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पंजाबी युनिवर्सिटी के नए वीसी के सामने चुनौतियां और मौके

April 25, 2021 By Guest Author

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सौरभ कपूर

पंजाबी युनिवर्सिटी, पटियाला को आखिर 152 दिनों के बाद नया वीसी मिल गया है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) मोहाली के फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ अरविंद को पीयू का नया वीसी नियुक्त किया गया है। उनकी यह नियुक्ति तीन साल के लिए होगी। पहले तो नव नियुक्त वीसी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पंजाब की पूरी टीम और विद्यार्थीयो की ओर से बहुत बहुत बधाई।

वित्तीय परिस्थितियों के कारण पीयू मे 18 नवंबर को तत्कालीन वीसी डॉ घुम्मन ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद आईएस डॉ रवनीत कौर को वीसी का एडिश्नल चार्ज दिया गया था। डॉ अरविंद जी की शैक्षणिक योग्यता पर तो कोई किंतु परंतु कर भी नहीं सकता। डॉ अरविंद आईआईटी कानपुर से फिजिक्स में मास्टर डिग्री की है। पीएचडी आईआईएस बंगलौर से 1997 में पीएचडी फिजिक्स में की है। प्रो अरविंद ने अपना करियर बतौर फिजिकस प्रोफेसर गुरु नानक देव युनिवर्सिटी अमृतसर से शुरू किया। मुझे उम्मीद नहीं थी कि सरकार इतना बढ़िया चयन करेगी। सोने पर सुहागा तो ओर भी है कि वह ग्रामीण पिछोकड़ से संबंध रखते हैं। ऐकलगडा गाँव के वसनीक है। मालवा क्षेत्र के सभी ग्रामीण क्षेत्रों से विद्यार्थी ज्यादा इसी युनिवर्सिटी में दाखिले के लिए आते है। विद्यार्थियों और शोधार्थियों की मुशिकलो को समझेंगे।

चुनौतीयां – पंजाबी युनिवर्सिटी की मौजूदा स्थिति अनुशासन और आर्थिकता के पक्ष से बहुत बदतर हो चुकी है। प्रो अरविंद के लिए वाइस चांसलर का पद कांटो से भरा पड़ा है। क्योकि इस युनिवर्सिटी और युुनिवर्सिटी के रिजनल / कंस्टीटयूट कालेजो की स्थिति को विद्यार्थी संगठन का कार्यकर्ता होने के नाते बहुत नजदीक से जानता हूँ। मौजूदा समय मे युनिवर्सिटी की चार जत्थेबंदियां सैलेरी न मिलने के खिलाफ वीसी दफ्तर व रजिस्ट्रार दफ्तर के आगे धरना दे रही है। वहीं, दूसरी ओर युनिवर्सिटी बैंक की 150 करोड़ की कर्जदार है। इसके इलावा बैंक मे मुलाज़िमों की 25 एफडियां गिरवी पड़ी है। पिछले दिनों हुई सिंडीकेट की मीटिंग मे युनिवर्सिटी 130 करोड़ के घाटे मे दिखाई गई थी पर सूत्र बताते हैं कि मौजूदा समय में युनिवर्सिटी 189 करोड़ के घाटे मे है।

प्रोफेसर डॉ अरविंद

मुलाज़िमों का भी युनिवर्सिटी की तरफ काफी बकाया खड़ा है। युनिवर्सिटी की वित्तीय हालत मे सुधार लाने को सरकार ने युनिवर्सिटी को 90 करोड़ रुपये की ग्रांट जारी की थी। इस ग्रांट को सिर्फ लोन उतारने के लिए प्रयोग किया जाना है। हालांकि पूर्व एक्टिंग वीसी रवनीत कौर ने युनिवर्सिटी का कर्ज व आमदन को लेकर नई नीति तैयार की थी, पर वीसी के तबादले यह नीतियां कागजों मे ही है। अब नव नियुक्त वीसी प्रो अरविंद के सामने ये सारी चुनौतियां भरी हुई है।

मौका – पंजाबी युनिवर्सिटी को चलाने के लिए बजट अहम है। बिना बजट के युनिवर्सिटी नहीं चल सकती , इसलिए प्रो अरविंद को आय बढ़ाने के स्रोत भी पैदा करने होंगे ताकि युनिवर्सिटी का वित्तीय संकट दूर हो सके। युनिवर्सिटी को रिकवर करने की जरूरत है। युनिवर्सिटी बीते सालो में तो बिलकुल भी बढ़ नहीं रही थी। पर बेहतर बनाने के लिए पिछले आधार को ठीक से जांचना होगा। युनिवर्सिटी मे एक तो स्टाफ की भी बहुत कमी नजर आती है, उसे भी दूर किया जाना चाहिए। विद्यार्थियों के हित के लिए नए कोर्स को बंद ना करके जरूरत अनुसार नए कोर्स शुरू किए जाएं। अगर नए कोर्स लाने की भी योजना बनती है तो डेटा साइंस जैसे कोर्स की प्लानिंग हो। युनिवर्सिटी की वित्तीय हालत ठीक करने के लिए युनिवर्सिटी के भी कुछ खर्चे कम करने होंगे। युनिवर्सिटी के मौजूदा कोर्स और काम के तरीके को नए तरीके से डिजाइन की जरूरत है। मुलाज़िमों को ट्रेनिंग देकर सही जगह पर डिपलाय करना, जिससे कोई मुलाज़िम धरनों पर बैठा ना रहे। साथ ही अकादमिक कल्चर दुरसत हो।

पंजाबी युनिवर्सिटी की सफलता के लिए रिजर्व स्वभाव होना बहुत जरूरी है। पंजाबी युनिवर्सिटी में अकादमिक सपेरों की कमी नहीं है, जो कहते रहेंगे कि तुम सुराख़ मे हाथ डालो, बीन हम बजाएंगे। बहुत अच्छा होगा अगर पंजाबी युनिवर्सिटी की वित्तीय हालत ठीक हो कर युनिवर्सिटी का बेड़ा पार लग जाए। लालचियों को दूर करके ठीक रास्ता निकालना होगा। कठिन कार्य है ,पर दृढता और दूरदर्शीता के साथ सफलता मिल सकती है। प्रोफेसर अरविंद जी की नियुक्ति के बाद से ही उनकी कार्यशाला के बारे जितना भी सुनने को मिल रहा है और जाना है, उससे बहुत राहत मिली है कि निःसंदेह भौतिक विज्ञानी और समर्पित शिक्षा शास्त्री इस युनिवर्सिटी की डूबती बेड़ी को जरूर पार लगाएंगे। एक बार पुनः बधाई के साथ युनिवर्सिटी की सफलता की कामना करते हैं।

(लेखक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संभाग संगठन मंत्री है)


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