इकबाल सिंह लालपुरा
भारत एक संवैधानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष देश है और भारत में पंजाब ही एकमात्र सिखबहुल गिनती वाला राज्य है !! फिर भी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष कांग्रेस पार्टी 1947 से हर बार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से SGPC चुनावों में हस्तक्षेप करती रही है !! पंजाबी आज भी पूर्णरूप से आधिकारिक भाषा नहीं है, इसके लिए कांग्रेस पार्टी की सरकारें ही जिम्मेदार हैं !! पंजाबी राज्य में आंदोलन, ब्लू स्टार, दिल्ली और अन्य राज्यों में सिखों के नरसंहार के लिए कांग्रेस सरकारें ही जिम्मेदार हैं !! लेकिन SGPC ने कभी भी एक प्रस्ताव पारित करने या उसके खिलाफ हुकम नाम जारी करने की हिम्मत नहीं की, निर्दोष सिखों की हत्या के उपरांत भी, वह पंथ विरोधी नहीं है !!
श्री दरबार साहिब अमृतसर के पवित्र सरोवर को पूरने के बाद धान रोपने की बात करने वाले कामरेड भी पंथ विरोधी नहीं हैं !!
इसी तरह श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र स्वरूप को चुराने वाले और गुरु का अनादर करने वाले, शांतिपूर्वक गुरबानी पढ़ने वाले, गुरसिखों पर गोली चलाने वाले, भी पंथ दोषी नहीं है !!
पंजाब सरकार में मंत्री रहे सरदार आत्मा सिंह मुलांकट दाड़ी केशों वाले पुलिस कर्मचारियों से सलामी नहीं लेते थे!! सिख रेजिमेंट के जवानों को पूर्ण गुरसिख होना चाहिए !! यहाँ तक कि पुराने पुलिस अधिकारी भी दाढ़ी काटने वालों को पूर्ण सिख बनने के लिए प्रेतित करते थे, लेकिन अब सिंह शब्द केवल कागजों में है !! क्या अकाली सरकारें इसके लिए भी जिम्मेदारी से मुक्त हैं?
अकाली सरकारों ने पूर्ण सिख अधिकारियों को पीछे छोड़, सैनी और परमराज जैसे आगे रखे, फिर भी वे पंथप्रस्थ हैं !!
गत 21 मार्च को, भाव केवल 11 दिन पहले भारतीय जनता पार्टी की पंजाब प्रदेश कार्यसमिति की बैठक चल रही थी, गुरदासपुर जिले के अध्यक्ष, जो एक जमींदार सिख परिवार से संबंध रखते हैं, उठ के खड़े हुए, शायद उसने पहली बार पगड़ी बांधी थी!
पंजाब भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री अश्विनी शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा, “आज, पहली बार पगड़ी बांध के आए हो, बहुत सुंदर लग रहे हो, अब आगे भी अपनी पगड़ी नहीं उतारनी और अपने केश भी रख लो !!” शर्मा जी की पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) हैं !! फिर उन्होंने सभी सिख भाई जो बैठक में उपस्थित थे को संबोधित करते हुए कहा, “सिखों के पुत्रों तुम्हें शर्म नहीं आती, हमारी तरह बाल कटाये घूमते हो, सारे सिख जो उपस्थित हो दाड़ी, केश रखो और अपने सर पर पगड़ी बांधों।” यह उनका अवचेतन मन और आंतरिक आत्मा बोल रही थी” ! ”
आज पंजाब में शायद ही कोई ऐसा राजनैतिक नेता हो जो दूसरे धर्म के लोगों को अपने धर्म में परिपक्व होने का निर्देश देने का साहस रखता हो !!
पार्टी की पंजाब इकाई की बैठक और लेखन केवल गुरुमुखी में किया जाता है, बाकी भाषाएं में बाद में रूपांतर होता है, यह शायद गुरु गोलवलकर का आदेश है कि अगर महाराष्ट्र के लोग मराठी में बोलते और लिखते हैं तो पंजाबी क्यों पंजाबी बोलने वाले और लिखने वाले नहीं हैं !! ये बातें तथ्यों पर आधारित हैं, मनोकाल्पनिक नहीं !! इस तथ्य पर शायद किसी ने कभी खोज नहीं की। बाहार से आए किसी बड़े नेता को देख, हिंदी बोलने की परंपरा नहीं है, उन्हें खुद पंजाबी समझनी होती है, ये उनका काम है !!
सिख धर्म की आने वाली पौध पंजाबी हिंदू ही रहा है और खालसा उनके सम्मान, धर्म, जीवन और संपत्ति का रक्षक है !!
इस पौध से तैयार हुए बट वृक्ष मास्टर तारा सिंह जी (पहले नानक चंद मल्होत्रा), प्रोफेसर साहिब सिंह (पहले नथु राम) व भगत पूरन सिंह (पहले राम जी दास) और अनेक पहली बार सिख बन वो काम कर गए है जो सिख इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख प्रेरणास्रोत बने हैं !!
मास्टर तारा सिंह अपनी ईमानदारी, जुझारूपन और दूरदर्शिता के कारण आज भी खालसा के दिल में जिंदा हैं !! मरीजों के लिए भगत पूरन सिंह की निस्वार्थ सेवा एक मिसाल है !! प्रोफेसर साहिब सिंह की ओर से श्री गुरु ग्रंथ साहिब का टिका सुबह हुकमनामा साहिब की व्याख्या प्रस्तुत करने का परमानिक तरीका है !! क्या पिछले 84 सालों में सिख को हिंदू बनाने का कोई उदाहरण भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की और से है?
दूसरी ओर, बीमारी को मिटाने के झूठे ढोंग, विदेशों में लोगों को बसाने के लालच से होने वाले धर्मांतरण को कैसे रोका जाए? क्योंकि लालच, छल और भय से कोई कार्य करने का प्रावधान भारतीय कानून में नहीं है !!
पाकिस्तान में तो गुरुद्वारा साहिबान में विशेषकर ननकाना साहिब की ग्रंथी की बेटियों का अपहरण कर लिया और उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया !! इस संबंध में एसजीपीसी का प्रस्ताव कहां है? और कहां है गरीब और कमजोर सिख परिवारों के हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने की रूपरेखा?
केवल राजनीतिक कारणों और लाभ के लिए धार्मिक विभाजन कर कहीं, “पंजाब न हिंदू न मुसलमान” “पंजाब जिउंदा गुरां दे नाम ते”!! संस्कृति को समाप्त न कर दें !!
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