाषा, उसके उच्चारण तथा उच्चारण कर्ता की भाव भंगिमा का गंभीर अध्ययन किया ! उनके अथक परिश्रम के परिणाम स्वरुप ही पूज्य डॉ. हेडगेवार जी की जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान उनकी बोली के शव्दों को नागरी लिपि में लिखकर बच्चों को बंटबाई गईं ! बंगला, मराठी, तेलगू, असमी, मणिपुरी, तमिल भाषाओं पर चिकटे जी का पूर्ण अधिकार था ! इंग्लिश में तो उन्होंने एम्.ए. किया ही था ! उनका संस्कृत उच्चारण भी अत्यंत परिष्कृत था ! मीसावंदी के रूप में एक सह वंदी से उन्होंने जर्मन भी पूरे मनोयोग से सीखी थी !

जुझारू व्यक्तित्व –

उनके स्वभाव में चुनौतियों से जूझने में एक जिद का भाव अत्यंत प्रबल था ! १९४७ में उन्होंने हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की थी ! यद्यपि अन्य विषयों में उनके नंबर पर्याप्त बेहतर थे किन्तु अंग्रेजी में उन्हें सप्लीमेंट्री आई थी ! उस कमजोरी को उन्होंने बहुत गंभीरता से लिया, एक कचोट उन्हें लग गई ! और उसी के चलते स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने सबसे पहले अंग्रेजी में ही एम.ऐ. किया ! उनकी विद्वत्ता को देखकर उन्हें माधव महाविद्यालय में अंग्रेजी का व्याख्याता नियुक्त कर दिया गया ! बहां भी एक बड़ा मजेदार प्रसंग सामने आया ! अंग्रेजी व्याख्याता के रूप में चिकटे जी धोती कुडता पहिनकर पढ़ाने जाते थे, किन्तु संस्कृत के व्याख्याता श्री चिंतामणि केलकर पेंट शर्ट पहिनकर आते थे ! इस पर साथियों ने केलकर जी को चिढाना शुरू किया और फिर तो स्थिति यह बनी कि चिंतामणि केलकर उपाख्य चिंतू भैया ने फिर आजीवन धोती कुडता ही पहिना !

तत्कालीन सर संघ चालक प.पू. गुरूजी ने ग्वालियर प्रवास के दौरान प्रमुख कार्यकर्ताओं की एक बैठक में तत्कालीन महा नगर कार्यवाह श्री महीपति बालकृष्ण चिकटे जी से पूछा कि नगर में कितने स्वयंसेवकों को प्रार्थना कंठस्थ है ? चिकटे जी ने तुरंत उत्तर दिया कि ६० प्रतिशत को ! गुरूजी ने दूसरा प्रश्न किया कि कितनों को शुद्धता से आती होगी ? चिकटे जी ने उत्तर दिया ३५ प्रतिशत को ! गुरूजी का अगला प्रश्न था कि कितनों को अर्थ आता है ! चिकटे जी ने कुछ सोचकर उत्तर दिया कि २० प्रतिशत को ! किन्तु गुरूजी के प्रश्न यहाँ ही समाप्त नही हुए ! उनका अगला प्रश्न था कि “किती लोकांना चिकटली आहे” ? अर्थात प्रार्थना को कितने लोगों ने आचरण में उतारा है ? इसी प्रश्न में चर्चा का सार भी निहित था ! चिकटे जी ने बिना कोई उत्तर दिए बैठना ही उचित समझा !

