“मेरी सरकार पर तो मैंने सुझाव तुरंत स्वीकार किया”
राज्यपाल को अनुच्छेद 167 (बी) के अन्तर्गत राज्य के प्रशासनिक मामलों और वैधानिक प्रस्तावों से संबंधित मामलों पर मुख्यमंत्री से जानकारी मांगने का अधिकार है। जब कभी इस तरह की जानकारी मांगी जाए तो मुख्यमंत्री इसे देने के लिए बाध्य होते हैं।
14 जून, 2023 – चंडीगढ़ : ‘मेरी सरकार’ को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा उठाए गए सवालों पर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पलटवार किया है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर कहा, “‘मेरी सरकार’ पर आपके सुझाव को तो सदन में मैंने तुरंत स्वीकार कर लिया था लेकिन राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के प्रासंगिक भाग जिसमें कहा गया है कि यह बताना आवश्यक होगा कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल, दोनों ही संवैधानिक पदाधिकारी हैं, जिनकी संविधान द्वारा निर्धारित निर्दिष्ट भूमिकाएं और दायित्व हैं।”
राज्यपाल को अनुच्छेद 167 (बी) के अन्तर्गत राज्य के प्रशासनिक मामलों और वैधानिक प्रस्तावों से संबंधित मामलों पर मुख्यमंत्री से जानकारी मांगने का अधिकार है। जब कभी इस तरह की जानकारी मांगी जाए, तो मुख्यमंत्री इसे देने के लिए बाध्य होते हैं, लेकिन उन्होंने उनके द्वारा लिखे गए पत्रों का भी तक जवाब नहीं दिया हैं। बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली के रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने भाषण में कहा था कि राज्यपाल अपने अभिभाषण से ‘मेरी सरकार’ शब्द हटाना चाहते थे। जिसे लेकर सोमवार को राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने कभी भी अपने अभिभाषण से मेरी सरकार शब्द हटाने को नहीं कहा।
जिसके बाद मुख्यमंत्री ने अभिभाषण को लेकर एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर शेयर किया। जिसमें राज्यपाल द्वारा ‘मेरी सरकार’ बोलने पर विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आपत्ति उठाई, जिसके बाद राज्यपाल ने ‘सरकार’ शब्द का उच्चारण किया। जिस पर मुख्यमंत्री ने आपत्ति उठाई। जिसके बाद राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में ‘मेरी सरकार’ बोला। राज्यपाल ने ट्वीट के लहजे, तेवर और मुख्यमंत्री द्वारा लिखे गए पत्र को भी उचित नहीं माना।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा है, ‘आपकी आपत्ति के बाद मैंने तुरंत आपके (मुख्यमंत्री) के सुझाव को स्वीकार कर लिया लेकिन आपने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया।’ बनवारी लाल पुरोहित ने अपने पत्र में लिखा, ‘राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी को नहीं देना स्पष्ट रूप से संवैधानिक कर्तव्य का अपमान है। जबकि अनुच्छेद 167 (बी) के तहत जानकारी देना मुख्यमंत्री का दायित्व है।’ अनुच्छेद 167 (बी) का हवाला देते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि उनके विभिन्न पत्रों के माध्यम से मांगी गई जानकारी अभी तक प्रस्तुत नहीं की गई है, जो कि भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बताए गए संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना है।
राज्यपाल ने पत्र में लिखा है कि उन्होंने ‘भाषण देते समय ही इस सुझाव को तत्काल स्वीकार कर लिया था जबकि मुख्यमंत्री माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के प्रति लापरवाह रहे हैं जिन्हें पारित हुए लगभग चार महीने बीत चुके हैं।’ इसे लेकर राज्यपाल लिख चुके हैं पत्र राज्यपाल ने 13 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर सिंगापुर भेजे गए प्रिंसिपलों के चयन की प्रक्रिया को बताने कि लिए कहा था। राज्यपाल ने पंजाब सूचना संपर्क एवं तकनीकी कारपोरेशन के चेयरमैन गुररिंदरजीत सिंह की नियुक्ति, दो लाख एससी विद्यार्थियों को स्कालरशिप नहीं मिल पाने के कारण पढ़ाई छोड़ने, पीएयू के वाइस चांसलर को हटाने, चंडीगढ़ के पूर्व एसएसपी कुलदीप सिंह चाहल को हटाने आदि मामलों को लेकर पत्र लिखा था।
सौजन्य : दैनिक जागरण
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