संजीव कुमार
देश वासियों को 72 गनतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई | गणतंत्र दिवस पर विशेष रूप से सरकार और पुलिस प्रशासन को सहनशीलता और मानवता को बचाने के लिए बहुत बहुत बधाई | विशेष जो मेरी बहन पुलिस की वर्दी में थी। जिसके उपर पंजाबियों ने हाथ उठाया उस बहन से क्षमा करने का आग्रह | अब विचार करना होगा कि इस घटना से देश और समाज का क्या नुकसान हुआ? यह दोबारा न हो उसके लिए पंजाबियों को अग्रसर भूमिका में आना होगा |
जब हम गणतंत्र दिवस पर देल्ही में ट्रैक्टर परेड के दौरान देश के सविधान को न मानने वाली मानसिकता वाले लोगो की अराजक घटनाओं को देख रहे थे | मन में विचार आया यह जो अराजकता फ़ैलाने वाले लोग क्या किसान हो सकते है? उतर नहीं।
जब वेशभूषा को देखतां हु तो भी ध्यान में आता है की यह मेरे गुरु कलगिया वाले के बख्शे बाणे में ऐसे लोग जो मेरी बहन जो पुलिस की वर्दी में थी उसे मारने वाले लोग हमारी सिख परम्परा के हो ही नही सकते। यह गद्दार है बहरूपिये है | जिन्होंने पंजाब और पंजाबियत को शर्मिंदा किया |
जब लोग इधर उधर भाग कर ट्रैक्टरों ,डंडों और किरपानो से पुलिसकर्मीयों पर हमला कर रहे थे। पुलिस प्रशासन की सहनशीलता को देखते हुए दृश्य ध्यान में आया | जब हिन्द दी चादर नोवें गुरु तेगबहादुर जी बलिदान के लिए देल्ही आए | उस समय अत्याचारी मुस्लिम औरंगजेब ने गुरु जी और उनके साथियों का धर्म परिवर्तन करने के लिए क्रूरतापूर्वक अत्याचार किये| गुरु जी चाहते तो वह अध्यात्मक शक्ति से पुरे मुगल सम्राज्य को तहस नहस कर सकते थे | पर उन्होंने ऐसा नही किया | उनका उदेश्य मानव द्वारा मानवता के लिए संदेश था | गुरु जी हिन्दुयों को जाग्रत और इस अत्याचार के खिलाफ एकत्रित करना चाहते थे |
उसी उदेश्य से गुरु गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना के लिए देश वासियों से आग्रह किया हमें एक ऐसी फोज की स्थापना करनी है जो गौ और गरीब की रक्षा करे| इसलिए हमें हर घर से एक बालक चाहिए | विचारधारा कैसी हो उस पर गुरु जी ने श्लोक दिया | “सूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत पुरजा पुरजा कट मरै कबहू न छाडे खेत” अब वर्तमान में विचार करतें है | क्या इस पंथ की विचारधारा पर चलने वालों ने 72वें गणतंत्र दिवस पर गरिमा को कायम रखा? उतर नहीं |
ओरतों और निहत्थों पर हमला यह इस पंथ की विचारधारा नही हो सकती। हाँ यह बहिरुपिये ही है | लाल किले पर जिस तरह पुलिसकर्मी दीवार से नीचे गिर रहे थे कहीं न कहीं यह जलियाँ वाले बाग की भी याद दिलाता है |
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