कुशल संगठक यायावर –

१९७७ में जेल से छूटने के बाद जहां शेष मीसावंदी विजय जुलूस की शक्ल में स्वागत सत्कार करबाने में व्यस्त थे, चिकटे जी कंधे पर एक थैला लटकाए पैदल पहुँच गए अरविंद धारप जी के घर शोक संवेदना व्यक्त करने ! श्री धारप के पिताजी वा बड़े भाई इस आपातकाल के दौरान ही स्वर्गवासी हुए थे ! छिंदवाड़ा के पास समसर में शासकीय शिक्षक रहे धारप जी ग्वालियर में सरस्वती शिशु मंदिर प्रारम्भ होने पर चिकटे जी के कहने पर नौकरी छोड़कर आ गए थे ! धारप जी जब महाराष्ट्र से ग्वालियर आये थे तब उन्हें हिन्दी नही आती थी, जो उन्हें चिकटे जी ने ही सिखाई ! धारप जी को तैरना भी उन्होंने ही सिखाया ! शुरूआत में ही महलगांव के कुंवर बाबा तालाब में लगभग ३० फुट ऊंचाई से कूदने को प्रेरित किया तथा उसके बाद सहारा देकर तालाब के बीच बने कमल पर बैठा दिया और फिर कह दिया कि अब किनारे आना है तो अपने आप आओ ! साथ में गए दूसरे स्वयंसेवक सत्यप्रकाश चौरसिया को भी मदद करने से मना कर दिया ! इस प्रकार पहले ही दिन तैरना सीख गए धारप जी ! यह अनुभव अकेले धारप जी को ही नहीं वरन अनेकों स्वयंसेवकों को हुआ ! सर्व श्री वसंत कुंटे, उदय जी काकिर्ड़े, विवेक शेजवलकर आदि सभी इसी प्रकार चिकटे जी के माध्यम से कुंअर बाबा कुंड में तैरना सीखे !

भावपूर्ण कथा कहानी सुनाने में चिकटे जी को महारत थी ! वे जब कहानी सुनाते तो सुनने बाले रोमांचित हो उठते ! पिन ड्रॉप साइलेंस हो जाता ! सब अपने आप को भूलकर उस कथानक के वातावरण में स्वयं को अनुभव करने लगते ! एसा ही एक प्रसंग ग्वालियर जे.सी.मिल में लगे सन २००३ संघ शिक्षावर्ग का भी है ! संघ शिक्षा वर्ग के समापन के अवसर पर श्री यादव राव जी का दीक्षांत बौद्दिक होना था ! बौद्धिक के पूर्व प्रातः चिकटे जी को प.पू. डाक्टर हेडगेवार जी के स्वयंसेवकों को लिखे अंतिम पत्र का वाचन करने को कहा गया ! डाक्टर साहब के चित्र पर हलकी रोशनी, बांसुरी के गंभीर स्वर और चिकटे जी का भावपूर्ण वाचन, कुल मिलाकर एसा समन्वय बना कि सम्पूर्ण वातावरण अत्यंत ही ह्रदयस्पर्शी हो गया ! यादव राव जी तो इतने बिव्हल हो गए कि वे कुछ कहने की स्थिति में ही नही रहे ! आँखों में आंसू और रुंधे कंठ से कोई क्या बौद्धिक देता ? और विवशतः संघ शिक्षावर्ग का बह समापन कार्यक्रम बिना दीक्षांत बौद्धिक के ही हुआ !

वे जन्मजात शिक्षक थे, विद्यार्थी थे और यायावर थे ! सीखने सिखाने और देशाटन का कोई अवसर वे अपने हाथ से नही जाने देते थे ! कई बार तो स्वतः अवसर बना लेते थे ! श्री वसंत कुंटे जी को साथ ले एक बार समर्थ रामदास स्वामी से सम्बंधित स्थानों के दर्शन का कार्यक्रम निर्मित किया ! फिर क्या था हो गई यात्रा प्रारम्भ ! सतारा जिले में स्थित समर्थ के समाधि स्थल सज्जन गढ़, दासवोध का लेखन समर्थ ने जहां किया बह शिवथर गुफा, १२ वर्ष की आयु में गृहत्याग कर जहां तपस्या की नासिक जिले का टाकली, समर्थ द्वारा स्थापित सभी ११ हनुमान मंदिर आदि स्थानों पर १५ दिन भ्रमण किया !

श्री श्रीरामजी अरावकर ने एक संस्मरण सुनाया – ग्वालियर संघ शिक्षा वर्ग के समय भोजन कक्ष की सफाई, लिपाई, पुताई होनी थी ! कर्मचारियों के ना आने पर कार्य में विलम्ब ना हो, इसलिए महानगर कार्यवाह श्री महीपति चिकटे जी ने लिपाई शुरू कर दी ! कर्मचारियों के आने पर हाथ धोए ! चिकटे जी जहां पढ़ाते थे, बहां के हर विद्यार्थी को नाम से याद रखते थे ! इसलिए हुडदंगी विद्यार्थी उनके सामने भीगी बिल्ली बनाकर बैठते थे ! क्योंकि गडबडी करते ही चिकटे जी उन्हें नाम लेकर टोक देते थे !

