प्रियरंजन भारती : इस्लामिक आतंकवाद भारत में जड़ें जमाने के लिए नित नए हथकंडों का उपयोग कर रहा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के करतब तो पुराने हो चले, अब इस्लामिक स्टेट यानी आइएस ने पांव पसारने शुरू कर दिए। भारत में एक बड़ी राजनीतिक शख्सियत पर आत्मघाती हमले की मंशा में जुटे आइएस के एक आतंकवादी को रूस में गिरफ्तार किया गया है। रूस की शीर्षस्थ खुफिया एजेंसी का कहना है कि मध्य एशियाई देश के इस आतंकी को अप्रैल में ही तुर्की (अब तुर्किये) में आइएस की तरफ से आत्मघाती हमला यानी मानव बम के रूप में हमला करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। इस आतंकी का रूसी एजेंसी ने तस्वीर और उसका बयान भी जारी किया।
बयान में उसने भारत में सत्तारूढ़ पार्टी के एक बड़े नेता के विरुद्ध आत्मघाती हमले की योजना का पर्दाफाश भी किया है। यह भारतीय सुरक्षा तंत्र को और अधिक चौकसी बरतने को आगाह कर देने वाला वाकया है। रूस का दावा है कि उस आतंकी से आइएस ने तुर्किये में ‘टेलीग्राम’ एप के जरिए संपर्क साधा था और उसे फिर वहीं पर प्रशिक्षित किया। उसने यह भी स्वीकार किया कि भारत पहुंचने पर उसे आइएस की ओर से आतंकी हमले के लिए जरूरी चीजें मिलनी थी।
भारत और रूस के बीच आतंकवाद के खिलाफ पहले ही से समझौता है। इस लिहाज से रूस की तरफ से इस मामले में भरपूर सहयोग मिल भी रहा है। रूसी एजेंसी के इस महत्वपूर्ण पर्दाफाश के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा महकमे के भीतर खलबली मचना स्वाभाविक है। भारतीय एजेंसियां इस बात से चिंतित हैं कि पहली बार भारत के किसी नेता के खिलाफ आइएस ने साजिश रचने की कोशिश की। चुनौती इस मामले की तह में जाने की है। भारत में सक्रिय आतंकी संगठनों से आइएस के तार जुड़ना भी चिंता का विषय है। पूर्व में नुपुर शर्मा द्वारा की गई एक टिप्पणी के खिलाफ देश भर में जिस तरह आतंक फैलाने का प्रयास किया गया वह बेहद खतरनाक है।
पिछले दिनों राजस्थान की सीमा पर भी एक आतंकवादी को इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत में प्रवेश करते समय पकड़ा गया था। उसने नुपुर शर्मा के घर की रेकी करने और उनके बारे में जानकारी एकत्रित करने के भी दावे किए। देश में आतंकियों और आइएस जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के लिए विदेशी फंडिंग के नेटवर्क का पर्दाफाश भी भारत की चिंताएं बढ़ा देता है।
आतंकी फंडिंग : एनआइए ने पिछले दिनों पटना के दीघा निवासी मोहसिन अहमद को दिल्ली में गिरफ्तार किया। भारत में कई लोगों के इस आतंकी से साठगांठ की जानकारी मिलने के बाद एनआइए ने जांच आरंभ कर दी। मोहसिन भारत में रहने वाले आइएस के समर्थकों से धन इकट्ठा करता रहा था। इस धन को वह क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर सीरिया स्थित आइएस के आकाओं को भेज देता था। इसके साथ ही क्रिप्टो एक्सचेंज में आइएस के उस अकाउंट का भी पता लगाया गया जिसमें मोहसिन धन भेजता था। वह लंबे समय से इस काम में जुटा था, लेकिन जांच एजेंसियों के राडार पर हाल में उसकी संदिग्ध गतिविधियां आईं और वह पकड़ा गया।
सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी मिली थी कि देश में कट्टर इस्लामिक विचारधारा से जुड़े कई लोग आइएस की गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। इनमें से कुछ तो आनलाइन गतिविधियों में शामिल होते हैं, जबकि अनेक लोग जमीनी स्तर पर भी आइएस के लिए काम कर रहे हैं। ये लोग खासतौर पर भारत में कट्टरता का फैलाव करते हुए भारत में आइएस का समर्थन करने वालों से चंदा जुटाते हैं, उसकी आतंकी विचारधारा का प्रचार प्रसार करते हैं और धन आइएस को भेजते आ रहे हैं। एनआइए की टीम ने मोहसिन के बिहार के अन्य जिलों के करीबियों के बारे में भी भरपूर जानकारी इकट्ठा की। मोहसिन के तार उत्तर प्रदेश और कर्नाटक से भी जुड़े होने के संकेत मिले हैं। इसकी पड़ताल में और भी छापेमारी की तैयारी की जा रही है।
आतंकी फंडिंग के चौंकाने वाले सच सामने आए हैं जो भारत में इस्लामिक आतंकवाद की जड़ों को मजबूत बनाने में निरंतर सक्रिय रहे। पीएफआइ को हर साल सऊदी अरब, कतर, कुवैत, यूएई और बहरीन से लगभग 500 करोड़ रुपये मिल रहे थे। इसे परिवार की देखरेख के नाम पर अलग अलग खातों में भेजा जाता है। इसके लिए पीएफआइ सदस्यों के रिश्तेदारों तथा परिचितों के दो लाख बैंक खातों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। आइएनए की एंटी टेरर फंडिंग विंग यह जांच कर रही है कि यह रकम कहां कहां खर्च की जाती रही। पता चला कि पीएफआइ कई ऐसे संगठनों को पैसे भेजती है जो युवाओं में इस्लामिक कट्टरता फैलाने का काम करते हैं। पीएफआइ के फुलवारीशरीफ माड्यूल के पर्दाफाश के साथ यह भी सार्वजनिक हो चुका है कि अनेक संगठन मुस्लिम युवकों का ब्रेनवाश कर उन्हें कट्टर बना रहे हैं।
पीएफआइ मुस्लिम विरोधी कतिपय सरकारी नीतियों को चिन्हित करती और उनके विरुद्ध आंदोलन को उकसाती तथा आंदोलनकारियों पर खूब खर्च भी करती है। जेल में बंद आतंकियों की कानूनी लड़ाई के मोर्चे पर भी पीएफआइ का विदेश से एकत्रित धन खर्च किया जाता है। इस कार्य के लिए उसने कई फ्रंट भी बना रखे हैं। ईडी ने इसी साल जून में मनी लांडिंग का मामला दर्ज करते हुए पीएफआइ और उसके एक सहयोगी संगठन के 33 बैंक खाते सील किए हैं। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि राज्य सरकार की नाक के नीचे ऐसा देशद्रोही षड्यंत्र किया जाता रहा और शासन-प्रशासन इससे अनजान कैसे रहा। ऐसे षड्यंत्र के मामलों पर राज्य प्रशासन को पूरी नजर रखनी चाहिए। खैर अब यह देखना होगा कि जांच एजेंसियां आगे और क्या बारीक तहों की जानकारियां जुटा पाती हैं, ताकि आतंक पर प्रहार के लिए निर्णायक रणनीति तैयार की जा सके।
सौजन्य : दैनिक जागरण
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