अशोक नीर
14 दिसंबर 1920 को गठित हुआ और उसके बाद कई बार टूटा, कई बार बना। इस तरह पंथक चुनौतियों का सामना करते-करते अकाली दल 100 साल का हुआ। अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने वाले शिरोमणि अकाली दल की स्थापना का उद्देश्य अलग-अलग गुटों में बंटे तत्कालीन अकाली गुटों को इकट्ठा कर उन्हें पंथ की सेवा के साथ जोड़ना था।
साथ ही गुरुद्वारों की सेवा के लिए नवगठित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आदेशों पर अमल करना था। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए 14 दिसंबर 1920 में एक सम्मेलन का आयोजन कर गुरुद्वारा सेवक दल के गठन का फैसला किया गया था। 23 जनवरी 1921 को श्री अकाल तख्त साहिब में आयोजित एक सम्मेलन में गुरुद्वारा सेवक दल का नाम बदल कर अकाली दल कर दिया गया।
29 मार्च 1922 को अकाली दल ने एक प्रस्ताव पारित कर संगठन का नाम शिरोमणि अकाली दल रख लिया था। आजादी से पहले गुरुद्वारा साहिबान के प्रबंधों में शामिल पुजारियों को हटा कर वहां गुरु मर्यादा के अनुसार प्रबंध स्थापित करने में मदद करने वाले अकाली दल ने कई कुर्बानियां दी थी।
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