सुमित दहिया
एक सफर के दौरान ट्रैन मे
मुझे मिले एक वरिष्ठ कवि
जो समझा रहे थे मुझे कि
कविता स्मृतियों की भी होती है
और विषाद की भी
प्रेम और खुशी भी है इसका विषय
और दुख भी
कविता होती है आवाज़ की
निषेद और अभाव की
हवाओ मे बहने वाले दिनों की
और उंगलियों पर ठहरे हुए मौसमों की भी
होती है कविता
आंखों के नीचे जमा होने वाली तारीखे
विचारों मे निरंतर आने वाले चेहरे
दीवार पर तस्वीरों की शक्ल में टंगे जख्म
और त्वचा पर रेंगने वाले रिश्ते भी कहते है कविता
तो तुम बताओ तुम्हे कौनसी कविता पसंद है
मैंने कहा अपनी कविता।।
test