यह समय की मांग है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अंतिम छोर तक मजबूत गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की भूमिका को प्रभावी बनाया जाए। गांवों में प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का तेजी से विस्तार करना होगा। इससे छोटे किसानों की संस्थागत ऋण तक पहुंच बढ़ाई जा सकेगी। देश को 2047 तक विकसित … [Read more...] about अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकते गांव
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कांग्रेस ने पहले ‘वंदे मातरम्’ के टुकड़े किए, फिर देश के
जिस कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार ‘वंदे मातरम्’ गूंजा, उसी कांग्रेस ने मौलाना सैयद मुहम्मद अली की राय को संपूर्ण मुस्लिम समुदाय की भावना मान लिया। 1937 में कांग्रेस कार्य समिति ने गीत के तथाकथित ‘आपत्तिजनक अंशों’ को हटाने का निर्णय लिया। एक दशक बाद 1947 में मजहब के आधार पर देश … [Read more...] about कांग्रेस ने पहले ‘वंदे मातरम्’ के टुकड़े किए, फिर देश के
सदाबहार मित्र के साथ शिखर वार्ता
मास्को ने दिल्ली को कभी निराश नहीं किया यह शिखर सम्मेलन उसकी प्रतिबद्धताओं पर नए सिरे से प्रकाश डालने का ही काम करेगा। यह सही है कि बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों और सामरिक खरीदारी में विविधीकरण के भारतीय प्रयासों के बीच रूस की भारतीय हथियार बाजार में हिस्सेदारी कम हो रही है, … [Read more...] about सदाबहार मित्र के साथ शिखर वार्ता
संघ और संविधान
आज संघ समाज को संस्कारित करने के लिए वे सभी काम कर रहा है, जिनकी कल्पना संविधान निर्माताओं ने की थी। इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि संघ और संविधान अलग-अलग राह के राही हैं। 6 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान अंगीकार किया गया। इस दिन ने हमारे राष्ट्र की दिशा और धुरी तय की। … [Read more...] about संघ और संविधान
लोकतंत्र की सेहत पर सवाल, बढ़ता मौन गहरी चिंता पैदा करता है
लोकतंत्र की सबसे सुंदर बात यही है कि वह बहस से चलता है, सहमति से नहीं। अगर संसद में अब सिर्फ सहमति बची है और असहमति को जगह नहीं दी जा रही तो हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि लोकतंत्र अब अपने मूल अर्थ से कहीं न कहीं दूर जा रहा है। लोकतंत्र का अस्तित्व संसद के शोर में है, उसकी चुप्पी … [Read more...] about लोकतंत्र की सेहत पर सवाल, बढ़ता मौन गहरी चिंता पैदा करता है




