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पंजाब में क्यों पनप रहा नशे का कारोबार

July 19, 2022 By Guest Author

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पंजाब को नशे की लत में क्यों डुबोये रखना चाहती हैं सभी पार्टियां? - पंजाब को नशे की लत में क्यों डुबोये रखना चाहती हैं सभी पार्टियां?

सरहद पार से आने वाला नशा पंजाब के युवाओं को बर्बाद कर रहा है। सबसे दुखद पहलू यह है कि सूबे के नौजवान ही ड्रग्स की तस्करी में शामिल हैं। कंटीले तार के पार के खेतों वाले किसान भी इस धंधे को अपना रहे हैं। सरहदी जिले (फिरोजपुर, अमृतसर, पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का और तरनतारन) में नशीले पदार्थों के कारोबार में पढ़े-लिखे नौजवानों के लगे होने का सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है।

वहीं हाई स्कूल और सेकेंडरी स्कूलों में पढ़ रहे अधिकतर बच्चे अफीम, स्मैक और चूरापोस्त के सेवन के आदी हो चुके हैं।  सरहद पार पाकिस्तान से हेरोइन की तस्करी में बीएसएफ के हवलदार और इंस्पेक्टर रैंक के कई अधिकारियों की मिलीभगत भी है। नौजवान अपने ऐशो-आराम के लिए तस्करी कर रहे हैं। इनमें कई ऐसे तस्कर हैं जिनके बुजुर्ग पहले ये धंधा करते थे।

पैसों के लालच में किसान भी तस्करी में शामिल होने लगे हैं। इन्हीं के माध्यम से हेरोइन भारत में पहुंचती है। फेंसिंग पार जमीन को कई किसान खेती कम और हेरोइन की तस्करी के लिए ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। बीएसएफ व पुलिस ने जितने भी हेरोइन तस्कर पकड़े हैं ज्यादातर की आयु 20 से 23 साल के बीच है। ऐसे तस्करों के बारे में बीएसएफ और पुलिस को ज्यादा जानकारी नहीं है। उनके पास पुराने तस्करों की सूची है, जिनमें से कई की मौत हो चुकी है।

बेरोजगारी बड़ा कारण ड्रग्स तस्करी करने का

Drugs Trade, Drugs Rackets in Punjab, Know 5 Reasons 2

जानकारी के अनुसार बीएसएफ ने सीमावर्ती गांव मेहंदीपुर से तीन किलो हेरोइन के साथ नौजवान तस्कर पकड़े थे। इनमें सरवन सिंह (20), हरपाल सिंह (20), कारज सिंह (23) और सुखदेव सिंह (20) शामिल हैं। इसी तरह हेरोइन तस्करी में इतनी ही उम्र के कई नौजवान तस्करों को पकड़ा जा चुका है।

नौजवान इस धंधे को इसलिए अपना रहे हैं कि बार्डर क्षेत्र में सरकार ने औद्योगीकरण भी ध्यान नहीं दिया है। बेरोजगारी बहुत है। नौजवानों को आराम की जिंदगी जीने के लिए हेरोइन की तस्करी से आसान कोई धंधा नहीं लगता।

बीएसएफ जवान भी पकड़े गए थे

ममदोट सेक्टर (फिरोजपुर) से शिंगारा सिंह, बीएसएफ जवान गुरप्रीत सिंह और जवान बिक्रमजीत (ये दोनों अक्तूबर 2013 में पकड़े गए थे, बीएसएफ ज्वाइन किए छह माह हुए थे) हेरोइन तस्करी के आरोप में पकड़े जा चुके हैं।

खेती से ज्यादा मिल रहा मुनाफा

कई किसानों ने फेंसिंग पार की जमीन खेती करने के नाम पर ली है, लेकिन इसकी आड़ में पाकिस्तान से हेरोइन, हथियार व जाली करेंसी की तस्करी करते हैं। इससे उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है। हेरोइन को भारत में लाने के लिए किसान कई हथकंडे अपनाते हैं। सीमावर्ती गांव में अधिकतर किसान व ग्रामीण पाकिस्तानी तस्करों के संपर्क में हैं।

Drugs Trade, Drugs Rackets in Punjab, Know 5 Reasons 3

फेंसिंग पार जमीन पर इतना अनाज नहीं होता जितना इसकी आड़ में जहर भारत में आ रहा है। कई किसानों को हेरोइन काफी मुनाफा दे रही है। पाकिस्तानी तस्करों के लालच में सीमावर्ती कई किसान और ग्रामीण आ चुके हैं। किसान सुलखन सिंह वासी जोधा भैणी व गुरमेल सिंह वासी चक मंडी को पंजाब पुलिस के स्पेशल सेल ने हेरोइन समेत काबू किया था।

फेंसिंग पार गुरमेल की जमीन है। सुलखन पाकिस्तान से 12 बार 150 किलोग्राम हेरोइन ला चुका है। जलालाबाद से भी बीएसएफ ने दो किसानों को हेरोइन समेत पकड़ा था। उन्होंने अपनी बैलगाड़ी में ऐसा सिस्टम बना रखा था जिसमें हेरोइन छिपाकर लाते थे।

कई जगहों पर गश्त नहीं कर सकती बीएसएफ

Drugs Trade, Drugs Rackets in Punjab, Know 5 Reasons 4

कई ऐसी जगह पर जहां बीएसएफ गश्त के लिए नहीं जा सकती लेकिन वहां गांव के लोग जा सकते हैं। ऐसे तैराक हैं, जो सतलुज दरिया के पानी के अंदर घुस जाए तो कहीं भी जाकर निकल सकते हैं।

सीमावर्ती गांव के कई लोगों के पास पाकिस्तानी मोबाइल कंपनी के सिम कार्ड हैं। यह काम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई करवा रही है। बीएसएफ और पंजाब पुलिस भी कई सीमावर्ती ग्रामीणों से पाकिस्तानी सिम कार्ड पकड़ चुकी है।

कब-कब पकड़ी हेरोइन

* 2011 में लगभग 135 किलो

* 2012 में 288.125 किलो

* 2013 में 322.11 किलो

* 2014 में अब तक लगभग 250 किलो

राजस्थान भी फैला रहा जहर

पंजाब से सटे राजस्थान के बार्डर से भी चूरापोस्त और अफीम बहुत अधिक मात्रा में सूबे में आती है। पंजाब के अधिकतर लोग चूरापोस्त और अफीम के आदी हो चुके हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान से पंजाब में चूरापोस्त और अफीम की सप्लाई आना बंद हो गई थी। जब नशा नहीं मिला तो सभी श्रीगंगानगर पहुंच गए थे। दो दिन तक हाईवे जाम किया तब राजस्थान पुलिस ने लाइन लगाकर नशेडि़यों को चूरापोस्त बंटवाया था।

यहां पुलिस नहीं पहुंचती

फिरोजपुर में छावनी की ग्वाल मंडी, लाल कुर्ती, बस्ती टैंकावाली, बस्ती शेखां वाली, बस्ती निजामद्दीन, भट्टियां वाली बस्ती में नशीले पदार्थ का धंधा चल रहा है। पुलिस यहां छापामारी नहीं करती है। ग्वाल मंडी में नशा, जुआ, सट्टा का धंधा चलता है।

यहां पर एक नेता का समर्थन होने के कारण पुलिस छापामारी नहीं करती है। इसके अलावा गांव बजीदपुर में भी सरेआम नशा मिलता है। यहां के तस्करों को भी राजनीतिक समर्थन है। पुलिस यहां भी छापामारी नहीं करती है।

सौजन्य : अमर उजाला


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