पंजाब में हम जमीन भी नहीं खरीद सकते
02 अगस्त, 2022 – पंजाब की मिट्टी की खुशबू के लिए मर मिटने वाले एनआरआई अपनी सरजमीं से दूर भाग रहे हैं। पंजाब में निवेश तो दूर की बात है एनआरआईज अपनी जमीन जायदाद बेचने के लिए कतार लगाकर खड़े हैं। एनआरआई के लिए सूबे में पांच एजेंसियां व एक मंत्रालय काम कर रहा है लेकिन रिजल्ट शून्य है और हालात यह हैं कि छह साल से एनआरआई के लिए संगत दर्शन नहीं हुआ और न ही एनआरआई सम्मेलन।
साल 2022 का विधानसभा चुनाव पंजाब के इतिहास में पहला ऐसा चुनाव है, जिसमें एनआरआई ने अपनी उपस्थिति भी दर्ज नहीं करवाई और मतदान प्रतिशत भी काफी कम रहा है। साल 2022 में 1300 एनआरआई मतदाताओं ने अपना पंजीकरण करवाया था, मगर 100 से भी कम मत पड़े। पंजाब में 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 393 विदेशी मतदाताओं ने अपना पंजीकरण कराया था, जिसमें 264 पुरुष और 129 महिलाएं थीं। पंजाब से संबंधित एनआरआईज हमेशा चुनावों में अहम भूमिका अदा करते रहे हैं लेकिन इस बार न तो किसी राजनीतिक पार्टी ने विदेशों का रुख किया और न ही एनआरआई ने पंजाब का।
केस नंबर एक
सुच्चा सिंह अमेरिका के बहुत बड़े कारोबारी हैं, उनके होटल हैं। उन्होंने पंजाब के जालंधर में एक मार्केट तैयार की, उसकी देखरेख उनकी बहन हरमीत कौर करती रहीं। 14 साल का किराया बहन हरमीत कौर व उसके पति रिटायर एससी हरबंस सिंह के पास जाता रहा। वे भारत नहीं आए लेकिन एक करोड़ से अधिक का किराया हरमीत कौर के खाते में जाता रहा, जिसको वह निकलवाकर इस्तेमाल करती रही। सुच्चा सिंह ने एक करोड़ 60 लाख का हिसाब मांगा तो बहन ने बहाने बनाए। हालात यह बने कि सुच्चा सिंह को इंसाफ लेने के लिए जालंधर पुलिस कमिश्नरेट से लेकर हाईकोर्ट व एनआरआई आयोग तक जाना पड़ा। डायरेक्टर ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन के आदेश पर आखिरकार मामला दर्ज हुआ। इससे पहले वह पंजाब में एक फाइव स्टार होटल खोलने की तैयारी कर रहे थे लेकिन बहन ने ठगी की तो मन खट्टा हो गया और पंजाब में होटल खोलने का फैसला रद्द कर दिया। अब वह कानों को हाथ लगाते हैं और कहते हैं कि पंजाब में इंसाफ नाम की चीज नहीं है।
केस नंबर दो
2020 में बैंक को एफडी भेजी थी, गायब हो गई, दो साल से किसी ने नहीं सुना यूके के रहने वाले जसबीर सिंह कालोकी का कहना है कि उनकी पंजाब के एक बैंक में एफडी थी, जो करीब 20 लाख रुपये की थी। बैंक को 2020 में असली एफडी सौंपी थी लेकिन आज तक पैसा नहीं मिला। बैंक अब मुकर गया कि हमारे पास आपकी असली एफडी आई ही नहीं। दो साल से धक्के खा रहा हूं कोई सुन नहीं रहा है। पुलिस को शिकायत की लेकिन कोई रिजल्ट नहीं।
बादल ने आलू प्रोसेसिंग कंपनी का नींव पत्थर रखा, कंपनी संचालक एनआरआई ने बंद किया
