हायर स्टडी के लिए पंजाब के युवाओं का विदेश पलायन करने का ट्रेंड अब सूबा सरकार के सामने एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। इस समय सूबे से 1.5 लाख स्टूडेंट्स कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न संस्थाओं में एनरॉल हैं। तीन साल और दो साल के कोर्स पर औसतन एक छात्र पर 15 से 22 लाख रुपए वार्षिक खर्च आता है। सूबे से हर साल 48 हजार स्टूडेंट विदेश जा रहे हैं। पंजाब के अभिभावक 28500 करोड़ रुपए विदेशी खातों में हर साल फीस के रूप में जमा करवाते हैं। यानि पंजाब सरकार के कुल बजट (वर्ष 2019-20 के लिये 1,58,493 करोड़ रुपये) का 19 प्रतिशत।
भास्कर ने आईजेआरएआर (इंटरनेशनल जनरल ऑफ रिसर्च एंड एनालिटिकल रिव्यूज) में प्रकाशित ‘ओवरसीज माइग्रेशन ऑफ स्टूडेंट्स फ्रॉम पंजाब’ नामक रिर्सच रिपोर्ट, दोआबा और मालवा के 100 लीगल ट्रैवेल एजेंट, 150 आईईएलटीएस कोचिंग सेंटर, एकोस (एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट्स फॉर ओवरसीज स्टडीज) और बैंकिंग संस्थाओं के प्रतिनिधियों के माध्यम से पड़ताल की तो पता चला कि नशा और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के चलते यहां के 75 प्रतिशत पैरेंट्स अपने बच्चों को 12वीं के बाद से ही विदेश में सेटल कराने के लिए प्रयासरत हो जाते हैं। यही नहीं सूबे के 80 प्रतिशत युवा भी विदेश में ही सेटल होना चाहते हैं। दूसरी तरफ, कनाडा में ब्रिटिश कोलम्बिया के सरी, डेल्टा, वैंकूवर समेत 20 से अधिक ऐसे शहर हैं जहां पर आपको हर चौथा शख्स पंजाबी ही दिखेगा। कनाडा में पंजाबियों की धाक का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 21 अक्टूबर को होने वाले संघीय चुनावों में 50 से अधिक उम्मीदवार पंजाब से हैं और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख जगमीत सिंह तो प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक माने जा रहे हैं। पंजाब से हर साल हजारों युवाओं के साथ-साथ हो रहे करोड़ों रुपए के पलायन पर पढ़िए भास्कर की विशेष रिपोर्ट…
कनाडा की 3 बातें… जो पंजाबियों को लुभा रहीं
कनाडा की उदार नीति
1. कनाडा की उदार नीतियां और पढ़ाई के दौरान जॉब और पीआर (परमानेंट रेजिडेंस) की सुविधा के चलते पंजाब के युवाओं की पहली पसंद कनाडा है। यहां के कॉलेजों में 1.25 लाख स्टूडेंट्स एनरॉल हैं।
कोई भेदभाव का न होना
2. बेहतर लाइफ स्टायल के साथ-साथ ही कनाडा में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं है। यूएसए व अन्य देशों में नस्लीय भेदभाव एक बड़ी समस्या है, लेकिन कनाडा में विदेशी छात्रों से अच्छा व्यवहार होता है।
पढ़ाई के साथ हफ्ते में 10-20 घंटे काम की अनुमति
3. विदेश में पढ़ाई करना एक महंगा उपक्रम है। ट्यूशन फीस, रहने का खर्च और यात्रा का खर्च आदि। कनाडा सरकार विदेशी छात्रों को पढ़ाई के दौरान पार्ट टाइम जॉब का विकल्प देती है। जिससे स्टूडेट्स पढ़ाई के साथ-साथ अर्निंग्स भी कर लेते हैं। पार्ट टाइम जॉब हफ्ते में 10 से 20 घंटे के लिए होता है।
पंजाब की 3 खामियां… जिससे युवा विदेश जा रहे
बेरोजगारी: उच्च शिक्षा के बाद भी रोजगार नहीं
1. पंजाबी युवाओं में विदेश में पलायन होने के ट्रेंड से स्पष्ट है कि राज्य में उच्च शिक्षा का स्तर गिर रहा है। सूबे में 1 एग्रीकलचर, 1 वेटनरी, 1 सेंट्रल, 4 टेक्नीकल यूनिवर्सटी मिलाकर कुल 16 विश्वविद्यालय हैं,103 इंजीनियरिंग कॉलेज और 9 मेडिकल कॉलेजों में हर साल बच्चों की संख्या घटती जा रही है।