महाप्रयाण –

उन्हें अपनी मृत्यु का भी पूर्वाभाष हो गया था ! एक दिन पूर्व वे मोची से अपनी बड़ी बहिन के लिए सेंडिल बनाबाकर लाये ! यह एक विशेष प्रकार का होता था ! जिसकी एक एडी की ऊंचाई कुछ अधिक होती थी ! जब मोची ने अगले दिन देने को कहा तो चिकटे जी ने कहा कि कल किसने देखा है ! देना है आज ही दे ! २४ सितम्बर १९९९ को प्रातः काल स्नान उपरांत चिकटे जी प्रभु प्रार्थना में तल्लीन थे ! जब भगवान को प्रणाम करने को सर नीचे झुकाया दिव्य ज्योति में विलीन हो गए ! एक परम शुद्ध आत्मा, विशुद्ध सन्यासी ही इस प्रकार की मृत्यु पाता है ! जो कि वस्तुतः चिकटे जी थे भी !


Share
test

Filed Under: Social & Cultural Studies, Stories & Articles

Primary Sidebar

More to See

Sri Guru Granth Sahib

August 27, 2022 By Jaibans Singh

Missile part found in Punjab’s border village; sparks panic, villagers say ‘explosion heard’

May 8, 2025 By News Bureau

India destroys Air Defence System at Lahore

May 8, 2025 By News Bureau

Tags

AAP Amritsar Bangladesh BJP CAA Captain Amarinder Singh Capt Amarinder Singh China Congress COVID CPEC Farm Bills FATF General Qamar Bajwa Guru Angad Dev JI Guru Gobind Singh Guru Granth Sahib Guru Nanak Dev Ji Harmandir Sahib Imran Khan Indian Army Indira Gandhi ISI Kartarpur Corridor Kartarpur Sahib Kashmir LAC LeT LOC Maharaja Ranjit Singh Narendra Modi Pakistan PLA POJK President Xi Jinping Prime Minister Narednra Modi PRime Minister Narendra Modi Punjab QUAD RSS SAD SFJ SGPC Sikh Sukhbir Badal

Featured Video

More Posts from this Category

Footer

Text Widget

This is an example of a text widget which can be used to describe a particular service. You can also use other widgets in this location.

Examples of widgets that can be placed here in the footer are a calendar, latest tweets, recent comments, recent posts, search form, tag cloud or more.

Sample Link.

Recent

  • ਅੱਤਵਾਦ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ ਲਈ ਵਚਨਬੱਧਤਾ
  • Missile part found in Punjab’s border village; sparks panic, villagers say ‘explosion heard’
  • India destroys Air Defence System at Lahore
  • ਆਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਸਿੰਦੂਰ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਾਹੌਲ
  • ਕੇਂਦਰੀ ਗ੍ਰਹਿ ਮੰਤਰਾਲੇ ਵੱਲੋਂ ਅਗਲੇ ਹੁਕਮਾਂ ਤੱਕ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਲਾਂਘਾ ਬੰਦ

Search

Tags

AAP Amritsar Bangladesh BJP CAA Captain Amarinder Singh Capt Amarinder Singh China Congress COVID CPEC Farm Bills FATF General Qamar Bajwa Guru Angad Dev JI Guru Gobind Singh Guru Granth Sahib Guru Nanak Dev Ji Harmandir Sahib Imran Khan Indian Army Indira Gandhi ISI Kartarpur Corridor Kartarpur Sahib Kashmir LAC LeT LOC Maharaja Ranjit Singh Narendra Modi Pakistan PLA POJK President Xi Jinping Prime Minister Narednra Modi PRime Minister Narendra Modi Punjab QUAD RSS SAD SFJ SGPC Sikh Sukhbir Badal

Copyright © 2025 · The Punjab Pulse

Developed by Web Apps Interactive