मनोज त्रिपाठी
जालंधर : Punjab Assembly Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर है, लेकिन युवाओं के बेहतर भविष्य के दावे करने वाले राजनीतिक दल उल्टी हवा बहा रहे हैं। वह युवाओं को यहां पर रोजगार देने के बजाय उन्हें विदेश भेजने में मदद करने का वादा कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के अर¨वद केजरीवाल घोषणा कर चुके हैं कि अगर अनुसूचित जाति समुदाय का कोई बच्चा उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहता है तो उसका खर्च राज्य सरकार उठाएगी। शिअद अध्यक्ष के सुखबीर बादल ने विदेश जाने वाले विद्यार्थियों के लिए दस लाख रुपये व स्टूडेंट लोन कार्ड जारी करने का वादा किया है। वहीं, मुख्यमंत्री चन्नी भी विदेश जाने वाले युवाओं के लिए दस करोड़ रुपये का विशेष फंड बनाने की बात कह चुके हैं।
पलायन करने वालों में सबसे ज्यादा युवा, 28 हजार करोड़ रुपये हर साल पंजाब से जा रहे विदेश
पंजाब से पलायन सालों पहले शुरू हो गया था, लेकिन बीते कुछ वर्षो में नशा व बेरोजगारी के चलते इसमें तेजी आई है। पहले युवा पंजाब में रहते थे और परिवार का मुखिया दूसरे राज्यों या देशों में कमाने के लिए जाता था। वहां से कमाई करके पैसे घर भेजता था। अब लोगों में अपने बच्चों को बारहवीं के बाद ही विदेश भेजने का चलन शुरू हो गया है। कनाडा आस्ट्रेलिया, इटली व अमेरिका जैसे देशों में जाकर बच्चे पढ़ाई करने के बाद वहीं नौकरी कर रहे हैं। पढ़ाई पर युवा हर साल पंजाब से 28 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं, जो विदेश जा रहा है।
1.78 करोड़ लोगों के पास पासपोर्ट, तीन करोड़ के करीब है जनसंख्या
उनकी पीआर (परमानेंट रेसिडेंसी) वहां होने के बाद अभिभावक भी पंजाब से प्रापर्टी बेच कर इन देशों में शिफ्ट हो रहे हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि करीब तीन करोड़ की जनसंख्या वाले पंजाब में 1.78 करोड़ लोगों के पास पासपोर्ट हैं। सीए अश्विनी गुप्ता कहते हैं कि अगर पलायन की यही रफ्तार रही तो आने वाले कुछ वर्षो में पंजाब में बुजुर्गो व बच्चों के अलावा बाकी दूसरे राज्यों के लोग ज्यादा दिखाई देंगे। दोआबा, मालवा व माझा क्षेत्र में बंटे पंजाब में पलायन की रफ्तार सबसे ज्यादा दोआबा में है। दोआबा में तो देश को बंटवारे से पहले से ही पलायन शुरू हो गया था, लेकिन तब युवाओं के बजाय परिवार के मुखिया विदेश जाते थे।
1.5 लाख युवा हर सात बेहतर भविष्य के लिए विदेश जा रहे
पंजाबियों के विदेश जाने की शुरुआत 172 साल पहले 1849 में हुई थी। पंजाब के डीजीपी वीके भावरा ने अपनी रिसर्च में 2013 में कहा था कि पंजाब से माइग्रेशन की शुरुआत 1849 से इंग्लैंड के राजमहल से करवाई गई थी। उस समय एक सैनिक टुकड़ी को वहां बुलाया गया था। एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि मेजर केसर सिंह माइग्रेट होने वाले पहले पंजाबी थे।
उसके बाद से जारी इस सिलसिले ने बीते 15 सालों में इतनी तेज रफ्तार पकड़ ली है कि अब पंजाब सरकार के सालाना बजट का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा पंजाब के लोग विदेश में अपने बच्चों की पढ़ाई और उन्हें वहां सेटल करने पर खर्च कर रहे हैं। लोकसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल पंजाब से विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले युवाओं पर अभिभावक 28,500 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं।
75 प्रतिशत पंजाबी अपने बच्चों को बारहवीं के बाद बाहर भेजना चाहते हैं
इस रिपोर्ट के अनुसार हर साल एक से डेढ़ लाख युवा पंजाब से कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अमेरिका व इटली सहित तमाम देशों में पढ़ाई के लिए जा रहे हैं। इंटरनेशनल जनरल आफ रिसर्च एंड एनालिटिकल रिव्यूज (आइजेआरएआर) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 75 प्रतिशत पंजाबी अपने बच्चों को बारहवीं के बाद विदेश भेजना चाहते हैं। उसके बाद वह खुद विदेश में सेटल होने में जुट जाते हैं। पहले विदेश में कमा कर लोग पंजाब में प्रापर्टी में निवेश करते थे, लेकिन अब जमीन बेचकर बच्चों को विदेश भेज रहे हैं।
बढ़ रही पासपोर्ट बनवाने वालों की संख्या
वर्ष- पासपोर्ट बने (लाख में)
2012- 1.3
2013- 1.83
2014- 2.3
2015- 2.8
2016- 2.9
2017- 3.48
2018- 3.62
2019- 3.71
2020- 3.82
पलायन के मुख्य कारण
- -पंजाब में लगातार बढ़ रहा नशे का कारोबार। लोग अपनी अगली पीढ़ी को बचाने के लिए उन्हें विदेश में सेटल कर रहे हैं।
- -औद्योगिक पलायन के चलते रोजगार उपलब्ध न होना भी बड़ा कारण है।
- -कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। जो एक बार विदेश जाकर आता है, परिवार के बाकी सदस्यों को भी ले जाना चाहता है।
- -बच्चों को विदेश भेजने के बाद बुजुर्ग न चाहते हुए भी परिवार के साथ विदेश शिफ्ट हो रहे हैं।
यह है स्थिति
- -2017-18 में कनाडा व आस्ट्रेलिया में पढ़ाई के लिए पंजाब के डेढ़ लाख युवाओं को वहां के शिक्षक संस्थानों में पंजीकृत किया गया।
- -एक छात्र की पढ़ाई पर विदेश में हर साल 15 से पांच लाख खर्च कर रहे अभिभावक।
- -कनाडा में पढ़ाई के साथ पीआर मिलने व हर सप्ताह 10 से 20 घंटे काम करने की छूट से यह देश पहली पसंद बन गया है।
- -पंजाब के 103 इंजीनियरिंग व मेडिकल कालेज और 16 विश्वविद्यालयों में सीटें नहीं भर पा रही है।
- -ग्रामीण सेक्टर में विदेश जाने के लिए आइलेट्स की परीक्षा के नाम पर हर साल खर्च हो रहे सात हजार करोड़।
सौजन्य : दैनिक जागरण
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