इकबाल सिंह लालपुरा
11 वें नानक और बानी के बोहित श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक जीवित इंसान के रूप में मान्यता दी है !! श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी “आदि सचु, जुगादि सच” है और जीवन के हर क्षेत्र में ज्ञान और मार्गदर्शन देने में सक्षम है !! चूँकि शिक्षाएँ पूरी मानवता के लिए हैं, यह दुनिया के सभी धर्मों को गले लगाती हैं और एकजुट करती हैं !!
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने लगभग 313 साल पहले गुरता गद्दी, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को देकर अनन्त काल के लिए गुरु बनाया! उस समय से लेकर आज तक सिख और खालसा केवल गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु मानकर श्रद्धा और विश्वास से गुरबाणी का अनुसरण करते हुए हर क्षेत्र में ज्ञान और मार्गदर्शन के माध्यम से, आगे बढ़ रहे हैं!!
सिख और खालसा न तो अवतार गुरु पर विश्वास करते हैं और न ही अपने गुरु की निंदा सुन सकते हैं। वे उनकी भक्ति के खिलाफ कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं !! गुरु का अनादर करने वाले को क्षमा करने का सवाल ही नहीं है, भले ही देश का कानून दोषी को दंडित करे, अन्यथा खालसा अपने गुरु का अनादर करने वाले दोषी के प्राण ले सकता है और अपना दे भी सकता है !!
गुरुओं ने मसंदों और महंतों की संस्थाओं को समाप्त कर दिया और खालसा को सीधे गुरु से जोड़ दिया !! महंत और SGPC ब्रिटिश प्रशासन की देन है। प्रमुख ग्रंथि पंज प्यारे के संगठन के सिद्धांत को चोट पहुंचाकर स्वयं जत्थेदार कैसे बन गए ? सरबत खालसा एक बैठक के लिए पांच निष्पक्ष और विद्वान पंज प्यारे को चुनने की परंपरा मिसलो ने बनाई थी। लेकिन मंजूरी केवल गुरु के हुकमनामा ने दी थी !!
आज़ादी के बाद से एसजीपीसी के कर्मचारी ग्रन्थियों को स्थायी पंच सिंह साहिबन बनने के आदेश कैसे दे रहे हैं जो राजनीति से प्रेरित लगते हैं?
पिछले समय से बानी को विकृत करने वाले कुछ लोग सिख संस्थानों के नाम पर पंथ में भ्रम पैदा कर रहे हैं, जो बुनियादी नियमों और शिक्षाओं के विपरीत विभाजन पैदा कर रहा है !!
पिछले 14 वर्षों से, यानी 2007 से, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी जैसे एक साधु ने कलगी और बस्तर की नकल करके पंजाब की शांति को आग लगा दी है! उसका सौदा कितना सही है, इसलिए उसे जेल भेजने वाले जज का केवल आदेश ही स्पष्ट करता है !!
सवाल यह है कि उसके खिलाफ चालान ना दर्ज करने के लिए कौन जिम्मेदार है? 2015 में जवाहर सिंह वाला से गुरु ग्रंथ साहिब जी का अपहरण करके बेअदबी करने वाले दोषी और साजिशकर्ता कौन है?
कोठकपुरा में शांतिपूर्ण धरना देने वाले और बानी का पाठ पढ़ने वाले युवक को गोली किसने मारी, कौन मजिस्ट्रेट है जिसने आदेश दिया और कौन उस पर दबाव बना रहा है? अभद्रता के अन्य पंद्रह से अधिक मामलों में साजिशकर्ता और अपराधी कौन है?
पिछले 6 सालों में, न तो पंजाब पुलिस और न ही मुलाजिम साजिश को उजागर कर पाए हैं? क्या तत्कालीन गृह मंत्री और मुख्यमंत्री, कोठी और कुर्सी के लिए बिकाऊ जज को खरीदकर पुलिस के द्वारा लोगों की नजरों में धूल तो नहीं झोंक रहे हैं ?
बेअदबी करने वाले दोषी को माफी देने वाले और दिलवाने वाले क्या बराबर के अपराधी नहीं है?
क्यों ना इन सब मामलों की जांच माननीय सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश के तत्वावधान में हो। ताकि 6 महीने के भीतर इसकी जांच हो और विशेष अदालत 3 महीने के भीतर इसका फैसला करे।
क्या यह न्याय करने और चोटिल सिख हृदयो को ठीक करने का एकमात्र तरीका नहीं है?
वाहेगुरु जी की फतेह!!
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