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महात्मा गाँधी पर विचार

October 3, 2019 By Guest Author

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सुमित दहिया
आज महात्मा गांधी जी 150वी जयंती पर कुछ तथ्यों के आधार पर बात करने का मन है। किसी की विचारधारा से सहमत न होना उस व्यक्ति का अपमान नही है। दुनिया के इतिहास में गांधी अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिनकी दुश्मनों ने सबसे अधिक सुरक्षा की ,चर्चिल ने कहा है कि गांधी दुनिया के उन चंद गरीबो में से है जिन पर अमीरों से भी ज्यादा खर्च होता है। अंग्रेजों ने उन्हें निरंतर अपनी सुरक्षा में रखा। लेकिन आज़ादी के बाद हम अपने ही लोगों से उन्हें नही बचा पाए। गांधी जी का सबसे बड़ा सिद्धान्त अहिंसा का है।
वे किसी से भी अपनी बात मनवाने के लिए कहते थे कि यह काम करो वरना मैं उपवास या आमरण अनशन के माध्य्म से खुद को खत्म कर लूंगा। अब अगर  मेरे हाथ की छुरी अगर दूसरे के गर्दन की बजाय अगर स्वयं मेरी गर्दन पर भी है तो वह बड़े सूक्ष्म स्तर की हिंसा हुई। भारतीय महिलाओं को अगर उनका पति पिट दे तो वे पति को जवाब देने की बजाय खुद या बच्चो को पीट देती है। “”गांधी जी का सम्पूर्ण दर्शन घरेलू भारतीय महिलाओं की उधार है।””
चोराचोरी कांड के बाद गांधी जी ने जो आंदोलन वापस लिया उससे दो बड़ी समस्याओं का जन्म हुआ। पहला उनके आवाहन पर छात्र पहली दफा यूनिवर्सिटी से सड़कों पर निकले , रविन्द्रनाथ इसके विरोध में थे। छात्रों को राजनीति में लाने वाले गांधी थे तब से आज 2019 तक छात्र यूनिवर्सिटी में वापस नही जा पाए। दूसरी समस्या गांधी जी ने चोराचोरी की घटना के बाद आंदोलन वापिस लिया जिससे जो गुस्सा पूरे भारत का अंग्रेजों के प्रति था वह आपस में हिन्दू मुस्लिम बनकर एक दूसरे पर फूटा। गांधी ने पूरे देश का अग्रेशन अंग्रेजों की बजाय अपने देश की तरफ ही मोड़ दिया नतीजा दो राष्ट्र बट गए औऱ 10 लाख लोगों की मृत्यु हो गयी।
वर्ष 1905 में आई अपनी किताब “हिन्द स्वराज” में गांधी ने बेहिसाब टेक्नोलॉजी का विरोध किया है। जबकि तार, रेलगाड़ी और हवाई सेवा का इस्तेमाल उन्होंने रिकॉर्ड स्तर पर किया । उन्होंने अनगिनत ट्रैन यात्रायें और तार प्रणाली का प्रयोग किया। इसके अलावा एलोपैथी के माध्य्म से उपचार भी करवाया। उनकी चरखे की धारणा और राम राज्य की बात अगर मान ली जाती तो भारत दुनिया का सबसे गरीब मुल्क होता। रामराज्य का मतलब है 3000 वर्ष पीछे सामंतवादी युग मे लौटना, इसके अलावा एक व्यक्ति को अपने दो जोड़ी कपड़े बनाने के लिए हफ्ते में तीन दिन चाहिए। औसत जीवन के 10 साल चरखा चलाने में गए। और 20 वर्ष आदमी औसत सोने में गवाता है यानी आधी उम्र व्यर्थ गयी। दुनिया मे जिन देशों ने विकास किया वे देश टेक्नोलॉजी विकसित करने वाले देश थे चरखा कभी चांद पर नही पहुँचा सकता। वहा टेक्नोलॉजी पहुँचाती है।
एक अनुमान के अनुसार आजाद हिंद फौज के 25 हज़ार सैनिक मरे ओर लाखो भारतीयों को जान गवानी पड़ी।मगर नासमझ लोग चर्खे से आती हुई आज़ादी देखते हैं। क्योंकि राजनेता चरखा चलाते हुए फ़ोटो खिंचवाते है ओर राजघाट को नमन करते है। गांधी जी केवल बुनियादी शिक्षा के पक्षधर थे। इसलिए उन्होंने अपने बच्चो को इतना नही पढ़ाया जितना वे खुद पढ़े थे उनके एक सुपुत्र हरिदास गांधी मुसलमान हो गए थे।
अभी हाल ही में आई प्रियदर्शिनी विजयश्री की किताब “देवदासी एक पुनर्विचार” में उन्होंने पेज नंबर 50 पर लिखा है कि कुछ वेश्याएँ कांग्रेस की सदस्यता लेना चाहती थी लेकिन गांधी जी ने उन्हें ये कहकर मना कर दिया कि मेरी नैतिक सहानुभूति आपके साथ है लेकिन आपको राजनीति में नही आने दिया जा सकता । इसके अलावा इनमें से बहुत सी बातें गांधी जी ने अपनी बायोग्राफी “”सत्य के प्रयोग”” में खुद स्वीकार की है। और ओशो की किताब  “भारत के जलते प्रशन”  में भी मौजूद है।
निसन्देह उनमें काफी खूबियां थी इसलिए विश्व उन्हें नमन करता है। लेकिन युवा पीढ़ी को सम्पूर्ण व्यक्तित्व से अवगत कराना भी परम आवश्यक है।। इस देश की सरकारों को अपनी ऊर्जा जयंतिया मनाने ,पदयात्रा निकालने से अधिक देश की समस्याओं पर लगानी चाहिए।।

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