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पंजाब से चुनावी रिपोर्ट

January 7, 2022 By Guest Author

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अमरिंदर से नाराज उनके गांव के लोग, चन्नी के गांव में सड़ रहा तालाब; बादल गांव के युवा बादलों से खफा

Chandigarh Punjab election: चंडीगढ़ निगम चुनाव नतीजे: पंजाब और राष्ट्रीय  राजनीति के लिए क्या हैं इसके मायने?, Chandigarh Municipal elections Results  Meaning for Punjab Politics

पंजाब के गांव में धान की कटाई और गेहूं की बुआई के साथ ही चुनावी हवा बहने लगी है। हाइवे और सड़कों के किनारे पोस्टरों की भरमार है। टिकट पाने की की चाहत में हर छुटभैये नेता अपने से बड़े नेता की बड़ी सी तस्वीर टांगकर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। पोस्टरबाजी की लड़ाई में सबसे आगे दिखती है आम आदमी पार्टी। नेशनल हाईवे से लेकर सड़क, गली, मोहल्ले तक अरविंद केजरीवाल के पोस्टर ही दिखते हैं, साथ में पंचलाइन- ‘इक मौका केजरीवाल नू।’ कांग्रेस के नए नवेले CM चरणजीत सिंह चन्नी के भी सरकारी प्रचार के पोस्टर भी पटे पड़े हैं। अकाली दल ने ‌BSP के साथ अपने गठबंधन का प्रचार करते हुए पोस्टर टांगे हुए हैं। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में ‌BJP के पोस्टर कहीं नहीं दिखते हैं।

पंजाब में तैयार हो रहे इन्हीं चुनावी माहौल के बीच हमने राजधानी चंडीगढ़ से शुरू करके लुधियाना, मोगा, मुक्तसर, भठिंडा, संगरूर, पटियाला, मोहाली जिलों का दौरा किया और करीब 1000 किमी की यात्रा की। इसी दौरान हमने पंजाब के 5 दिग्गज नेताओं- CM चरणजीत सिंह चन्नी, AAP नेता भगवंत मान, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह और अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल के गांव का हाल जाना।

AAP ahead in poster war, Congress government advertisements also flooded,  villages of Channi, Sidhu, Captain, Mann, Badal | अमरिंदर से नाराज उनके  गांव के लोग, चन्नी के गांव में सड़ रहा तालाब;

  1. सुखबीर सिंह बादल का गांव- ‘ये गांव सिर्फ कहने भर का गांव है‘

मुक्तसर जिले में स्थित बादल गांव कहने को तो गांव है, लेकिन ये किसी भी विकसित शहर से कम नहीं है। अकाली दल के नेताओं के इस गांव में घुसते ही एहसास हो जाता है कि ये हाइप्रोफाइल नेता का गांव है। टू-वे पक्की सड़कें, सड़कों पर आलीशान लाइटिंग, स्टेडियम, स्कूल, हॉस्पिटल इस गांव में सब कुछ है। बादल परिवार का घर भी किसी हवेली से कम नहीं है, भव्य दरवाजा और चारों तरफ 20 फुट ऊंची दीवारें और सख्त सुरक्षा इंतजामात। इसी हवेली के सामने है बादल गांव का सरकारी स्कूल। जब हम वहां पहुंचे तो स्कूल से निकल रहे छात्रों ने दैनिक भास्कर का माइक देखकर हमें घेर लिया। छात्रों से जब बातचीत शुरू हुई तो उन्होंने बताया कि बादल गांव में अकाली दल और बादलों का ही सिक्का चलता है, लेकिन जब चर्चा आगे बढ़ी तो कुछ छात्र आम आदमी पार्टी की नीतियों की तारीफ करने लगे। ये वो वोटर थे जो आने वाले विधानसभा चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले हैं। 12वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र अमनदीप बताते हैं- ‘मैं इस बार अपनी जिंदगी का पहला वोट देने वाला हूं। मेरा पूरा परिवार अकाली दल को वोट देता रहा है, लेकिन मैं आम आदमी पार्टी को वोट दूंगा। बिजली, पानी, शिक्षा और रोजगार हमारे मुद्दे हैं। हमने दिल्ली में इन मुद्दों पर बेहतर काम देखा है।’

गांव में मेन रोड पर बरगद के पेड़ के नीचे बुजुर्गों का जमावड़ा लगा था। कोई आराम कर रहा था, तो कोई धूप सेंक रहा था। इसी ठिकाने के आसपास आप, अकाली दल, कांग्रेस सभी के पोस्टर लगे हुए थे। हम भी उन बुजुर्गों में शामिल हो गए और पूछना शुरू कर दिया कि चुनावी माहौल कैसा है? किस पार्टी की सरकार बन सकती है? लोगों ने एकमत से कहा कि ये बादल का गांव है और वोट अकाली दल को ही जाएगा। हमने वहां बैठे बीरा से पूछा कि ऐसा क्यों है कि सभी लोग अकाली दल को ही वोट देने की बात कह रहे हैं? जवाब में वो कहता है कि कोई यहां दूसरे पार्टी या नेता के पक्ष में नहीं बोलेगा, लोगों में बादल परिवार का डर भी रहता है।

