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धरम हेत साका जिनि कीआ, सीस दीआ पर सिरड ना दीआ

August 20, 2020 By Guest Author

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संजीव कुमार

धर्म परिवर्तन को जानना है तो हमे धर्म के बारे में जानना बहुत आवश्यक है| धर्म का प्रत्येक देश में महत्व उस राष्ट्र ध्वज, संस्कृति , भगोलिक स्थिति , से होता है | धर्म को तुलसीदास जी ने अपने श्लोक में कुछ इस प्रकार कहा है “दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान तुलसी दया न छोडिए जब तक घट में प्राण,”धर्म और अधर्म में इतना अंतर है की धर्म  दूसरों के बारे में सोचा जाता और अधर्म अपने बारे में| जब हम भारत में रहते हुए धर्म के बारे में बात करतें है तो हम प्राक्रतिक के अनुसार जीवन जीने को धर्म कहते है इसे हिन्दू धर्म भी कहा जा सकता है कियोंकि “सर्वे भवन्तु सुखिना: सर्वे सन्तु निरामया: सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कक्षिचदुःखभाग्भवेत,” भारत की संस्कृति जीवन जीने की कला सिखाती है| यही धर्म है इस लिए भारत की भगोलिक स्थिति के बारे में जब चर्चा होती है तो जम्बोद्विप को भारत कहा जाता है जो एक तरफ से हिन्दुकुश घाटी से इंदु सागर के बीच जो भूमि है उसे भारत माता कहतें है जो यहाँ पर रहने वाले प्रत्येक जीव जंतु और मनुष्य का पालन पोषण करती इस भूमि को देव भूमि  कहा जाता है | भारत में हमें अब धर्म के स्वबाव को जानना है तो सबसे पहले  हिन्दू धर्म सनातन धर्म है, इस को जानने की कोशिश करतें है| इसमें देश को राष्ट्र और भूमि को भारत माता कहा है राम राज्य की कल्पना हमारे नेताओं के वक्तव्य में अक्सर बोली जाति है कियोंकि  राम राज्य में प्रजा खुशहाल और इसका राज सम्पूर्ण विश्व में था| यहाँ इस परिकल्पना को एक कहानी समझ कर हमने अपने जीवन से दूर कर दिया| उस के कारण भारत के लोगों में महत्वाकांक्षी जीवन जीने वाली कला को अपना लिया|

भारत के राज्य जब पंजाब के बारे में बात की जाए श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में लिखित हमें दशम गुरुओं की शिक्षा पर चलना होगा जैसे “नानक नाम चढ़दी कला तेरे भाने सरबत दा भला”जो हमे दुसरो का साथ देना सिखाती है धर्म पर प्रेरणा देने हेतु श्री गुरु गोबिन्दं सिंह जी की कलम से लिखित :-

“तिलक जंझू राखा प्रभु ताका|  कीनो बडो कलू महि साका साधनि हेति इति जिनि करी|  सीसु दिया पर सी न उचरी|    धर्म हेतु साका जिनि किया| सीसु दिया पर सिररु न दिया|  तथा प्रकट भए गुरु तेग बहादुर|  सगल स्रिस्ट पै ढापी चादर|” जब हम इस वानी को याद नहि रखते तो हम इस जीवन कला से दूर हो जातें है और जब हमें अपने धर्म को भूल कर कोई और धर्म अपनाने के लिए मजबूर करता है तो हमें “सूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत पुरजा पुरजा कट मरै इन श्लोकों की वजह से हम रक्षा और बलिदान की दोनों परम्पराओं से जाग्रत रहतें है|

हमें वीर हकीकत राय,पण्डित लेख राम एवं स्वामी श्रद्धा नन्द जी की वीरता एवं त्याग को भी याद करना होगा । धर्म देश के लिए आपना जीवन खपाने वाले तीनो भी पंजाब के ही सपूत हैं। जब हम इन शिक्षाओं से दूर होतें है तो हम महत्वकांक्षी बनने के अग्रसर हो जातें है उस समय हम अपना हक मांगने वाले (ह्यूमन राइट्स) के नाम पर दंगा और हड़ताल करतें है पर चिन्तन की बात यह है की यह कला आई कहाँ से इस पर हम जब विचार करतें है तो एक पाश्च्यत और खाड़ी के देशों में जीवन जीने के प्राक्रतिक साधनों का आभाव होने से उनकी जीवन जीने की कला कुछ इस प्रकार हो गई की उन्हें विस्तार वादी निति पर चलना पड़ा| वह प्राक्रतिक के संसाधनो को अपनी धरोहर समझने लगे| हम अपने मूल भाव से दूर हुए और हमारे जीवन में महत्वकांक्षी विचारों से प्रभावित हुए| जिसके कारण वर्तमान स्थिति में उत्पन धर्म परिवर्तन का विषय हमारे देश में फ्लफुलने के कारण राष्ट्र भावना को खोखला कर रहा है| हमें प्राक्रतिक के साथ जीवन जीने की कला (हिन्दू धर्म) को पुन: जीवित करना निरंतर रखना होगा|

