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Vijay Diwas: 1971 की लड़ाई में BSF के 184 अधिकारियों एवं जवानों का शौर्य

December 17, 2025 By Guest Author

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 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति की लड़ाई में जब BSF ने पाकिस्तानी सेना को कई किमी पीछे धकेल दिया था

17 दिसम्बर, 2025 – देश : 1971 में बीएसएफ के साहस ने देश को पाकिस्तान से जीताने का काम किया था। इसी के साथ कुछ ही दिनों में बनी पीटर फोर्स ने भी पाकिस्तान की सेना को पीछे खदेड़ने का काम किया था।

Indo-Pak War 1971: बीएसएफ ने पाक सेना को चबवाए नाकों चने, 125 जांबाजों ने दी  शहादत, 133 का अभी भी है इंतजार - In India Pakistan war 1971 125 BSF  soldiers martyrdom

सीमा सुरक्षा बल ‘बीएसएफ’ ने 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति की लड़ाई में अहम भूमिका अदा की थी। भारत-पाकिस्तान सीमा पर ऐसा कोई मोर्चा या पोस्ट नहीं थी, जहां पर बीएसएफ की बहादुरी के किस्से न रहे हों। बॉर्डर से लगते नॉर्थ बंगाल में बीएसएफ के डीआईजी ने पूर्वी पाकिस्तान में तैनात सेना को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए चंद दिनों में ‘पीटर फोर्स’ खड़ी कर दी थी। इस फोर्स ने पाकिस्तान की सेना को कई किलोमीटर पीछे खदेड़ दिया। सीमा सुरक्षा बल ने मुक्ति वाहिनी के साथ मिलकर मिराजगंज हाट और डोमर तक के इलाके को सुरक्षित बना लिया था। 1971 की लड़ाई में बीएसएफ के 184 अधिकारियों एवं जवानों को अपने शौर्य के चलते पद्म भूषण, पद्म श्री और महावीर चक्र सहित बहादुरी के कई दूसरे मेडल से सम्मानित किया गया।

पूर्वी मोर्चे पर इस तरह बनाई गई ‘पीटर फोर्स’ …  

बीएसएफ के एडीजी संजीव कृष्ण सूद (रिटायर्ड) ने अपनी पुस्तक ‘बीएसएफ, दा आइज एंड ईयर्स ऑफ इंडिया’ में ‘बांग्लादेश की मुक्ति’ की लड़ाई से जुड़े बहादुरी के कई किस्सों का जिक्र किया है। इस लड़ाई में ‘सीमा सुरक्षा बल’ के अहम योगदान को लेकर तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बीएसएफ की खूब प्रशंसा की थी। 1971 में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से लगते नॉर्थ बंगाल में बीएसएफ की बड़े पैमाने पर तैनाती थी। हालांकि वहां पर इंडियन आर्मी भी थी। जब पाकिस्तान के साथ लड़ाई हुई तो ऑपरेशन के लिए इंडियन आर्मी को दक्षिण की तरफ जाना पड़ा। उसके बाद बॉर्डर पर बीएसएफ की जिम्मेदारी बढ़ गई थी। पाकिस्तान की सेना लगातार आगे बढ़ रही थी। नॉर्थ बंगाल में बीएसएफ के एक डीआईजी ने ‘पीटर फोर्स’ बनाई। इस फोर्स की खासियत यह रही कि इसमें बल की अलग-अलग यूनिटों मसलन मोर्टार, एमएमजी एलीमेंट व ‘पोस्ट ग्रुप आर्टिलरी’ से जवानों को शामिल किया गया। पूर्वी पाकिस्तान में ‘पीटर फोर्स’ ने बहादुरी का परिचय देते हुए दुश्मन की सेना को कई किलोमीटर पीछे धकेल दिया। मिराजगंज हाट और डोमर तक बीएसएफ और मुक्ति वाहिनी का कब्जा हो गया। डोमर पर हमला कर पाक सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। इसके बाद ‘पीटर फोर्स’ को किशोरगंज की तरफ बढ़ने का आदेश मिला। 15 दिसंबर 1971 को यहां पर बीएसएफ ने कब्जा कर लिया।