गांव में घूमते हुए हमें फर्राटे से बाइक भगाते हुए दिखीं 18 साल की रमनजोत। रमनजोत अपनी दो सहेलियों को बिठाकर कॉलेज से लौट रही थीं। हमने उनसे पूछ लिया, कौन सी पार्टी-नेता पसंद है? जवाब में कहती हैं कि ‘कॉलेज में बादल साहब ने बढ़ियां काम कराया है। वोट बादल साहब को ही जाएगा।’

  1. कैप्टन अमरिंदर सिंह का गांव मेहराज- ‘लगता नहीं कि ये हाइप्रोफाइल नेता का गांव है‘

कैप्टन अमरिंदर सिंह का राजनीतिक कुनबा तो पटियाला में है, लेकिन कैप्टन का पैतृक गांव मेहराज है, जो बठिंडा जिले पड़ता है। मेहराज गांव में पहुंचने पर लगता ही नहीं है कि ये हाइप्रोफाइल नेता का गांव हैं। लोग कहते हैं कि ये कैप्टन के पुरखों का गांव हैं, लेकिन इस गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है। लोग कहते हैं कि कैप्टन खुद इस गांव सालों में ही आते हैं। इस गांव में ना तो ढंग की सड़कें हैं ना ही नालियों का काम हुआ है। लोग कहते हैं कि बरसात के दिनों में गांव में बहुत दिक्कत होती है।

मेहराज के रहने वाले हरजीत सिंह कहते हैं कि, ‘जब से चरणजीत सिंह चन्नी को CM को बनाया गया है, वो एक से बढ़कर एक काम कर रहे हैं। उन्होंने हमारे हजारों रुपये के बिजली बिल माफ कर दिए। भले ही ये अमरिंदर सिंह का गांव है, लेकिन हम अब भी कांग्रेस को ही वोट देंगे।’ गांव में एक राशन की दुकान के बाहर कुछ महिलाएं बैठी हुई थीं। हमने जैसे ही उनसे पॉलिटिक्स की बात शुरू की तो वो नाराज हो गईं। सुखविंदर कहती हैं, ‘हर चुनाव में नेता वोट मांगने आते हैं और वोट ले जाते हैं, लेकिन जनता को कुछ नहीं मिलता। ये पूर्व CM का पुश्तैनी गांव और गांव की हालत ये है कि यहां ना तो ढंग की सड़कें हैं ना नालियां हैं।’ ये महिलाएं हमें पकड़कर गांव की धर्मशाला दिखाने ले गईं। जर्जर हालात में पड़ी धर्मशाला को दिखाते हुए वो कहती हैं कि जब कोई भी नेता वोट देने आएगा तो हम यहीं लेकर आएंगे और कहेंगे कि किस बात के वोट चाहिए हैं?’

  1. भगवंत मान का गांव सतोज- ‘लोगों की मांग- भगवंत मान ही हों AAP के CM कैंडिडेट‘

दक्षिणी पंजाब में हाइवे पर घूमते हुए हमें आम आदमी पार्टी के खूब पोस्टर दिखे। पोस्टर पर सिर्फ और सिर्फ अरविंद केजरीवाल के फोटो और साथ में पंचलाइन ‘इक मौका केजरीवाल नू।’ संगरूर लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता भगवंत मान सांसद है और खबर है कि आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव में भगवंत मान को CM कैंडिडेट बनाएगी।

भगवंत मान के गांव सतोज में लोगों को पूरी उम्मीद है कि मान ही AAP के CM कैंडिडेट के तौर पर भगवंत मान के नाम का ही ऐलान होगा। गांव में घूमते हुए हमें मिले युवा 21 साल के सतनाम सिंह। सतनाम कहते हैं कि इस गांव में ज्यादातर लोग भगवंत मान को ही वोट डालेंगे। इसकी वजह है कि आम आम आदमी पार्टी की नीतियां अच्छी हैं। किसानों को लेकर भी AAP का रुख अच्छा रहा है। गांव के 75 साल के बजुर्ग सुखदेव सिंह कहते हैं कि ‘भगवंत हमारे पिंड का मुंडा है इसलिए हम उसे ही वोट डालेंगे।’ भोला सिंह कहते हैं- ‘भगवंत मान को मुख्यमंत्री बनना ही चाहिए।’

गांव के 18 साल के युवा पवित्र सिंह आने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले है। पवित्र कहते हैं कि- ‘हमें पक्का यकीन है कि आम आदमी पार्टी भगवंत मान CM बनेंगे’। पवित्र आगे बात करते हुए किसानों के मुद्दे पर भावुक हो गए, हमने पूछा कि अब तो मोदी सरकार ने किसान कानून वापस ले लिए हैं क्या BJP को इसका फायदा चुनावों में नहीं मिलेगा? पवित्र कहते हैं कि ‘पंजाब के गांवों में BJP को कोई वोट नहीं देगा। गांव में BJP का विरोध इतना ज्यादा है कि नेता गांव में प्रचार तक करने से डरेंगे।’