नशा: यहां रहे तो बच्चे नशे का शिकार होंगे
2. सूबे में नशा सबसे बड़ी समस्या है। यहां के 75% पैरेंट्स अपने बच्चों को 12वीं के बाद से ही विदेश में सेटल कराने के लिए प्रयासरत हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि उनके बच्चे यहां रहे तो नशे के शिकार हो जाएंगे। बच्चों को विदेश भेजने के लिए अभिभावक अधिक ब्याज पर पर्सनल लोन लेने से भी नहीं घबराते।
भ्रष्टाचार: छोटे-बड़े हर काम के लिए रिश्वत
3. भारत के छोटे राज्यों में पंजाब सबसे भ्रष्ट राज्य है। यह कहना है यहां की जनता का। करप्शन इन स्टेट पर हुए एक सर्वे में यहां के 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पंजाब मंे छोटे-बड़े हर काम के लिए रिश्वत देना पड़ता है। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो उनका काम होता ही नहीं या फिर पेंडिंग ही रहता है।
उत्साह देखिए…पंजाब में 3.5 लाख स्टूडेंट्स हर साल आइलेट्स एग्जाम पर 500 करोड़ रुपए खर्च कर रहे
पंजाब में हर साल आइलेट्स की परीक्षा पर 500 करोड़ की राशि खर्च की जाती है। सूबे में हर साल 3.5 लाख युवा आईईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) की परीक्षा देते हैं। एग्जाम फीस 210 से 225 डॉलर (15 हजार रुपए) हैं। यह भी है कि सभी पूरे बैंड हासिल नहीं कर पाते जिससे वे दोबारा तैयारी करते हैं। युवाओं में विदेश जाने की रुचि को देखते हुए लोग कॉलेज खोलने की बजाय आइलेट्स सेंटर खोलने लगे हैं। पंजाब में हर चौराहे पर आईलेट्स सेंटर खुले हुए हैं। यहां के युवा 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई करने के बजाय आइलेट्स सेंटर में जाने की रूचि रखते हैं। इस वजह से पंजाब में आइलेट्स सेंटर एक बिजनेस मॉड्यूल बन चुका है। तैयारी और एग्जाम फीस को मिलाकर प्रति व्यक्ति पर 30 से 35 हजार रुपए का खर्च पड़ता है।
10% स्टूडेंट्स ही करते हैं कोर्स संबंधित जॉब…
कोर्स खत्म करने के बाद अधिकतर स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई के इतर जॉब करते हैं। 88% स्टूडेंट्स जो 12वीं के बाद आइलेट्स करके विदेश पढ़ाई करने आते हैं इनमें 50 % को अपनी फील्ड अनुसार काम न मिलने से दूसरा पेशा अपनाना पड़ता है। केवल 10% ही अपनी फील्ड से रिलेटेड जॉब पाने मंें सफल होते हैं।
पंजाबी ऐसे पहुंचे पहली बार कनाडा
1897 में महारानी विक्टोरिया ने ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी को डायमंड जुबली सेलिब्रेशन में शिरकत के लिए लंदन आमंत्रित किया। तब घुड़सवार सैनिकों का एक दल भारत की महारानी के साथ ब्रिटिश कोलंबिया के रास्ते में था। इन्हीं सैनिकों में से एक थे मेजर केसर सिंह जो कनाडा में शिफ्ट होने वाले पहले सिख थे।
वो बड़े शहर जहां सबसे ज्यादा पंजाबी
ब्रिटिश कोलम्बिया के सरी, डेल्टा, वैंकूवर, लैंगली शहरों में भारी संख्या में भारतीय पंजाबी, रहते हैं। इसी तरह ओंटेरियो के टोरंटो, ब्रैम्पटन, मिसिसौगा, माल्टन इत्यादि शहरों, अल्बर्टा राज्य के एडमंटन, कैलगरी, क्यूबेक राज्य के मोंट्रियाल, मैनिटोबा राज्य के विनिपेग में भी अधिकांश भारतीय पंजाबी रहते हैं।
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