इसाई यां मुस्लिम धर्म में पर्वर्तित होने वाले लोग महत्वकांक्षी है वह हमारे देश में आर्थिक और वैचारिक दृष्टि से कमजोर लोगों को गुमराह करके धर्म परिवर्तन कर रहें है| वह शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रत्येक तरहं की नोकरी और आर्थिक दृष्टि से व्यक्ति को लाभान्वित करके धर्म परिवर्तन करतें है| हमें शिक्षा निति पर स्कूल हर वर्ग के अनुसार स्थापित करने होंगे जिससे सभी वर्ग के लोगों के बच्चे हमारे संस्थानों में पड़ सकें| हमें हॉस्पिटल बनाने होंगे यहाँ पर प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच हो और उनके स्वास्थ्य का हर प्रकार का ख्याल रखा जाए| आर्थिक दृष्टि से वह लोग जो कमजोर है उनको कोपरेटिव सोसाइटीओं के माध्यम से  इलेक्ट्रिक ऑटो और बस दोनों दिलवाई जाएँ| इससे हमें पर्यावरण को बचाना और धर्म परिवर्तन न हों इससे बचा जा सकता है| इसके साथ हमे अनेको संस्था का निर्माण करना होगा जो सिक्योरटी गार्ड से लेकर इंडस्ट्री में नोकरी लगवा सकें| और गाँव में प्रभात फेरियों का चलन प्रत्येक महापुरषों के जन्मदिन पर करना होगा| और पूर्ण समाज उसमें शामिल हो और घरों में चाय पानी की व्यवस्था करके सबको अपने घरों में बुलाना चाहिए और यह प्रभातफेरी 11 दिन चलनी चाहिए जो हमारे सनातन से चली आ रही प्रथा से धर्म जागृत रहेगा|

दूसरा पक्ष है इस्लाम के माध्यम से हो रहे धर्म परिवर्तन|  इस पर हम विचार करतें है तो हमारे ध्यान में आता है यह हमारा धर्म परिवर्तन तो कम करवा पातें है क्योंकि की सभी इस्लाम को मानने वाले धर्म परिवर्तन में लिप्त नही है इनमे से कुछ लोग जो यह कार्य कुछ इस प्रकार करतें है की हम आर्थिक दृष्टि से कमजोर और राष्ट्र से दूर हो जाते है उनका स्वभाव मुस्लिम लीग पार्टी जिसने भारत का विभाजन किया उस से मिलता जुलता है| जहाँ हमारे बच्चे मेहँदी लगाना, टेलरिंग मटिरियल की दुकान, पार्लर, मसाज पार्लर, नाई, कपड़े पर कड़ाई, सिलाई और  कूड़ा उठाने का कार्य करने में लजा समझतें है| और वह इसी कार्य को महत्व देते हैं| मुस्लिम समाज का एक परिवार हमारे लोगों में रहने आता है यह आर्थिक दृष्टि से कमजोर समाज के आस पास रहतें है और दुकानदारी भी उनके आस पास करतें है यह कुछ समय के बाद हमारे बीच जो परिवार महत्वकांक्षी होतें है उनका चयन कर उन्हें जमीन का अधिक रेट मिल जाए यां किराया अधिक मिल जाए दोनों प्रकार के लोगों का चयन करके बाकि मुस्लिम समाज को स्थापित करना शुरू करतें है फिर इनका धर्म को परिवर्तन करने का कार्य शुरू होता है| जो हमारे बीच में अपने असमाजिक तत्व होतें है उनके साथ कार्य करतें और धीरे धीरे पुलिस के साथ मिल कर हर प्रकार का नशा शुरू करतें है लव जिहाद शुरू होता| किडनैपिग, रेप और कत्ल जैसे अपराध शुरू होतें है मीट की दुकाने बडती है रहन सहन बदल जाता है तब हमारे लोग विरोद करतें है यां तो वह लोग मारे जाते यां घर सस्ते दामो में बेच कर चले जाते है कुछ धर्म परिवर्तन कर उनमें रहना स्वीकार कर लेतें है इनका कार्य हमारी व्यवस्था को बिगड़ना है जैसे प्रशासनिक, पोलिटिकल और समाज में अराजकता जैसा माहौल पैदा करना| जिससे राष्ट्र के प्रति निष्ठा में कमी आती और अब विषय यह है की बचा कैसे जाए | हमें ऐसे अराजक तत्वों से दूर रहना होगा उसके लिए जहाँ यह सब कार्य सूक्ष्म मात्रा में दिखने लगें | हमे उसी समय राष्ट्र हित में उनका विरोद करना चाहिए | यह कार्य इसलिए थोडा मुश्किल है क्योंकि कुछ लोग छोड़ कर बाकि सभी हमारे बीच से धर्म परिवर्तन हुए हमारे भाई है |

अगर हमें जाग्रत होना है उपर लिखी बातो को ध्यान में और सूक्ष्म में यह सब समझना होगा | 1984 में क्रिश्चियन डाक्टर अब्राहम टी कूविर से प्रेरित कमुनिस्ट सोच से बनी संस्था तर्कशील सोसाइटी जिसने पुरे पंजाब में सनातनी रीती रिवाज, संत समाज और पुरातन परम्परा का विरोध करके अपने आप को वैज्ञानिक सोच के साथ होने का प्रचार किया| उससे क्या हुआ हम अपनी विचारधारा से दूर हो गए| पर आप सब को विचारना चाहिए की अब तर्कशील संस्था कहाँ है पंजाब में हर गली मोहल्ले में बनी चर्च में बीमारी, भूत प्रेत खत्म करने, लंगड़े लोगों को चलाने के नाम पर हो रहे धर्म परिवर्तन पर आँख बंद कर रखे है | और कुछ अराजक इस्लाम को मानने मोलवियों के माध्यम से धागा. तबित, बंगाली तांत्रिक की दुकाने तर्कशील सोसाइटी को दिखाई नहीं पड़ रही | यह सब चिन्तन का विषय है |

यह धर्म परिवर्तन हमारे सब के सहयोग रोका जा सकता है इसके सेवा भावी संस्थाओं को प्रोत्साहन करना होगा | इस तरहं करने से हम भारत को खुशहाल बनाने में सहयोग कर सकतें है |

 


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