  1. नवजोत सिंह सिद्धू का गांव कक्करवाल- ‘असली चेहरा सिद्धू हैं, चन्नी कुछ दिन के मेहमान हैं‘

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का पुश्तैनी गांव कक्करवाल दक्षिणी पंजाब के संगरूर जिले में ही पड़ता है। जिस वक्त हम गांव में पहुंचे कोई भी चुनावी पोस्टर या पार्टियों के झंडे नहीं दिखे। लेकिन गांव की सड़कें पक्की, नालियां ढंकी हुई दिखीं। पंजाब सरकार ने 2018 में फैसला लिया था कि नवजोत सिंह सिद्धू के गांव को आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जाए और गांव के लोग बताते हैं कि इस फैसले के बाद से गांव में विकास के काम भी तेज हुए।

गांव के सार्वजनिक चबूतरे पर बैठीं परमजीत कौर कहती हैं, ‘ये नवजोत सिंह सिद्धू का गांव है लेकिन वो यहां बहुत कम ही आते हैं। पिछले कुछ सालों में गांव में विकास जरूर हुआ है।’ परमजीत लंबे वक्त तक किसान आंदोलन के साथ जुड़ी रहीं। हमने उनसे पूछा कि मोदी सरकार ने किसान कानून वापस ले लिए और आंदोलन खत्म हो गया, इसका राजनीतिक फायदा किस पार्टी को मिलेगा? जवाब मिला- ‘किसी पार्टी को नहीं।’

गांव में घूमते हुए हमें मिल गए नवजोत सिंह सिद्धू के चचेरे भाई हरपाल सिंह सिद्धू। हरपाल कहते हैं कि ये सिद्धू का खुद का गांव है तो यहां तो कांग्रेस को जमकर वोट मिलेगा। हमने सवाल पूछ दिया कि लेकिन CM तो चन्नी हैं ऐसे में लोग चन्नी के चेहरे पर वोट करेंगे या सिद्धू के चेहरे पर? जवाब में हरपाल कहते हैं कि ‘ज्यादातर लोग सिद्धू को ही पसंद करते हैं। चन्नी तो कुछ दिन के CM हैं ये सब जानते हैं।’ गांव के गुरुद्वारे में कुछ लोगों से जब हमने चुनावी चर्चा छेड़ी तो माहौल गर्म हो गया। कुछ लोग कहने लगे कि चन्नी ज्यादा अच्छे नेता हैं वहीं कुछ कहने लगे कि चुनाव के बाद सिद्धू ही CM बनाए जाएंगे।

  1. CM चरणजीत सिंह चन्नी का गांव संधुआं- ‘दलित वोट कांग्रेस के पक्ष में होगा एकजुट‘

पंजाब के CM चरणजीत सिंह चन्नी का गांव संधुआं मोहाली जिले में पड़ता है। गांव में घुसते ही सामने एक गुरुद्वारा है और गुरुद्वारे का सामने तालाब का पानी बुरी तरह सड़ रहा है। करीब 1100 लोगों की आबादी वाले इस गांव में अब भी CM चन्नी का पुश्तैनी घर है, जहां उनका बचपन बीता। जिस तरह से हाइवे पर पोस्टरों की भरमार है, उस तरह अभी गांव-गांव तक पोस्टर झंडे नहीं पहुंचे हैं। लोग बताते हैं कि जब तक चुनावों का ऐलान नहीं होगा तब गांव के स्तर पर माहौल तैयार नहीं होगा।

जब हम CM चन्नी के पुश्तैनी घर पहुंचे तो वहां हमारी मुलाकात हुई चन्नी के चचेरे भाई भूपिंदर सिंह से। भूपिंदर कहते हैं कि उनका गांव काफी सालों से कांग्रेस को ही वोट देता आया है। इस बार चरणजीत को CM बनाए जाने से गांव में और भी ज्यादा माहौल तैयार हुआ है। भूपिंदर कहते हैं कि आजादी के बाद 70 साल के इतिहास में पहली बार चन्नी को दलित CM बनाए जाने से कांग्रेस के पक्ष में इलाके के दलित वोट आएंगे।

हाइप्रोफाइल नेता का गांव होने के बावजूद इस गांव की सड़कें खराब हैं, नालियों की ठीक व्यवस्था नहीं है और स्कूल भी जर्जर हालत में है। गांव में घूमते हुए जब लोगों से हमने पूछा कि पंजाब के CM का गांव होने के बावजूद ये हालात क्यों हैं? जवाब में लोग कहते हैं कि CM चन्नी यहां कम ही आते हैं, उनका ज्यादा फोकस शहरी इलाके खरड़ में रहता है।

सौजन्य : दैनिक भास्कर


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