प्रकाश सिंह बादल ने अपनी सरकार में लांबड़ा में एक एनआरआई द्वारा शुरू की जा रही आलू की प्रोसेसिंग कंपनी का नींव पत्थर रखा था। उन्होंने कहा था कि एनआरआईज का पंजाब में स्वागत है, लेकिन एनआरआई को अधिकारियों ने अपने जाल में ऐसा उलझाया कि वह कंपनी को शुरू करने से पहले ही विदेश चला गया।
यहां एनआरआई सभा, पांच साल प्रधान कोई नहीं बना
एनआरआई की समस्याओं के समाधान के लिए सभा का गठन किया गया था, जिसका पांच साल तक चुनाव नहीं हुआ। 2015 में चुनाव हुए, उसके बाद पांच साल तक कोई चुनाव नहीं हुआ। 2020 में जब किरपाल सिंह सहोता को प्रधान बनाया गया लेकिन कोविड के कारण वह अमेरिका चले गए और यहां पर कामकाज बिलकुल ठप हो गया। वह कुछ समय के लिए बीच में आए लेकिन वापस निकल गए। करीब 55 लाख पंजाबी विदेशों में सेटल हैं। एनआरआईज की समस्याओं के समाधान के लिए 1990 में एनआरआई सभा की स्थापना की गई। इसके करीब 23,000 सदस्य हैं और हर साल होने वाला एनआरआई सम्मेलन और एनआरआई संगत दर्शन भी नहीं हो सका। सरकार के उदासीन रवैये के चलते विदेश में बसे लाखों पंजाबी पंजाब में निवेश को तैयार नहीं हैं।
पंजाब में एनआरआईज जमीन ही नहीं खरीद सकते, बिजली 11 रुपये यूनिट
एनआरआई सभा के पूर्व प्रधान कहते हैं कि पंजाब में एनआरआईज जमीन बेच सकते हैं लेकिन खरीदने के लिए केंद्र सरकार की आज्ञा लेनी पड़ती है। यहां खेतीबाड़ी की जमीन खरीद नहीं सकते, वह अपनी मिट्टी के साथ जुड़ेंगे कैसे? दूसरा, कोई एनआरआई पंजाब में निवेश क्यों करेगा? यहां पर बिजली 11 रुपये यूनिट है बाकी सूबे में 5 रुपये। फिर, यहां की अफसरशाही का सबको पता है, किस तरह से एनआरआई को देखते ही उलझाती है। मेरे दोस्त हैं, जिन्होंने पंजाब में प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी की थी लेकिन सब बैकफुट पर हो गए।
हमारी अगली पीढ़ी पंजाब नहीं आना चाहती, प्रापर्टी बेच रहे हैं बस : औजला
यूके में रहने वाले शरणजीत सिंह औजला का कहना है कि हमारी अगली पीढ़ी पंजाब आने के लिए तैयार नहीं है। पंजाब में एनआरआईज के साथ सकारात्मक रवैया अख्तियार नहीं किया जाता। यहां हम प्रापर्टी बेच रहे हैं, खरीद नहीं रहे हैं। पुश्तैनी जमीनों को बेचने लिए जोर लगाया जा रहा है। बाहर विदेशों में पंजाब में कानून व्यवस्था को लेकर काफी नकारात्मक माहौल बना हुआ है, जिससे एनआरआईज खौफजदा हैं, पंजाब में निवेश ही नहीं, आने से भी घबराने लगे हैं।
हमारे पास सिर्फ बेचने की कॉल्स, खरीदने की नहीं : पप्पी
नामवर बिल्डर बलजिंदर सिंह अरोड़ा पप्पी का कहना है कि हमारे पास रोजाना एनआरआई कॉल्स तो आती है लेकिन वह बेचने की बात करते हैं, खरीदने की नहीं। पहले जमीनों को खरीदने में एनआरआईज नंबर वन होते थे लेकिन अब खरीदारी जीरो फीसदी है जबकि बेचने के लिए हजारों एनआरआईज कतार में हैं।
सौजन्य : अमर उजाला
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