When 93 thousand soldiers of Pakistan surrendered in front of India,  Bangladesh was born | आज का इतिहास: जब भारत के सामने पाकिस्तान के 93 हजार  सैनिकों ने किया था आत्मसमर्पण, हुआ

‘द बैटल ऑफ रायगंज’ में शहीद हुए थे डिप्टी कमांडेंट …

बीएसएफ की 78 वीं बटालियन के डिप्टी कमांडेंट इंद्रजीत सिंह उप्पल को रायगंज की जिम्मेदारी सौंपी गई। वे बल की दो कंपनियों को लीड कर रहे थे। उन्हें रायगंज के निकट नॉर्थ बैंक ऑफ रिवर के फूलकुमारी क्षेत्र पर कब्जा करना था। बीएसएफ, मुक्ति वाहिनी व राजपूत बटालियन का एक दस्ता भी उनके साथ आ गया। उप्पल ने यहां बहादुरी का परिचय देते हुए दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया। उप्पल शहीद हुए और उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। राजस्थान में पाकिस्तान से लगती सीमा पर लोंगेवाल सेक्टर में बीएसएफ व आर्मी के मुट्ठीभर जवान ‘नायकों’ की तरह लड़े। पाकिस्तान के पास कई गुना ज्यादा सैनिक और सैन्य उपकरण थे। इसके बावजूद उन्हें ‘पोस्ट’ सरेंडर करनी पड़ी। बीएसएफ ने घोटारू पोस्ट पर कब्जा कर लिया। पाक सैनिकों को यहां भी मुंह की खानी पड़ी।

अमेरिकन तकनीक से लैस पाक सैनिकों पर प्रहार … 

पंजाब सेक्टर में भी बीएसएफ ने शौर्य की गाथा लिखी। सामने मॉडर्न पाकिस्तान आर्मी थी। खास बात ये रही कि उनके पास अमेरिकन तकनीक थी। पाकिस्तान ने पूरे संसाधनों के साथ भारतीय पोस्ट पर हमला किया, लेकिन बीएसएफ ने पोस्ट नहीं छोड़ी। एसके सूद ने लिखा है कि उस समय पाकिस्तान, ओवरऑल बेहतर स्थिति में था। बीएसएफ के सहायक कमांडेंट आरके वाधवा ने 31 वीं बटालियन को साथ लेकर ‘राजा मोहतम’ पर हमला कर दिया। केवल दो प्लाटून उनके साथ थी। उन्होंने एक खास रणनीति के तहत पीछे से दुश्मन पर हमला किया। सात दिसंबर को पाकिस्तान के हाथ से छीनकर वहां कब्जा कर लिया। उस लड़ाई में वाधवा शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत, महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। जलालाबाद, फाजिल्का सेक्टर, गुरदासपुर, डेरा बाबा नानक सेक्टर जैसे इलाकों में दुश्मन कदम नहीं रख सका। वहां की 17 बीओपी पर पाक ने कब्जे का प्रयास किया, लेकिन बीएसएफ ने उसके मंसूबे पूरे नहीं होने दिए।

आर्मी की सप्लाई लेन क्लीयर कराई…

बीएसएफ की 86 वीं बटालियन को दवाकी सिलहट, जो आर्मी सप्लाई का एक कोण था, उस रूट को क्लीयर कराने की जिम्मेदारी मिली। एक कंपनी ने ही यह टॉस्क पूरा कर दिया। कमला बगान पर 3 दिसंबर 1971 को कब्जा कर लिया गया। सहायक कमांडेंट शिवाजी सिंह ने ओपी हिल का इलाका भी सुरक्षित बनाए रखा। 86, 87 व 84 बटालियन ने कच्छार में दुश्मन को मात दी। 23 बटालियन ने अजनाला सेक्टर में तो वहीं 57 बटालियन ने मोइल बीओपी खाली कराई। इस दौरान 5 सिख बटालियन भी बीएसएफ के साथ थी। भारतीय सुरक्षा बलों ने सलीम पोस्ट से पाकिस्तान को भगा दिया।

अमर उजाला


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